
Congress 84th plenary session: भारतीय राजनीति का परिदृश्य इन दिनों फिर एक बार तीखे तेवरों और विचारधारात्मक टकरावों से गर्म है। गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे आयोजित कांग्रेस के दो दिवसीय अधिवेशन ने इसी उथल-पुथल को और हवा दे दी है। देश में चुनावी सरगर्मियों के बीच यह अधिवेशन न केवल संगठन को मजबूती देने का मंच बना, बल्कि केंद्र की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोलने का अवसर भी।
इस अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने संबोधन में केंद्र सरकार पर तीखे प्रहार किए। उन्होंने सामाजिक न्याय, लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक (Congress 84th plenary session) गरिमा के मुद्दों को उठाते हुए भाजपा की नीतियों को कठघरे में खड़ा किया। खासकर राजस्थान के अलवर में रामनवमी के दिन दलित नेता टीकाराम जूली के मंदिर जाने के बाद उसे गंगाजल से धोने की घटना को उन्होंने जातिवादी मानसिकता का प्रतीक बताया। यह मुद्दा तब और संवेदनशील हो गया जब यह पता चला कि मंदिर को शुद्ध करने की मांग बीजेपी से निलंबित नेता ज्ञानदेव आहूजा ने की थी। खरगे ने इस घटना के बहाने भाजपा पर दलित विरोधी मानसिकता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
बीजेपी की दलित विरोधी और मनुवादी सोच का एक और उदाहरण!
बीजेपी लगातार दलितों को अपमानित और संविधान पर आक्रमण करती आ रही है।
इसलिए संविधान का सिर्फ सम्मान नहीं, उसकी सुरक्षा भी ज़रूरी है।
मोदी जी, देश संविधान और उसके आदर्शों से चलेगा, मनुस्मृति से नहीं जो बहुजनों को दूसरे दर्जे… https://t.co/ruEXJgPMcf
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 9, 2025
84वें कांग्रेस अधिवेशन की राजनीतिक जमीन
गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे कांग्रेस पार्टी का 84वां राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया गया, जिसमें देशभर से 1,700 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह अधिवेशन न केवल संगठनात्मक मजबूती का अवसर बना बल्कि विपक्ष के तेवरों और विचारधारा की मुखरता का मंच भी रहा। अधिवेशन में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित राजस्थान के कई प्रमुख नेता मौजूद रहे।
“गंगाजल छिड़कना शर्म की बात है” –
अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने संबोधन में भाजपा पर करारा हमला बोला। उन्होंने राजस्थान के अलवर में दलित नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के मंदिर जाने के बाद उसमें गंगाजल छिड़कने की घटना को जातिवादी मानसिकता का प्रतीक बताया। खरगे ने सवाल उठाया, “अगर एक LOP (Leader of Opposition) के साथ ऐसा हो सकता है तो देहात में रहने वाले एक आम दलित के साथ क्या होता होगा? क्या दलित हिंदू नहीं हैं?” उनका यह बयान सामाजिक न्याय के विमर्श को फिर से राजनीति के केंद्र में लाने की कोशिश माना जा रहा है।
राहुल गांधी ने भी साधा निशाना
राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर तीखा रुख अपनाते हुए अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर लिखा, “बीजेपी की दलित विरोधी और मनुवादी सोच का एक और उदाहरण सामने आया है। ये पार्टी लगातार दलितों का अपमान कर रही है और संविधान पर हमला कर रही है। मोदी जी, यह देश संविधान से चलेगा, मनुस्मृति से नहीं।” राहुल के इस बयान से साफ है कि कांग्रेस इस घटना को बहुजन समाज और संवैधानिक मूल्यों के संदर्भ में बड़ा चुनावी मुद्दा बनाना चाहती है।
क्या है मंदिर शुद्धिकरण का पूरा विवाद?
पूरा विवाद अलवर के श्रीराम मंदिर में रामनवमी के दिन आयोजित प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से शुरू हुआ, जिसमें टीकाराम जूली ने भाग लिया और पूजा-अर्चना की। लेकिन इसके बाद बीजेपी से निलंबित नेता ज्ञानदेव आहूजा ने दावा किया कि “मंदिर में अपवित्र लोग आ गए थे,” इसलिए गंगाजल से शुद्धिकरण किया गया। उनके इस बयान से न केवल विवाद गहराया, बल्कि भाजपा ने भी त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए उन्हें प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया और कारण बताओ नोटिस जारी किया।
राजनीतिक निहितार्थ और दलित विमर्श
यह प्रकरण न केवल जातीय-सामाजिक भेदभाव की ओर संकेत करता है, बल्कि भाजपा की अंदरूनी राजनीतिक जवाबदेही और कांग्रेस की बहुजन राजनीति की ओर झुकाव को भी दर्शाता है। कांग्रेस इसे सामाजिक न्याय और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के रूप में पेश कर रही है, वहीं भाजपा को इस पूरे मामले से छवि प्रबंधन की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
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