Rajasthan: आदिवासी अधिकारों के लिए आयोग का सख्त रुख, प्रशासन को जवाब देने की मोहलत!

Samaravata Slap Case: राजस्थान के टोंक जिले में हुए समरावता थप्पड़ कांड ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी हलचल मचा दी है। यह मामला अब राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के संज्ञान में है, जिसने कड़ी कार्रवाई करते हुए प्रदेश के शीर्ष अधिकारियों को नोटिस थमा दिया है।(Samaravata Slap Case)

आयोग ने 4 दिसंबर को राजस्थान के मुख्य सचिव, डीजीपी उत्कल रंजन साहू, टोंक जिला कलेक्टर सौम्या झा और एसपी को नोटिस जारी कर इस संवेदनशील मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट तीन दिन के भीतर देने का निर्देश दिया है। आयोग के इस सख्त रुख ने राज्य सरकार और प्रशासन को सकते में डाल दिया है।

नोटिस में हुई गलती और संशोधन

पहले जारी नोटिस में प्रशासनिक त्रुटि हुई, जहां वर्तमान एसपी विकास सांगवान के बजाय पूर्व एसपी प्रीति जैन का नाम दर्ज हो गया था। इस गलती को सुधारते हुए आयोग ने संशोधित नोटिस जारी किया और तीन दिन के भीतर तथ्यात्मक रिपोर्ट देने को कहा है।

शिकायतकर्ताओं की भूमिका

इस मामले में कई सामाजिक संगठन और कार्यकर्ता सक्रिय हुए हैं। प्रमुख याचिकाकर्ताओं में मदन मोहन राजौर (प्रदेश प्रभारी, भारतीय किसान यूनियन), रामकेश मीणा (प्रदेश अध्यक्ष, राजस्थान आदिवासी सेवा संघ), महेंद्र मीणा (आदिवासी मीणा अधिवक्ता संघ), और गोविंद सिंह सोमवत (महासचिव, अनुसूचित जनजाति संयुक्त संस्था) शामिल हैं। इन संगठनों ने आयोग के समक्ष मामले को मजबूती से रखा है।

आयोग का सख्त रुख

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने मुख्य सचिव और डीजीपी को कड़ी चेतावनी दी है कि यदि तीन दिन में जवाब नहीं दिया गया, तो संविधान के अनुच्छेद 338क के तहत सिविल न्यायालय की शक्तियों का उपयोग कर व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए समन जारी किया जाएगा। आयोग ने इस घटना को अनुसूचित जनजाति के अधिकारों का सीधा उल्लंघन माना है।

क्या है समरावता थप्पड़ कांड?

यह घटना 13 नवंबर को देवली-उनियारा उपचुनाव के दौरान घटी। निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने आरोप लगाया कि ड्यूटी मजिस्ट्रेट अमित कुमार चौधरी (मालपुरा एसडीएम) ने मतदाताओं से जबरन वोट डलवाए। इस विवाद में नरेश मीणा ने एसडीएम को थप्पड़ मार दिया। इसके बाद तनाव बढ़ा और देर रात पुलिस ने नरेश मीणा को गिरफ्तार करने की कोशिश की। इस घटना ने हिंसा का रूप ले लिया, जिसमें दो पुलिस वाहनों सहित नौ अन्य वाहन और कई घर क्षतिग्रस्त हो गए।

समाज और प्रशासन के लिए चुनौती

यह मामला न केवल स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है, बल्कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और आदिवासी अधिकारों की सुरक्षा पर भी गंभीर बहस को जन्म देता है। आयोग की सख्ती और याचिकाकर्ताओं की सक्रियता इसे एक निर्णायक मोड़ तक ले जा सकती है।

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Bodh Saurabh

Bodh Saurabh, a journalist from Jaipur, began his career in print media, working with Dainik Bhaskar, Rajasthan Patrika, and Khaas Khabar.com. With a deep understanding of culture and politics, he focuses on stories related to religion, education, art, and entertainment, aiming to inspire positive change through impactful reporting.

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