किरोड़ी लाल मीणा का शायराना हमला! सूरज भी मुझसे आंख मिलाने से डरता है, विरोधियों पर तंज!”

BJP internal politics: राजनीतिक गलियारों में इन दिनों कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा का शायराना अंदाज चर्चा का विषय बना हुआ है। उन्होंने अपने विरोधियों पर तंज कसते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर कुछ काव्यात्मक पोस्ट साझा की हैं। (BJP internal politics) इन पोस्ट्स में न केवल किरोड़ी ने अपने संघर्षों का जिक्र किया, बल्कि बिना किसी का नाम लिए अपनी पार्टी के भीतर के नेताओं पर भी इशारों-इशारों में तीखा हमला बोला। उनकी यह शायरी साफ तौर पर यह दिखाती है कि वे किस कदर राजनीतिक साजिशों और षड्यंत्रों से जूझते रहे हैं।

“इतने कांटे चुभे कि तलवे मेरे छलनी हो गए,” जैसी शायरी से उन्होंने अपनी असहज स्थिति का अहसास कराते हुए अपनी ताकत और आत्मविश्वास को भी जाहिर किया। इस शायरी का संदेश साफ है: चाहे जितने भी कठिन संघर्ष आएं, किरोड़ी का मनोबल कभी नहीं टूटेगा।

किरोड़ी की तल्खी के पीछे बीजेपी की अंदरूनी सियासत

कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा की तल्खी इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है, और इसके पीछे बीजेपी की अंदरूनी सियासत को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। हाल ही में हुए दौसा उपचुनाव में उनके भाई जगमोहन मीणा की हार के बाद किरोड़ी ने गुस्से में सोशल मीडिया पर एक लंबी पोस्ट लिखी थी, जिसमें उन्होंने हार के लिए बीजेपी के भीतर के नेताओं के भितरघात को जिम्मेदार ठहराया। इस पोस्ट के बाद से बीजेपी के नेताओं के बीच की दरार और सियासी खींचतान खुलकर सामने आ गई है।

वोटों की भीख की तुलना रावण के सीताहरण से की थी

दौसा उपचुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार और किरोड़ी के भाई की हार के बाद बीजेपी नेता शंकरलाल शर्मा ने किरोड़ी के बयान पर पलटवार किया था। उन्होंने कहा कि हार को पचाना हर किसी के लिए आसान नहीं होता और किरोड़ी को अपनी हार के लिए जनता को दोषी नहीं ठहराना चाहिए। उन्होंने कहा कि किरोड़ी ने साधु वेश में वोटों की भीख मांगी और इसी पर समाज में चर्चा शुरू हो गई कि यह रावण के सीताहरण जैसा था।

लोकसभा चुनाव के बाद मंत्री पद से इस्तीफा, अब फिर नाराज किरोड़ी

दौसा सीट पर लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद किरोड़ी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि उनके अनुसार जिस क्षेत्र में उन्होंने अपने जीवन भर काम किया, वहां हारने के बाद उन्हें पद पर बने रहने का अधिकार नहीं था। हालांकि, बाद में मान-मनौवल के बाद वे मंत्री पद पर लौट आए, लेकिन अब उनकी नाराजगी फिर से खुलकर सामने आ गई है। वे बीजेपी के भीतर अपनी उपेक्षा और भितरघात को लेकर गुस्से में हैं, जो उनकी राजनीतिक स्थिरता को चुनौती दे रहा है।

Bodh Saurabh

प्रिंट मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत करते हुए दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका और खास खबर.कॉम जैसे प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म्स पर काम किया। गुलाबी नगरी जयपुर का निवासी, जहां की सांस्कृतिक और राजनीतिक धड़कन को बारीकी से समझा। धर्म, राजनीति, शिक्षा, कला और एंटरटेनमेंट से जुड़ी कहानियों में न सिर्फ गहरी रुचि बल्कि समाज को जागरूक और प्रेरित करने का अनुभव। सकारात्मक बदलाव लाने वाली रिपोर्टिंग के जरिए समाज की नई दिशा तय करने की कोशिश। कला और पत्रकारिता का अनोखा संगम, जो हर कहानी को खास बनाता है।

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