
Ashok Gehlot: राजस्थान में आईफा अवॉर्ड्स के आयोजन को लेकर सियासत गरमा गई है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली द्वारा विधानसभा में उठाए गए सवाल के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को बताना चाहिए कि 100 करोड़ रुपये के भारी-भरकम खर्च का जनता को क्या लाभ मिला। (Ashok Gehlot) उन्होंने आरोप लगाया कि यह आयोजन केवल चंद लोगों के मनोरंजन और सरकारी तामझाम तक सीमित रह गया, जबकि इसे पर्यटन बढ़ाने के नाम पर प्रचारित किया गया था।
धार्मिक स्थलों को नजरअंदाज करने का आरोप
विधानसभा में चर्चा के दौरान टीकाराम जूली ने सरकार की प्राथमिकताओं पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि जहां आईफा अवॉर्ड्स पर 100 करोड़ रुपये खर्च किए गए, वहीं राजस्थान के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों, जैसे खाटू श्याम जी और गोविंद देव जी मंदिरों के लिए सरकार के पास पर्याप्त बजट नहीं था। उन्होंने सरकार पर तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह आयोजन आम जनता के हित के बजाय केवल ब्रांडिंग और चमक-दमक तक सीमित रह गया।
जूली के बयान पर विवाद, बीजेपी ने कांग्रेस को घेरा
आईफा के सरकारी खर्च पर सवाल उठाते हुए नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि इस आयोजन में बॉलीवुड के बड़े सितारे नजर नहीं आए। उन्होंने कहा, “इसमें केवल शाहरुख खान जैसे कुछ नाम रहे, बाकी कोई बड़ा सितारा नहीं था। माधुरी दीक्षित अब फर्स्ट ग्रेड की अभिनेत्री नहीं रहीं, वे कभी लोकप्रिय थीं, लेकिन अब नहीं हैं।” उनके इस बयान पर विवाद बढ़ गया, और बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। बीजेपी नेताओं ने इसे न केवल कलाकारों का अपमान करार दिया, बल्कि कांग्रेस की मानसिकता पर भी सवाल उठाए।
‘जनता का पैसा बर्बाद, कलाकारों का अपमान’
भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर दोहरे रवैये का आरोप लगाते हुए कहा कि एक तरफ सरकार आईफा के नाम पर जनता के पैसों की बर्बादी कर रही है, और दूसरी तरफ कांग्रेस के ही नेता कलाकारों का सम्मान करने के बजाय उन्हें ‘सेकंड ग्रेड’ बता रहे हैं। बीजेपी प्रवक्ताओं ने कहा कि यह केवल एक फिल्मी आयोजन नहीं था, बल्कि इसे सरकारी पैसों से फंड किया गया था, इसलिए सरकार को इसका पूरा हिसाब देना चाहिए।
हर कलाकार का सम्मान जरूरी
विवाद बढ़ता देख अशोक गहलोत को खुद इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में कलाकार का कोई दर्जा नहीं होता और हर कलाकार का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को आईफा आयोजन में किए गए खर्च और उसके लाभों को लेकर जनता के सामने जवाब रखना चाहिए। गहलोत ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा कि अगर इतना बड़ा निवेश किया गया है, तो राज्य के पर्यटन को इससे क्या लाभ हुआ, इसका आंकलन जरूरी है।
आईफा पर बढ़ी सियासी तकरार….
आईफा आयोजन को लेकर राजस्थान की राजनीति में घमासान तेज हो गया है। जहां कांग्रेस इसे एक सफल आयोजन बताने की कोशिश कर रही है, वहीं बीजेपी इसे जनता के पैसे की बर्बादी करार दे रही है। दूसरी तरफ, टीकाराम जूली के बयान से कांग्रेस भी बैकफुट पर आ गई है और अशोक गहलोत को सामने आकर सफाई देनी पड़ी। सवाल यह है कि क्या सरकार आईफा के खर्चों की पारदर्शिता को लेकर कोई ठोस जवाब देगी या यह विवाद महज राजनीतिक बयानबाजी तक ही सीमित रहेगा?
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