Rajasthan: रामभद्राचार्य का बड़ा ऐलान! जन्मभूमि का फैसला हक में आने तक नहीं करूंगा गोविंद देवजी के दर्शन!

Ramabhadracharya Sankalp: धर्म और आध्यात्म की भूमि पर चल रहे संघर्ष और आस्था के संगम में, भारत की संत परंपरा के एक विशिष्ट संत, जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ने एक विशेष संकल्प लिया है। (Ramabhadracharya Sankalp)मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद के फैसले का इंतजार करते हुए, उन्होंने जयपुर के प्रतिष्ठित गोविंद देवजी मंदिर में दर्शन न करने का निश्चय किया है। इस ऐलान ने धार्मिक और सामाजिक क्षेत्रों में नई हलचल पैदा कर दी है। उनके इस दृढ़ निश्चय ने उनके भक्तों और अनुयायियों के मन में उत्सुकता और श्रद्धा का नया संचार किया है। विद्याधर नगर स्टेडियम में आयोजित श्रीराम कथा के प्रथम दिन, जब उन्होंने जयपुर की गलता पीठ और अपने संकल्प की चर्चा की, तो पूरा पांडाल तालियों की गूंज से भर उठा।

रामभद्राचार्य का दृढ़ संकल्प: कृष्ण जन्मभूमि और गलता गद्दी पर विजय

रामभद्राचार्य ने हाल ही में एक बड़ा दावा करते हुए कहा कि श्रीराम जन्मभूमि की तरह ही वे श्रीकृष्ण जन्मभूमि का विवाद भी हल करवा कर रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि गलता गद्दी पर रामानंदियों का विजय स्तंभ स्थापित होगा, क्योंकि उन्हें अपने अधिकार का पूरा विश्वास है। उनका कहना था कि उनकी प्रतिभा ने राम जन्मभूमि को फिर से स्थापित किया और अब श्री कृष्ण जन्मभूमि भी उनका साक्षी बनेगा।

राजस्थान की वैष्णव और वीर भूमि पर रामभद्राचार्य की कथा

रामभद्राचार्य ने राजस्थान को वैष्णव और वीरों की भूमि बताते हुए, यह भी कहा कि यह क्षेत्र धार्मिक संघर्षों और संत परंपराओं से भरा हुआ है। उन्होंने मीरा के शेर “गोविंद रा गुण गास्यां, राम जी रुसे तो म्हारो काई करसी” का उद्धरण देते हुए राजस्थान के धार्मिक महत्व को स्वीकार किया। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान में संत को भाला भी उठाना चाहिए, जब देश में क्रांति हो।

कथा के दौरान रामभद्राचार्य का प्रेरणादायक संदेश

रामभद्राचार्य ने कहा कि राम कथा बहुतों ने लिखी, लेकिन तुलसीदास जी की कथा जैसा कोई प्रभाव नहीं रहा। उन्होंने यह भी बताया कि रामलला के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में गवाही देने से श्रीराम जन्मभूमि के मामले में फैसला पलट गया।

गलता तीर्थ विवाद: रामभद्राचार्य का दृष्टिकोण

राजस्थान हाईकोर्ट ने गलता तीर्थ के महंत अवधेशाचार्य की नियुक्ति रद्द कर दी थी, जिसके बाद यह विवाद और अधिक उभरकर सामने आया है। रामभद्राचार्य ने इस मामले में अपने अधिकार का दावा किया और कहा कि गलता गद्दी पर रामानंदियों का विजय स्तंभ होगा।

श्रीराम कथा के दौरान पांडाल में हजारों की संख्या में भक्त मौजूद रहे।

रामभद्राचार्य का जीवन संघर्ष और उपलब्धियां

रामभद्राचार्य का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। महज दो माह की उम्र में आंखों की रोशनी खोने के बावजूद, उन्होंने 22 भाषाओं का अध्ययन किया और 80 ग्रंथों की रचना की।

पद्मविभूषण से सम्मानित रामभद्राचार्य ने वेद-पुराणों के उद्धरणों से राम जन्मभूमि के फैसले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसे न्यायालय ने स्वीकार किया था।

रामभद्राचार्य का संकल्प: “हमारी विजय निश्चित है!”

रामभद्राचार्य ने यह स्पष्ट किया कि वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करेंगे और गलता गद्दी तथा श्री कृष्ण जन्मभूमि पर विजय प्राप्त करेंगे। उनके नेतृत्व में रामानंदियों का विजय स्तंभ स्थापित होगा, और यह समय की बात है कि वे अपनी प्रतिष्ठा और अधिकार को पुनः स्थापित करेंगे।

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Bodh Saurabh

प्रिंट मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत करते हुए दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका और खास खबर.कॉम जैसे प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म्स पर काम किया। गुलाबी नगरी जयपुर का निवासी, जहां की सांस्कृतिक और राजनीतिक धड़कन को बारीकी से समझा। धर्म, राजनीति, शिक्षा, कला और एंटरटेनमेंट से जुड़ी कहानियों में न सिर्फ गहरी रुचि बल्कि समाज को जागरूक और प्रेरित करने का अनुभव। सकारात्मक बदलाव लाने वाली रिपोर्टिंग के जरिए समाज की नई दिशा तय करने की कोशिश। कला और पत्रकारिता का अनोखा संगम, जो हर कहानी को खास बनाता है।

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