CJI DY Chandrachud: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को न्यायपालिका के अपने गौरवशाली सफर का समापन करेंगे। (CJI DY Chandrachud) लेकिन उनके पास अभी पांच कार्यदिवस बाकी हैं, और इन दिनों में वह कई अहम और संवेदनशील मामलों पर अपने फैसले देंगे, जो भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में याद रखे जाएंगे। उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट की वैधता, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मुद्दे, और दिल्ली में पेड़ों की कटाई जैसे महत्वपूर्ण मामलों में जस्टिस चंद्रचूड़ का फैसला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक प्रभाव के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण होगा। 8 नवंबर, जो उनके कार्यकाल का आखिरी दिन है, इस बात का गवाह बनेगा कि देश की सर्वोच्च अदालत में इस महान न्यायाधीश ने किस तरह की न्यायिक दृष्टि छोड़ी है।
सुप्रीम कोर्ट में यूपी मदरसा एजुकेशन एक्ट और एएमयू का दर्जा विवाद
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन ऐक्ट को निरस्त करने के हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका पर फैसला देने वाली है। चीफ जस्टिस की बेंच ने इसपर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहा है, जिसमें हाई कोर्ट ने यूपी मदरसा एजुकेशन बोर्ड ऐक्ट 2004 को असंवैधानिक करार देते हुए खारिज कर दिया था।
क्या होगा AMU का दर्जा?
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक के दर्जे का मामला भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात-न्यायाधीशों की संवैधानिक बेंच के सामने इस मामले की सुनवाई हुई है और सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। 1967 में सुप्रीम कोर्ट ने अजीज पाशा केस में दिए फैसले में कहा था कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। यह फैसला पांच जजों की बेंच का था। इसके बाद 1981 में संसद में कानून में संशोधन किया गया था और एएमयू ऐक्ट 1920 में बदलाव कर एएमयू को अल्पसंख्यक दर्जा बहाल कर दिया। मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचा फिर सुप्रीम कोर्ट।
अन्य महत्वपूर्ण मामलों पर सुनवाई
दिल्ली के रिज इलाके में पेड़ काटे जाने के मामले की सुनवाई भी चल रही है। सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने पूछा है कि डीडीए के चेयरमैन और दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना और डीडीए के पूर्व वाइस चेयरमैन बताएं, उन्हें पेड़ काटे जाने की जानकारी कब मिली। अगली सुनवाई 5 नवंबर को होनी है।
लाइसेंस विवाद पर फैसला आने की उम्मीद
इसके अलावा, हल्के वाहन (एलएमवी) चलाने के लाइसेंसधारक क्या उसी वजन का ट्रांसपोर्ट वीकल चला सकता है, इस पर भी बेंच का फैसला आना है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह मामले में सुझाव ले रही है और राज्य सरकारों से इस बारे में बातचीत चल रही है।
भविष्य में आने वाले फैसलों का महत्व
इन सभी मामलों का निर्णय केवल संबंधित संस्थानों और समुदायों के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण होगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से न केवल कानूनी धारा प्रभावित होगी, बल्कि समाज में न्याय और समानता के सिद्धांतों पर भी असर पड़ेगा।
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