
Pahalgam Terror Attack:पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को गर्मा दिया है। भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त एक्शन लिया, जिससे पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। शहबाज शरीफ ने इस हमले में पाकिस्तान की भूमिका से साफ इनकार करते हुए देशवासियों से कहा कि पाकिस्तान किसी भी जांच के लिए तैयार है। लेकिन क्या पाकिस्तान की “निष्पक्ष जांच” की इस बार भी वही पुरानी कहानी दोहराई जाएगी? क्या यह ड्रामा किसी सच्चाई तक पहुंचेगा, या फिर एक और खोखली कोशिश साबित होगी?
पाकिस्तान की न्यायिक प्रणाली और उसके द्वारा किए गए जांच के दावे हमेशा सवालों के घेरे में रहे हैं। शहबाज शरीफ का ताजा बयान, जो इस बार फिर से “निष्पक्ष जांच” का दावा करता है, (Pahalgam Terror Attack)पिछले अनुभवों के साथ मेल खाता है, जब भी पाकिस्तान ने ऐसे मामलों में जांच का वादा किया था, लेकिन परिणाम कुछ खास नहीं निकला। क्या इस बार कुछ अलग होगा?
भारत के आरोपों और पाकिस्तान के लापरवाह रवैये का लंबा इतिहास
भारत में आतंकवादी हमलों के पीछे पाकिस्तान का पुराना रिकॉर्ड काफी चिंताजनक रहा है। पाकिस्तान पर अक्सर आरोप लगाए गए हैं कि वह आतंकवाद को न सिर्फ समर्थन देता है, बल्कि अपने यहां स्थित आतंकी संगठनों को बढ़ावा भी देता है। भारत ने कई बार पक्के सबूत, डीएनए रिपोर्ट, गवाहों के बयान और जांच के दस्तावेज पाकिस्तान को सौंपे हैं, लेकिन पाकिस्तान ने इन्हें या तो नजरअंदाज किया या फिर जांच में देरी की।
पाकिस्तान का “जांच में सहयोग” का इतिहास कभी भी भरोसेमंद नहीं रहा। भारत द्वारा बार-बार पेश किए गए सबूतों को अक्सर अनदेखा किया गया, या फिर जानबूझकर कार्रवाई में देरी की गई।
पाकिस्तान ने हर बार खुद को आतंकवाद का शिकार दिखाने की कोशिश की, लेकिन उसकी कार्रवाइयों से यह स्पष्ट है कि उसे आतंकवादियों के खिलाफ ठोस कदम उठाने में कोई रुचि नहीं है।
पुलवामा हमले के बाद, भारत ने एनआईए द्वारा तैयार की गई विस्तृत जांच रिपोर्ट और अभियुक्तों की जानकारी पाकिस्तान को सौंपी। बावजूद इसके, पाकिस्तान ने इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया और उल्टा खुद को आतंकवाद का पीड़ित बताने की कोशिश की। इससे यह साबित होता है कि पाकिस्तान की कथित “निष्पक्ष जांच” की प्रक्रिया का कोई भरोसा नहीं है।
सबूतों की अनदेखी और जांच का ठंडा पड़ जाना
उरी हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान को डीएनए सैंपल और अन्य फॉरेंसिक सबूतों के साथ लेटर रोगेटरी भेजा। लेकिन पाकिस्तान ने न तो कोई कार्रवाई की और न ही जांच को आगे बढ़ाया। सबूतों को नजरअंदाज कर पाकिस्तान ने जांच प्रक्रिया को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
पाकिस्तान का वादा और धोखा
पठानकोट हमले के बाद भारत ने पाकिस्तानी ज्वाइंट इन्वेस्टिगेशन टीम को एयरबेस का दौरा करवाया। वादा किया गया था कि भारतीय एनआईए टीम भी पाकिस्तान जाकर जांच करेगी, लेकिन पाकिस्तान ने इस वादे को तोड़ते हुए कोई सहयोग नहीं किया और सबूतों पर चुप्पी साध ली। यह पाकिस्तान की कुटिल रणनीति को उजागर करता है।
लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई का न होना
मुंबई आतंकी हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान को लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद और अन्य साजिशकर्ताओं के खिलाफ पुख्ता डोजियर सौंपे। पाकिस्तान में भारतीय न्यायिक पैनल का दौरा भी हुआ, लेकिन इस पर कार्रवाई करने की बजाय पाकिस्तान ने कुछ भी ठोस नहीं किया। हाफिज सईद आज भी पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहा है, जो पाकिस्तान के आतंकवाद के प्रति ढीले रवैये को दिखाता है।
इन घटनाओं से यह साफ है कि पाकिस्तान की कथित “निष्पक्ष जांच” कभी भी सच्चाई की ओर नहीं बढ़ी। पाकिस्तान का इतिहास यही बताता है कि वह आतंकवाद के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाने में नाकाम रहा है और इसके कारण ही भारत के लिए पाकिस्तान पर भरोसा करना बेहद मुश्किल हो गया है।
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