A Mahabharat Secret: गांधारी…. बकरे की अनोखी शादी! जानिए क्या है इसके पीछे की अनोखी कथा!

A Mahabharat Secret: महाभारत के अनेक रोचक प्रसंग सदियों से लोगों की जुबान पर हैं, जिन्हें हम सुनते-सुनाते बड़े हुए हैं। लेकिन महाभारत की कुछ कथाएं ऐसी भी हैं, जिनके रहस्य से बहुत कम लोग वाकिफ हैं। इन्हीं अनजानी कथाओं में से एक है गांधारी और एक बकरे के विवाह की अद्भुत कहानी। यह घटना महाभारत के विशाल और जटिल ( A Mahabharat Secret)कथानक का एक हिस्सा है, जिसके बारे में आपने शायद ही कभी सुना या पढ़ा होगा।

गांधारी का बकरे से विवाह का यह प्रसंग न केवल रहस्यमय है बल्कि हमारे जीवन से भी एक गहरा संबंध रखता है। आइए, इस प्राचीन कथा के अनछुए पहलुओं को जानें और समझें कि कैसे यह कहानी आज भी हमारे लिए प्रासंगिक हो सकती है।

गांधारी का महत्व और धर्मनिष्ठा

महाभारत में गांधारी एक महत्वपूर्ण किरदार थीं, जिन्हें त्याग और धर्मनिष्ठा का प्रतीक माना जाता है। हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र की पत्नि के रूप में जानी जाने वाली गांधारी के जीवन से जुड़ी एक और अद्भुत घटना है, जिसमें उनकी बकरे से प्रतीकात्मक शादी हुई थी। इसके पीछे धार्मिक और ज्योतिषीय कारण बताए जाते हैं।

गांधारी को मांगलिक दोष

गांधारी गंधार नरेश राजा सुबल की पुत्री थीं। गंधार की राजकुमारी होने के कारण उनका नाम गांधारी पड़ा। राजा सुबल ने उनका विवाह हस्तिनापुर के राज धृतराष्ट्र से कराया था। लेकिन जब गांधारी का जन्म हुआ तो उनकी जन्म कुंडली बनाई गई, जिसमें ज्योतिषियों ने मांगलिक दोष का पता लगाया। ज्योतिष के अनुसार, मांगलिक दोष वाले व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में बाधाएं आ सकती हैं और उनके जीवनसाथी को किसी प्रकार की हानि हो सकती है। यहां तक कि पति-पत्नी में से किसी एक की मृत्यु भी हो सकती है।

बकरे से विवाह

मान्यता है कि इस मांगलिक दोष से मुक्त करने के लिए राजा सुबल ने पंडितों की सलाह पर गांधारी का विवाह एक बकरे से कराया था। इसके बाद उस बकरे की बलि दी गई। इसके बाद ही गांधार की राजकुमारी गांधारी का विवाह हस्तिनापुर के महाराजा धृतराष्ट्र के साथ संपन्न हुआ।

अपनी आंखों पर पट्टी बांधने की वजह

गांधारी भगवान शिव की बड़ी उपासक थीं। लेकिन जब उन्हें यह पता चला कि उनके होने वाले पति दृष्टिहीन हैं, तो उन्होंने भी अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली। उनका मानना था कि जब उनके पति दुनिया को नहीं देख सकते, तो उन्हें भी दुनिया देखने का कोई अधिकार नहीं है।

इस प्रकार, गांधारी का जीवन त्याग, धर्मनिष्ठा और निष्ठा का अद्वितीय उदाहरण है। उनकी कहानी महाभारत की अन्य कहानियों की तरह ही रहस्यमयी और प्रेरणादायक है।

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Bodh Saurabh

प्रिंट मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत करते हुए दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका और खास खबर.कॉम जैसे प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म्स पर काम किया। गुलाबी नगरी जयपुर का निवासी, जहां की सांस्कृतिक और राजनीतिक धड़कन को बारीकी से समझा। धर्म, राजनीति, शिक्षा, कला और एंटरटेनमेंट से जुड़ी कहानियों में न सिर्फ गहरी रुचि बल्कि समाज को जागरूक और प्रेरित करने का अनुभव। सकारात्मक बदलाव लाने वाली रिपोर्टिंग के जरिए समाज की नई दिशा तय करने की कोशिश। कला और पत्रकारिता का अनोखा संगम, जो हर कहानी को खास बनाता है।

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