
Gold Market Analysis: भारतीय बाजार में सोने की कीमतें इन दिनों आसमान छू रही हैं। वायदा बाजार में सोना ₹91,400 के पार पहुंच चुका है, जबकि दिल्ली के सर्राफा बाजार में इसकी कीमत ₹94,000 प्रति 10 ग्राम से अधिक हो गई है। निवेशकों को उम्मीद है कि जल्द ही सोना ₹1,00,000 प्रति 10 ग्राम के स्तर को पार कर सकता है। (Gold Market Analysis)लेकिन इसी बीच एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें दावा किया गया है कि सोने की कीमतें ₹55,000 तक गिर सकती हैं।
इस अनुमान ने गोल्ड मार्केट में हड़कंप मचा दिया है। सवाल उठता है कि क्या यह गिरावट सच में हो सकती है? या यह सिर्फ एक अफवाह भर है? आइए जानते हैं इस भविष्यवाणी के पीछे की पूरी कहानी और इसके असर।
क्या सोना ₹55,000 तक लुढ़क सकता है?
बीते कुछ महीनों में सोने की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है। वैश्विक और घरेलू बाजारों में इसकी कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। लेकिन अमेरिका स्थित मॉर्निंगस्टार के विश्लेषक जॉन मिल्स ने एक ऐसी भविष्यवाणी की है, जिसने बाजार को हिला कर रख दिया है।
मिल्स का दावा है कि आने वाले वर्षों में सोने की कीमतों में 38% की गिरावट हो सकती है। वर्तमान में सोना वैश्विक बाजार में $3,100 प्रति औंस पर कारोबार कर रहा है। अगर यह गिरावट सच साबित हुई, तो सोने की कीमत $1,820 प्रति औंस तक आ सकती है, जिससे भारतीय बाजार में सोना ₹55,000 प्रति 10 ग्राम तक गिर सकता है।
क्या हैं सोने की गिरावट के प्रमुख कारण?
मिल्स और अन्य विश्लेषकों के अनुसार, सोने की कीमतों में संभावित गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण हैं।
1. सोने की आपूर्ति में बढ़ोतरी
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माइनिंग प्रॉफिट बढ़कर $950 प्रति औंस हो चुका है।
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वैश्विक गोल्ड रिजर्व 9% बढ़कर 2,16,265 टन हो गया है।
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ऑस्ट्रेलिया और चीन ने सोने का उत्पादन बढ़ा दिया है।
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रीसाइकिल गोल्ड की सप्लाई भी बढ़ रही है, जिससे नई मांग कम हो सकती है।
2. केंद्रीय बैंकों की घटती डिमांड
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2023 में केंद्रीय बैंकों ने 1,045 टन सोना खरीदा, लेकिन अब वे खरीदारी कम कर सकते हैं।
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वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के सर्वे में पाया गया कि 71% केंद्रीय बैंक अब अपनी सोने की होल्डिंग बनाए रखना चाहते हैं या कम कर सकते हैं।
3. मार्केट का सैचुरेशन
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2024 में गोल्ड सेक्टर में मर्जर और अधिग्रहण में 32% की वृद्धि हुई है।
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गोल्ड ईटीएफ में भारी उछाल देखा गया है, जो कीमतों में करेक्शन से पहले के पैटर्न को दर्शाता है।
क्या सोने की कीमतें और बढ़ेंगी?
हालांकि, बैंक ऑफ अमेरिका (BoFA) और गोल्डमैन सैक्स जैसे बड़े फाइनेंशियल संस्थानों का मानना है कि सोने की कीमतें आगे और बढ़ सकती हैं।
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बैंक ऑफ अमेरिका का अनुमान: अगले दो वर्षों में सोना $3,500 प्रति औंस तक जा सकता है।
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गोल्डमैन सैक्स का अनुमान: साल के अंत तक सोना $3,300 प्रति औंस तक पहुंच सकता है।
इसका मतलब यह हुआ कि बाजार दो ध्रुवों में बंटा हुआ है—कुछ विशेषज्ञ गिरावट की भविष्यवाणी कर रहे हैं, तो कुछ और तेजी की उम्मीद जता रहे हैं।
भारतीय वायदा बाजार में सोने की चाल
गुरुवार को भारतीय वायदा बाजार MCX (Multi Commodity Exchange) में सोने की कीमतें नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं।
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दोपहर 3:35 बजे सोना ₹90,470 प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था।
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कारोबारी सत्र के दौरान सोना ₹91,423 प्रति 10 ग्राम के उच्चतम स्तर तक पहुंचा।
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सुबह का ओपनिंग प्राइस ₹91,230 प्रति 10 ग्राम था, जबकि एक दिन पहले सोना ₹90,728 पर बंद हुआ था।
यह स्पष्ट संकेत देता है कि बाजार में अभी भी भारी उतार-चढ़ाव बना हुआ है।
निवेशकों के लिए क्या करें—बेचना या खरीदना?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि निवेशकों को क्या करना चाहिए? क्या यह सोना बेचने का सही समय है या खरीदारी जारी रखनी चाहिए?
- अगर आप लॉन्ग टर्म निवेशक हैं—तो घबराने की जरूरत नहीं है। सोना ऐतिहासिक रूप से एक मजबूत निवेश रहा है, और कीमतों में गिरावट के बावजूद यह लंबी अवधि में अच्छा प्रदर्शन कर सकता है।
- अगर आप शॉर्ट टर्म निवेशक हैं—तो सतर्क रहें। यदि बाजार में तेजी बनी रहती है, तो सोना ₹1,00,000 प्रति 10 ग्राम तक जा सकता है। लेकिन अगर विश्लेषकों की भविष्यवाणी सही साबित हुई, तो कीमतों में भारी गिरावट भी संभव है।
- अगर कीमतें गिरती हैं—तो यह उन लोगों के लिए अच्छा अवसर होगा जो कम कीमत पर सोना खरीदना चाहते हैं।
क्या सोने का भविष्य सुरक्षित है?
सोने की कीमतें हाल ही में नए रिकॉर्ड बना रही हैं, लेकिन विश्लेषकों के अलग-अलग अनुमान बाजार को असमंजस में डाल रहे हैं।
अगर अमेरिकी विश्लेषकों की भविष्यवाणी सही साबित हुई, तो सोना गिरकर ₹55,000 प्रति 10 ग्राम तक आ सकता है। लेकिन अगर बड़े फाइनेंशियल संस्थानों के पूर्वानुमान सही हुए, तो यह ₹1,00,000 प्रति 10 ग्राम के स्तर को भी छू सकता है।
आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सोने की कीमतें किस दिशा में जाती हैं। निवेशकों को सतर्क रहना होगा और बाजार के संकेतों पर नजर बनाए रखनी होगी।
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