Rajasthan: किरोड़ी लाल मीणा ने चुप्पी तोड़ी: ‘मेरे साथ नहीं, मेरे भाई के खिलाफ खेला गया खेल!

Internal Betrayal in Politics: राजनीति में हार-जीत का सिलसिला न केवल मतदाताओं की पसंद से तय होता है, बल्कि कभी-कभी भीतरघात और संगठन की अंदरूनी खींचतान भी नतीजों पर गहरा प्रभाव डालती है। (Internal Betrayal in Politics)राजस्थान के दौसा विधानसभा उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार जगमोहन मीणा की हार के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्य मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के बयान ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है।

डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लगातार पोस्ट करते हुए अपनी ही पार्टी के नेताओं पर इशारों में भीतरघात के आरोप लगाए हैं। अपने भाई की हार को लेकर व्यक्त किए गए दर्द और आत्मचिंतन के साथ, उन्होंने पार्टी के भीतर चल रही चाटुकारिता और संगठनात्मक कमियों पर तीखा प्रहार किया है।

“मुझे सदा अपनों ने ही मारा है। मेरी केवल एक ही कमी है कि मैं चाटुकारिता नहीं करता,” उनके इस बयान ने राजनीति के कई नए सवाल खड़े कर दिए हैं। मीणा के ये आरोप केवल उनके व्यक्तिगत अनुभव नहीं, बल्कि पार्टी के अंदरूनी समीकरणों और अनुशासन पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा करते हैं।

घर-घर जाकर मांगी वोटों की भीख, फिर भी दिल नहीं पसीजा

डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने सोशल मीडिया पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए लिखा कि 45 वर्षों के राजनीतिक सफर में उन्होंने जनता के हर वर्ग के लिए संघर्ष किया। सैकड़ों आंदोलनों और पुलिस की लाठियों के बावजूद वे हमेशा जनहित के लिए डटे रहे। उन्होंने कहा, “दौसा उपचुनाव में मैंने घर-घर जाकर वोटों की भीख मांगी, लेकिन कुछ लोगों का दिल नहीं पसीजा।”

भितरघातियों ने लक्ष्मण जैसे भाई पर चलाया शक्ति बाण

मीणा ने अपनी पोस्ट में भीतरघात का आरोप लगाते हुए लिखा, “भितरघाती मेरे सीने पर वार करते तो सह लेता, लेकिन उन्होंने मेघनाद बनकर मेरे लक्ष्मण जैसे भाई पर शक्ति बाण चला दिया। यह मेरे लिए असहनीय है।” उन्होंने इस हार को एक सबक बताते हुए कहा कि वे संघर्ष के पथ से विचलित नहीं होंगे।

जयचंदों के कारण नहीं चुका पाया भाई का कर्ज

डॉ. मीणा ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए लिखा, “जिस भाई ने हर मुश्किल में मेरा साथ दिया, उसकी मदद का कर्ज चुकाने का अवसर आया तो कुछ जयचंदों के कारण मैं उसे चुका नहीं पाया। यह दर्द हमेशा सताएगा।”

“मुझमें कमी है कि मैं चाटुकारिता नहीं करता”

मीणा ने अपने राजनीतिक जीवन के संघर्ष को लेकर लिखा, “मेरी एकमात्र कमी यह है कि मैं चाटुकारिता नहीं करता। इस स्वाभिमान ने मुझे अपनों के बीच ही कमजोर बना दिया। गैरों में इतना साहस नहीं था, मुझे हमेशा अपनों ने ही मारा।”

संघर्ष के पथ पर डटे रहने का संकल्प

मीणा ने अंत में कहा कि वे इस हार से न तो हताश हैं और न ही निराश। उन्होंने अपनी जनता और गरीबों, मजदूरों, किसानों के लिए सेवा का व्रत जारी रखने की बात कही और भविष्य में भी संघर्ष के पथ पर अडिग रहने का संकल्प व्यक्त किया।

Bodh Saurabh

प्रिंट मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत करते हुए दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका और खास खबर.कॉम जैसे प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म्स पर काम किया। गुलाबी नगरी जयपुर का निवासी, जहां की सांस्कृतिक और राजनीतिक धड़कन को बारीकी से समझा। धर्म, राजनीति, शिक्षा, कला और एंटरटेनमेंट से जुड़ी कहानियों में न सिर्फ गहरी रुचि बल्कि समाज को जागरूक और प्रेरित करने का अनुभव। सकारात्मक बदलाव लाने वाली रिपोर्टिंग के जरिए समाज की नई दिशा तय करने की कोशिश। कला और पत्रकारिता का अनोखा संगम, जो हर कहानी को खास बनाता है।

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