
Men’s Suicide Cases in India: एक और दिन… एक और आत्महत्या… एक और बेटा अपनी मां से दूर… एक और पिता अपने कंधों पर जवान बेटे की अर्थी उठाने को मजबूर… एक और भाई जिसने अपना हमदर्द खो दिया… गौरव कुमार की मौत सिर्फ एक घटना नहीं है, बल्कि उस समाज का कड़वा आईना है, जहां जब कोई बेटी रोती है तो पूरा देश उसके लिए खड़ा हो जाता है, लेकिन जब कोई बेटा अपनी पीड़ा बयां करता है, (Men’s Suicide Cases in India)तो उसे “कमजोर” कहकर चुप करा दिया जाता है।
शादी नहीं, दर्द का सौदा मिला
“मां, मैं हार गया…” यह शब्द गौरव कुमार के आखिरी थे। सम्भल के इस युवक ने सपने देखे थे – एक खूबसूरत जिंदगी के, एक खुशहाल परिवार के। लेकिन शादी के बाद उसे जो मिला, वह सिर्फ मानसिक यातना, अपमान और धमकियां थीं। पत्नी प्रिया मायके चली गई, पैसों की मांग करने लगी और जब गौरव ने इनकार किया, तो दहेज उत्पीड़न के केस की धमकी दी। एक बेटे को जब अपनी मां से दूर किया जाता है, तो उसकी दुनिया ही उजड़ जाती है। गौरव भी अंदर ही अंदर टूटता गया। आखिरकार, एक दिन उसने जहर खा लिया… और हमेशा के लिए सो गया। पिता कृष्णपाल की आंखों में अब भी बेटे की तस्वीर घूमती है। वे कह रहे हैं, “मैंने उसे हर मुमकिन तरीके से समझाया, लेकिन वह बस एक ही बात कहता था – पापा, अब मुझसे और नहीं सहा जाता।”
जिसने प्यार किया, उसी ने तोड़ दिया
आगरा का आईटी प्रोफेशनल मानव शर्मा भी गौरव की तरह अंदर ही अंदर घुट रहा था। पत्नी निकिता पर आंख मूंदकर भरोसा किया, लेकिन उसे धोखा मिला। जब उसे सच का पता चला, तो उसने किसी से कुछ नहीं कहा – सिर्फ एक वीडियो बनाया और फिर आत्महत्या कर ली। वीडियो में उसकी आंखों में आंसू थे, लेकिन शब्दों में सिर्फ एक शिकायत – “मैंने उसे अपनी दुनिया बना लिया, लेकिन उसके लिए मैं कुछ भी नहीं था।” जब वह इस दुनिया से चला गया, तब जाकर लोगों को अहसास हुआ कि प्यार में मिले धोखे का दर्द सिर्फ एक लड़की ही नहीं, बल्कि एक लड़का भी झेल सकता है।
बेवफाई के जहर से टूटा रिश्ता
बरेली के बैंककर्मी राजेंद्र पाल का क्या कसूर था? यही कि उसने अपनी पत्नी से सच्चा प्यार किया? अपनी जिंदगी की हर खुशी उसे देनी चाही? लेकिन जब उसने अपनी पत्नी को किसी और के साथ देखा, तो उसकी दुनिया बिखर गई। कितना दर्द होता है जब वही शख्स, जिसके साथ आपने जिंदगी बिताने के सपने देखे, किसी और के साथ नई दुनिया बसा ले? राजेंद्र को यह सहन नहीं हुआ… और उसने मौत को गले लगा लिया।
90 मिनट का दर्द, जिसे किसी ने नहीं सुना
बेंगलुरु में आत्महत्या करने वाले अतुल सुभाष ने मरने से पहले 90 मिनट का एक वीडियो बनाया था। 90 मिनट… एक इंसान का दर्द, उसकी चीखें, उसकी बेबसी… लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया। उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा था – “काश! मैं भी बेटी होता, तो शायद मेरी बात सुनी जाती।” यह एक समाज के मुंह पर तमाचा है, जो हमेशा बेटियों की सुरक्षा की बात करता है, लेकिन बेटों के दर्द पर कभी ध्यान नहीं देता।
“मर्द को दर्द होता है… लेकिन उसे रोने की इजाजत नहीं”
गौरव, मानव, राजेंद्र, अतुल… ये चार नाम हैं, लेकिन इन जैसे न जाने कितने बेटे हर दिन इस दुनिया को अलविदा कह देते हैं।
क्यों?
क्योंकि जब एक पत्नी अपने पति पर झूठे आरोप लगाती है, तो उसे समाज में हमेशा सही माना जाता है। क्योंकि जब एक पति रोता है, तो उसे ‘कमजोर’ कहा जाता है। क्योंकि जब एक बेटा तकलीफ में होता है, तो उससे कहा जाता है – “तू मर्द है, तुझे सहना पड़ेगा।” लेकिन कब तक?
कब तक उनके पिता उनकी अर्थी उठाते रहेंगे? कब तक समाज उनकी चीखों को अनसुना करता रहेगा? शायद, जब अगला गौरव आत्महत्या करेगा… शायद, जब एक और मानव अपनी जिंदगी खत्म करेगा.. शायद, जब एक और राजेंद्र बेवफाई का शिकार होगा… शायद, जब एक और अतुल 90 मिनट का वीडियो बनाएगा… तब भी हम सिर्फ देखेंगे, सुनेंगे, और फिर भूल जाएंगे…
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