बचपन की हर यादें आंखों के सामने हैं, लेकिन भाई को इस हाल में देखकर दर्द बयान नहीं कर सकता

Jaipur Gas Tanker Blast: भाई-बहन का रिश्ता अनमोल होता है, जहां बचपन की मासूमियत और जवानी की खट्टी-मीठी यादें एक ऐसी डोर से बंधी होती हैं जो जीवनभर साथ रहती है। एक-दूसरे के साथ बिताए गए हर पल, हंसी-खुशी के किस्से और संघर्ष के समय एक-दूसरे का सहारा बनने का वादा, यही रिश्ते की गहराई को दर्शाते हैं। (Jaipur Gas Tanker Blast)लेकिन जब वही भाई, जिसके साथ बचपन की मिट्टी में खेला, जिसे हमेशा अपने साथ हंसते-बोलते देखा, एक निर्जीव थैली में लिपटा सामने आता है, तो दिल की धड़कनें ठहर जाती हैं।

इंद्रजीत सिंह की आंखों में नमी और दिल में दर्द का सागर था। मुर्दाघर के बाहर खड़े होकर वह अपने भाई के शव को डीएनए जांच के लिए पहचानने का इंतजार कर रहा था। वह भाई, जिसके साथ उसने अपने जीवन के सबसे खूबसूरत पल बिताए थे, आज एक ठंडी थैली में लिपटा हुआ था। उस पल का दर्द उसकी सिसकियों में छलक रहा था, और यादें उसके मन में तूफान की तरह उमड़ रही थीं।


अजमेर रोड पर हादसे में खत्म हुई ज़िंदगी

संजेश यादव, मैनपुरी, उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे, जिनकी जिंदगी का सफर अजमेर रोड पर एक हादसे में थम गया। वह 14 दिसंबर को गुड़गांव से ट्रेलर लेकर निकले थे और 18 दिसंबर को मुद्रापोर्ट पर सामान खाली करने के बाद मानेसर लौट रहे थे। जाम के कारण ट्रेलर खड़ा था, जब यह दर्दनाक हादसा हुआ और उनकी जान चली गई।


संजेश के पैसों से चल रही थी पूरी गृहस्थी

भाई इंद्रजीत ने बताया कि संजेश ट्रांसपोर्ट कंपनी में ट्रेलर चालक के रूप में काम करते थे। उन्हीं की कमाई से घर का खर्च चलता था। कंपनी से सूचना मिलते ही परिवार जयपुर पहुंचा। जब वे ट्रेलर के पास पहुंचे, तो वह पूरी तरह कबाड़ में तब्दील हो चुका था। आसपास के लोगों ने बताया कि हादसे में संजेश जलकर खत्म हो गए।

मां को वापस भेजने का दर्दभरा फैसला

दूसरे भाई अमरजीत ने बताया कि मां अपने बेटे से मिलने की जिद कर रही थी। हमें उसे लाना पड़ा, लेकिन मुर्दाघर में जब हमने संजेश के अवशेष एक थैली में देखे, तो उसे यह सच बताने की हिम्मत नहीं जुटा सके। मां को यह कहकर मैनपुरी वापस भेज दिया कि संजेश का लंबा इलाज चलने वाला है।

परिवार की उम्मीदें और सपने बिखर गए

संजेश परिवार के आर्थिक और भावनात्मक सहारे थे। उनका इस तरह जाना पूरे परिवार के लिए असहनीय है। हादसे ने न केवल एक ज़िंदगी छीनी, बल्कि परिवार की खुशियां और सपने भी छीन लिए।

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Bodh Saurabh

प्रिंट मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत करते हुए दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका और खास खबर.कॉम जैसे प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म्स पर काम किया। गुलाबी नगरी जयपुर का निवासी, जहां की सांस्कृतिक और राजनीतिक धड़कन को बारीकी से समझा। धर्म, राजनीति, शिक्षा, कला और एंटरटेनमेंट से जुड़ी कहानियों में न सिर्फ गहरी रुचि बल्कि समाज को जागरूक और प्रेरित करने का अनुभव। सकारात्मक बदलाव लाने वाली रिपोर्टिंग के जरिए समाज की नई दिशा तय करने की कोशिश। कला और पत्रकारिता का अनोखा संगम, जो हर कहानी को खास बनाता है।

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