
Axiom-4: केनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों ने Axiom‑4 मिशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर उड़ान भरी। स्पेसएक्स के फाल्कन‑9 रॉकेट ने नासा से आज दोपहर 12:01 बजे ड्रैगन कैप्सूल लॉन्च किया। भारतीय समयानुसार गुरुवार शाम लगभग 16:30 बजे ISS पहुंचने का अनुमान है।
Axiom‑4, चौथा निजी स्पेस मिशन है जिसे नासा और SpaceX ने संयुक्त रूप से संचालित किया है। इस मिशन में भारत, अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के एक-एक ( Axiom-4)अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। ()चारों अनुसंधानकर्ता अगले 14 दिन ISS पर रहकर माइक्रोग्रैविटी में प्रयोग करेंगे।
शुभांशु शुक्ला का मिशन क्यों खास?
- लंबित भारतीय उड़ान: दशकों बाद किसी भारतीय का निजी अंतरिक्ष मिशन है।
- वैज्ञानिक शोध: माइक्रोग्रैविटी में अनुकरणीय प्रयोग होंगे।
- तकनीकी परीक्षण: भविष्य के वाणिज्यिक स्पेस स्टेशन और मिशनों के लिए तकनीक विकसित की जाएगी।
- गगनयान प्रबंधन: 2027 में मानव अंतरिक्ष यान लॉन्च करने की तैयारी में यह अनुभव अहम है।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग: चार देशों के अंतरिक्ष यात्रियों ने साझा मंच पर काम किया।
यात्रा और उपकरणों की जानकारी
फाल्कन‑9 रॉकेट ड्रैगन कैप्सूल को नासा के केनेडी सेंटर से लॉन्च करेगा, जो लगभग 29 घंटे में ISS से डॉक करेगा। शुभांशु ने साथ में खास वैज्ञानिक संवर्धन भी लिया है:
- टार्डिग्रेड्स (जल भालू): सूक्ष्म जलीय जीव, जो चरम परिस्थितियों में जीवित रह सकते हैं—सबसे ज़्यादा रेडिएशन, तापमान, सूखे सहित।
- माइक्रोग्रैविटी उपकरण: विभिन्न पदार्थों पर गुरुत्वहीन प्रभाव की जांच के लिए प्रयोग।
टार्डिग्रेड्स की पहली खोज 1773 में हुई थी और आज इसकी 1,300 से अधिक प्रजातियां ज्ञात हैं। इस मिशन में उनके प्रयोग से जीवन विज्ञान और चिकित्सा क्षेत्र में नई संभावनाओं का रास्ता खुल सकता है।