राजेन्द्र राठौड़ को झुंझुनूं से दूर रखने की रणनीति: जाट बनाम राजपूत की राजनीति से बचने का प्रयास”
पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेता राजेन्द्र राठौड़ को उपचुनाव में झुंझुनूं सीट से दूर रखने का फैसला किया है। शेखावाटी क्षेत्र के बड़े नेता माने जाने वाले राठौड़ की पूरी राजनीति इस क्षेत्र से जुड़ी है, लेकिन लोकसभा चुनाव में चूरू लोकसभा सीट पर उनकी और राहुल कस्वां के बीच प्रतिस्पर्धा के कारण पार्टी को नुकसान हुआ था। इसे ध्यान में रखते हुए, बीजेपी ने राठौड़ को झुंझुनूं सीट पर प्रचार के लिए नहीं भेजने का निर्णय लिया है।
पार्टी द्वारा जारी चुनावी कार्यक्रम के अनुसार, राठौड़ 6 नवंबर को दौसा, 7 नवंबर को सलूंबर और 8 नवंबर को चौरासी विधानसभा सीट पर प्रचार करेंगे, लेकिन झुंझुनूं और खींवसर सीटों पर उनका प्रचार कार्यक्रम नहीं रखा गया है। इन दोनों सीटों पर जाट बहुल जनसंख्या है, और पार्टी को डर है कि राठौड़ को इन सीटों पर भेजने से चुनावी माहौल जाट बनाम राजपूत में तब्दील हो सकता है, जो पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
सतीश पूनिया ने दौसा से बनाई दूरी: पुराने राजनीतिक मतभेदों के कारण प्रचार से बाहर”
पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया इस उपचुनाव में 5 से 6 सीटों पर प्रचार कर रहे हैं, लेकिन वे दौसा सीट पर प्रचार के लिए नहीं जाएंगे। पार्टी द्वारा जारी चुनावी कार्यक्रम के अनुसार, सतीश पूनिया 6 नवंबर को झुंझुनूं, 7 नवंबर को रामगढ़, 8 नवंबर को खींवसर, 9 नवंबर को देवली-उनियारा और 10 नवंबर को सलूंबर में चुनाव प्रचार करेंगे। हालांकि, उनका दौसा विधानसभा सीट पर प्रचार करने का कोई कार्यक्रम जारी नहीं हुआ है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पूनिया का दौसा से दूर रहना, वहां के सीट समीकरण और प्रत्याशी की मांग के कारण है। इसके अलावा, दौसा में पूनिया और किरोड़ी लाल मीणा के बीच पुरानी खींचतान भी एक प्रमुख कारण है, जो इस निर्णय के पीछे छिपी हो सकती है।
किरोड़ी लाल मीणा दौसा में भाई के प्रचार में व्यस्त, आदिवासी सीटों पर स्थानीय नेताओं का बढ़ा प्रभाव”
राज्य की सात विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में सलूंबर और चौरासी सीटें पूरी तरह से आदिवासी सीटें मानी जाती हैं। बीजेपी के पास प्रदेश में आदिवासी समाज के बड़े नेता के रूप में किरोड़ी लाल मीणा का ही नाम आता है, लेकिन वह इस समय दौसा में अपने भाई जगमोहन मीणा के प्रचार में व्यस्त हैं। पार्टी ने भी उन्हें दौसा के बाहर प्रचार के लिए नहीं भेजा है।
इस कारण, सलूंबर और चौरासी सीटों पर पार्टी की ओर से मंत्री बाबूलाल खराड़ी और अन्य स्थानीय नेताओं ने चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभाल रखी है। इस स्थिति में, यह देखा जा रहा है कि आदिवासी सीटों पर स्थानीय नेतृत्व को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है।
सीएम भजनलाल शर्मा, दीया कुमारी और मदन राठौड़ की संयुक्त प्रचार यात्रा: सभी 7 सीटों पर होगा प्रचार”
राजस्थान उपचुनाव में बीजेपी ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ को सभी सातों सीटों पर प्रचार करने की जिम्मेदारी दी है। सीएम भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ साथ में सभी सीटों पर जनसभाओं को संबोधित करेंगे। पार्टी के कार्यक्रम के अनुसार, दोनों नेता 8 नवंबर को देवली-उनियारा, 9 नवंबर को झुंझुनूं और खींवसर, 10 नवंबर को रामगढ़ और दौसा, और 11 नवंबर को चौरासी और सलूंबर में प्रचार करेंगे।
वहीं, उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी पहले ही खींवसर, देवली-उनियारा, रामगढ़ और झुंझुनूं में प्रचार कर चुकी हैं। 7 नवंबर को वह दौसा में प्रचार करने के लिए जाएंगी, और इसके बाद उनका सलूंबर और चौरासी जाने का कार्यक्रम भी प्रस्तावित है।
सामाजिक सम्मेलन और स्नेह मिलन समारोह: बीजेपी का जातिगत समीकरण साधने की रणनीति”
बीजेपी उपचुनाव में सभी छोटी-बड़ी जातियों और समाजों को साधने के लिए लगातार सम्मेलन और स्नेह मिलन समारोह आयोजित कर रही है। इन कार्यक्रमों में विभिन्न जातियों के बड़े नेता शामिल होकर समाज से बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में मतदान की अपील कर रहे हैं।
पार्टी के झुंझुनूं और खींवसर में एसटी मोर्चे के सम्मेलन को केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल संबोधित करेंगे। वहीं, झुंझुनूं और खींवसर सीट पर आयोजित किसान सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी किसान मोर्चे के प्रदेशाध्यक्ष भागीरथ चौधरी भी शामिल होंगे।
इसके अलावा, पार्टी उपचुनाव वाली सीटों पर विभिन्न जातियों के स्नेह मिलन समारोह भी आयोजित करवा रही है, जिनमें उस जाति के प्रमुख नेता शिरकत कर रहे हैं।
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