
Pahalgam Attack: जिसने खून बहाया, अब उसे प्यासा मरने का स्वाद चखाना तय है। भारत ने अब जंग के मैदान को बदल दिया है — बंदूक की गोलियों से आगे बढ़कर पानी की हर बूंद को भी हथियार बना दिया है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद अब बदला बूंद-बूंद से लिया जाएगा।
पहलगाम में निर्दोषों पर बरसी गोलियों ने भारत को झकझोर दिया, लेकिन इस बार जवाब सिर्फ सरहद पर नहीं मिलेगा — नदियों की धारा भी अब सजा सुनाएगी। हमले के महज एक दिन बाद ही भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ऐतिहासिक ‘सिंधु जल समझौते’ (Indus Water Treaty) को ठंडे बस्ते में डालने का फैसला कर लिया है।(Pahalgam Attack🙂 1960 में हुई यह संधि दशकों तक पाकिस्तान की जल-जीवनरेखा रही, लेकिन अब भारत ने इस नब्ज पर सीधा प्रहार कर दिया है। अब पाकिस्तान को हर बूँद के लिए तड़पना पड़े
पाक को अब बूंद-बूंद पानी…
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर अब पानी के जरिए सबसे बड़ा वार किया है। अटैक के दूसरे ही दिन भारत सरकार ने ऐतिहासिक सिंधु जल समझौते (Indus Water Treaty) को स्थगित करने का ऐलान कर दिया। 1960 में हुए इस समझौते को अब तक विश्व की सबसे सफल जल-साझा संधियों में गिना जाता था, लेकिन अब इस पर विराम लग चुका है। भारत के इस कदम से पाकिस्तान को कृषि, बिजली और खाद्य सुरक्षा के मोर्चे पर जबरदस्त झटका लगने वाला है।
आर्थिक संकट से जूझ रहे पाक पर दोहरी मार
पाकिस्तान पहले से ही गहरे आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहा है। ऐसे में भारत द्वारा सिंधु जल संधि निलंबित किए जाने से उसकी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लग सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान की 90 फीसदी सिंचाई सिंधु नदी पर निर्भर है। जल आपूर्ति बाधित होने से खाद्य उत्पादन में भारी गिरावट और खाद्य संकट की आशंका जताई जा रही है। वहीं, बिजली उत्पादन के लिए भी पाकिस्तान को अब भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि कई हाईड्रो पावर प्रोजेक्ट्स पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
क्या है सिंधु जल समझौता?
सिंधु जल समझौता (Indus Water Treaty) भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हस्ताक्षरित एक ऐतिहासिक संधि है। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और राष्ट्रपति अयूब खान ने इसे विश्व बैंक की मध्यस्थता में साइन किया था।
इस संधि के तहत सिंधु नदी प्रणाली की 6 नदियों को दो हिस्सों में बाँटा गया:
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पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम, चेनाब): नियंत्रण पाकिस्तान को, लेकिन भारत को सीमित उपयोग (जैसे सिंचाई, जलविद्युत) की अनुमति।
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पूर्वी नदियाँ (रावी, व्यास, सतलुज): पूर्ण अधिकार भारत को।
संधि के तहत दोनों देशों के बीच जल उपयोग के नियम तय किए गए और विवादों को सुलझाने के लिए जल आयुक्तों की नियुक्ति भी की गई।
क्यों खास थी यह संधि?
सिंधु जल समझौता आज तक लागू रहा, भले ही भारत-पाकिस्तान के बीच कितने भी युद्ध हुए हों। इसे विश्व की सबसे स्थायी और सफल जल संधियों में गिना जाता है। लेकिन अब पहलगाम हमले के बाद भारत ने इसे निलंबित कर पाकिस्तान को एक बड़ी चेतावनी दे दी है। पाकिस्तान ने इसे “जंग जैसी स्थिति” करार दिया है क्योंकि उसे मालूम है कि इस संधि के बिना उसका अस्तित्व मुश्किल में पड़ सकता है।
भारत के कदम के बाद अब क्या बदल जाएगा? 5 प्रमुख बदलाव
1. जय आयुक्तों की बैठकें बंद: दोनों देशों के जल आयुक्त अब सालाना बैठकें नहीं करेंगे, जिससे संवाद और समाधान के रास्ते बंद हो जाएंगे।
2. जल संबंधी आंकड़ों का आदान-प्रदान ठप: भारत अब पाकिस्तान को नदियों के प्रवाह, बाढ़ की चेतावनी और अन्य हाइड्रोलॉजिकल डेटा उपलब्ध नहीं कराएगा। इससे पाकिस्तान सूखे या अचानक बाढ़ जैसी आपदाओं के खतरे में आ सकता है।
3. जल परियोजनाओं पर नियंत्रण: अब भारत, पश्चिमी नदियों पर बन रही अपनी जल परियोजनाओं की जानकारी पाकिस्तान से साझा करने के लिए बाध्य नहीं रहेगा।
4. पाकिस्तानी निरीक्षण बंद: पाकिस्तान के जल आयोग के अधिकारी अब भारत, खासकर जम्मू-कश्मीर में परियोजनाओं का निरीक्षण नहीं कर पाएंगे।
5. वार्षिक रिपोर्ट का अंत: स्थायी सिंधु आयोग (PIC) अब पाकिस्तान के लिए कोई वार्षिक रिपोर्ट जारी नहीं करेगा, जिससे पाकिस्तान की सिंचाई और जल प्रबंधन योजनाएं बुरी तरह प्रभावित होंगी।
आतंक का कहर…26 निर्दोषों की निर्मम हत्या
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के बैसरान घाटी (पहलगाम) में हुए आतंकी हमले ने देश को दहला दिया। इस निर्मम हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई। हमलावरों ने पीड़ितों से उनका नाम और धर्म पूछकर, धर्म के आधार पर अलग किया और नजदीक से गोली मारकर हत्या कर दी।
यह हमला पुलवामा के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है। देश में इस अमानवीय कृत्य को लेकर भारी गुस्सा है और जनता सरकार से कड़े कदमों की मांग कर रही है।
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