भारत की जमीन के नीचे तबाही की आहट! टूट रही है प्लेट, बदल सकता है एशिया का नक्शा!

Tectonic Plate split under India: क्या आपने कभी सोचा है कि हमारी धरती का चेहरा ही बदल सकता है? न कोई युद्ध, न कोई राजनीतिक फैसला…लेकिन फिर भी नक्शा बदल जाएगा! ये कोई साइंस फिक्शन नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक सच्चाई है, जो हालिया रिसर्च में सामने आई है।

धरती के नीचे चल रही खामोश हलचल अब बड़े भूचाल का इशारा कर रही है। (Tectonic Plate split under India)भारत की ज़मीन जिस टेक्टॉनिक प्लेट पर टिकी है, वो अब दो हिस्सों में बंटने की ओर बढ़ रही है। ज़रा सोचिए, अगर ये सिलसिला यूं ही चलता रहा तो एशिया का भूगोल ही हमेशा के लिए बदल जाएगा। नदियों की दिशा, पहाड़ों की ऊंचाई और शहरों की स्थिति तक बदल सकती है। और ये सब होगा धरती के भीतर हो रही एक अदृश्य लड़ाई के कारण, जिसका असर आने वाले वर्षों में हर इंसान की ज़िंदगी पर पड़ेगा।

बताते हैं इस रिसर्च के चौंकाने वाले खुलासे…

क्या कहती है रिसर्च?

धरती के भीतर खामोशी से चल रही एक प्रक्रिया अब वैज्ञानिकों की चिंता का कारण बन गई है। अमेरिका की प्रतिष्ठित संस्था अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन (American Geophysical Union) ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। वैज्ञानिकों की मानें तो भारत के नीचे मौजूद टेक्टॉनिक प्लेट अब दो हिस्सों में टूट रही है। इसका एक हिस्सा धरती के कोर यानी केंद्र की ओर धंस सकता है। यह एक गंभीर भूगर्भीय संकेत है, जो आने वाले समय में धरती की संरचना तक को बदल सकता है।

 क्या होती हैं टेक्टॉनिक प्लेट्स?

धरती कुल 7 बड़ी टेक्टॉनिक प्लेट्स पर टिकी है। ये प्लेट्स लगातार सरकती रहती हैं और जब ये आपस में टकराती हैं, तो भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट जैसी घटनाएं होती हैं। भारत जिस प्लेट पर स्थित है, वह प्लेट पिछले 6 करोड़ सालों से यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है। यूरेशियन प्लेट एशिया और यूरोप के कुछ हिस्सों को जोड़ती है।

 डिलैमिनेशन की प्रक्रिया क्या है?

वैज्ञानिकों ने बताया है कि इस टकराव के कारण भारतीय प्लेट “डिलैमिनेशन” नामक प्रक्रिया से गुजर रही है। इस प्रक्रिया में प्लेट का वो हिस्सा जिसका घनत्व ज्यादा होता है, वह नीचे धरती के अंदर धंसता जाता है। यही कारण है कि प्लेट में दरारें आने लगी हैं और इसके टूटने का खतरा बढ़ गया है।

 भूकंप का खतरा क्यों बढ़ा?

रिसर्च में यह भी सामने आया है कि जैसे-जैसे प्लेट नीचे धंसती है, वैसे-वैसे उसकी स्थिरता (stability) कमजोर होती जाती है। इससे हिमालयी क्षेत्र में भूकंप की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के जियोफिजिसिस्ट साइमन क्लेम्परर का कहना है कि हिमालय पहले से ही भारी टेक्टॉनिक दबाव में है, और प्लेट में दरारें इस क्षेत्र को और अधिक संवेदनशील बना रही हैं।

 क्या सच में बदल जाएगा धरती का नक्शा?

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह टूटने की प्रक्रिया अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन इसके संकेत बेहद गंभीर हैं। अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो भविष्य में भारत समेत एशिया का भौगोलिक नक्शा ही बदल सकता है। नदियों के रास्ते, पहाड़ों की दिशा और ज़मीन की बनावट तक में बड़े बदलाव आ सकते हैं।

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Bodh Saurabh

Bodh Saurabh, a journalist from Jaipur, began his career in print media, working with Dainik Bhaskar, Rajasthan Patrika, and Khaas Khabar.com. With a deep understanding of culture and politics, he focuses on stories related to religion, education, art, and entertainment, aiming to inspire positive change through impactful reporting.

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