
Rajasthan Politics: भारत की राजनीति में जब एक नेता दूसरे नेता पर आरोप-प्रत्यारोप करने लगे, तो वह सत्ता और विपक्ष के बीच के संघर्ष को और तीव्र कर देता है। (Rajasthan Politics )हाल ही में दौसा के भाजपा के पूर्व विधायक शंकरलाल शर्मा ने राज्य मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उनका कहना था कि दौसा की जनता को धन्यवाद देने की बजाय उस पर आरोप लगाना पूरी तरह से अन्याय है। इस संदर्भ में उनका यह भी कहना था कि हार को स्वीकार करना हर किसी के बस का नहीं होता, और इस बार विपक्ष को अपनी हार कबूल करने में मुश्किल हो रही है।
विधायक शर्मा ने मीणा के बयान पर तंज कसते हुए कहा कि वह उन पर ‘जयचंद’ का आरोप लगा रहे हैं, जबकि खुद उनका आचरण कुछ अलग ही प्रतीत हो रहा है। शर्मा ने उदाहरण देते हुए मीणा के बयानों को मेघनाद से तुलना की, जिसमें लक्ष्मण जैसे भाई को मारने की बात की गई। इस विवादित बयान को लेकर राजनीतिक हलकों में गहमागहमी तेज हो गई है और यह मामला अब राजनीतिक चर्चा का मुख्य केंद्र बन गया है।
यह बयानबाजी एक उदाहरण है कि भारतीय राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप कितने तीव्र और व्यक्तिगत स्तर तक पहुंच सकते हैं, जहां हर शब्द और हर बयान राजनीति के जाल में उलझकर सार्वजनिक विमर्श का हिस्सा बन जाता है।
सामान्य सीटों पर एसटी को टिकट देने पर सवाल
शंकरलाल शर्मा ने दौसा में टिकट वितरण को लेकर एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया है। उनका कहना है कि अगर हर बार सामान्य (जनरल) सीटों पर एसटी को टिकट दिया जाएगा तो फिर जनरल सीट पर उम्मीदवार कहां जाएगा? उन्होंने डॉक्टर किरोड़ीलाल मीणा पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके भतीजे को महुआ से टिकट दिया गया, जबकि खुद डॉक्टर साहब को सवाई माधोपुर और उनके भाई को दौसा से टिकट मिला। शर्मा ने यह भी कहा कि इस तरह के विरोध और सीटों का वितरण आपस में ही चलता रहता है।
बिन बुलाए भगवान के पास भी नहीं जाऊंगा
शंकरलाल शर्मा ने अपने चुनाव में न दिखाई देने को लेकर भी प्रतिक्रिया दी। उनका कहना था कि जब उन्हें दौसा में चुनाव के दौरान कोई पूछता नहीं था, तो वे क्यों वहां जाएंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे ब्राह्मण हैं और बिना बुलाए भगवान के पास भी नहीं जाएंगे। शर्मा ने यह भी कहा कि वह दौसा के लोगों से हमेशा इज्जत प्राप्त कर चुके हैं, लेकिन अब उन्हें चुनाव में शामिल होने के लिए बुलाया नहीं गया।
जगमोहन की हार और आरोपों पर प्रतिक्रिया
शंकरलाल शर्मा ने चुनाव परिणाम के बाद के बयानों पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि दौसा के लोग अगर धन्यवाद देने की बजाय आरोप लगा रहे हैं तो यह गलत है। वे कहते हैं कि जगमोहन मीणा तो सिर्फ 2300 वोटों से हारे हैं, तो फिर किस पर आरोप लगाया जा रहा है? शर्मा ने यह भी कहा कि जब वे 30,000 वोटों से हार गए थे, तो क्या उन पर भी विश्वासघात का आरोप लगाया गया था?
किरोड़ी के ‘अपनों ने मारा है’ बयान पर पलटवार
शंकरलाल शर्मा ने किरोड़ी के बयान “अपनों ने मारा है” पर भी तीखा पलटवार किया। उनका कहना था कि किरोड़ी का इशारा शायद मुरारीलाल मीणा की तरफ हो सकता है, क्योंकि उनके बीच पहले भी सेटिंग की बातें की जाती थीं। शर्मा ने यह भी जोड़ा कि बीजेपी में सभी ने उन्हें वोट दिया है, और यह आरोप केवल व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर लगाए जा रहे हैं।
जगमोहन का राजनीतिक आधार नहीं
शंकरलाल शर्मा ने यह भी कहा कि जगमोहन मीणा का राजनीतिक आधार सिर्फ किरोड़ी के भाई होने तक सीमित है। उन्होंने कहा कि दौसा के लोग यह जानते हैं कि जगमोहन का राजनीतिक कद मजबूत नहीं है और उनके पास कोई ठोस राजनीतिक समर्थन नहीं है।
राजपा में थे तो हम 5 सीटें जीते, बीजेपी में आए तो 8 हार गए
शंकरलाल शर्मा ने यह भी याद दिलाया कि जब किरोड़ी राजपा में थे, तो पार्टी ने 5 सीटें जीती थीं, लेकिन बीजेपी में आने के बाद पार्टी ने 8 सीटें हार दीं। उन्होंने यह भी बताया कि लोकसभा चुनावों में किरोड़ी के योगदान को लोग भली-भांति जानते हैं।
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