एफएमसीजी कंपनियों और डिस्ट्रीब्यूटर्स के अनुसार, चाय, खाद्य तेल, साबुन और स्किन क्रीम जैसे उत्पादों की कीमतों में 5-20% तक वृद्धि की संभावना है। यह पिछले 12 महीनों में कीमतों में सबसे बड़ी बढ़ोतरी होगी।
आयात शुल्क और उत्पादन लागत में वृद्धि
सितंबर में वेजिटेबल ऑयल पर आयात शुल्क में 22% और कैलेंडर वर्ष 2024 में 40% तक की वृद्धि के कारण कंपनियों की उत्पादन लागत बढ़ गई है। साथ ही, 2023 में चीनी, गेहूं के आटे और कॉफी जैसी वस्तुओं की लागत में भी उछाल आया।
पारले और अन्य कंपनियां कीमत बढ़ाने को मजबूर
पारले प्रोडक्ट्स के वाइस-प्रेजिडेंट मयंक शाह ने बताया कि कंपनी अपने पूरे पोर्टफोलियो में संशोधित कीमतों के साथ उत्पाद लॉन्च करने की तैयारी में है। अन्य कंपनियों जैसे एचयूएल, डाबर और नेस्ले ने भी अपने उत्पादों की कीमतों में वृद्धि की है।
ग्रामीण और शहरी मांग पर प्रभाव
ग्रामीण मांग में गिरावट के बावजूद अक्टूबर में एफएमसीजी बाजार में 4.3% की वृद्धि हुई। हालांकि, नवंबर में इसमें 4.8% की गिरावट दर्ज की गई। अधिकारियों का मानना है कि कीमतों में बढ़ोतरी से शहरी मांग पर बड़ा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन वॉल्यूम में कुछ कमी हो सकती है।
कॉफी और अन्य कमोडिटी की कीमतों में उछाल
नेस्कैफे के मुख्य घटक ग्रीन कॉफी की कीमत पिछले तीन वर्षों में तीन गुना बढ़ गई है। नेस्ले सहित कॉफी निर्माताओं ने हाल के महीनों में कीमतों में 20% तक वृद्धि की है।
दीर्घकालिक स्थिरता के लिए मूल्य वृद्धि आवश्यक
एफएमसीजी अधिकारियों का कहना है कि बढ़ती लागत के दबाव को कम करने और मार्जिन स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए कीमतों में बढ़ोतरी जरूरी है। मूल्य वृद्धि उपभोक्ता स्टेपल श्रेणियों में अपेक्षाकृत कम प्रभाव डालती है और उपभोक्ता इसे झेलने में सक्षम हैं।
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