
Mahakumbh Stampede : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। मंगलवार रात 1.30 बजे महाकुंभ के श्रद्धालुओं की भीड़ में अचानक भगदड़ मचने से राजस्थान के तीन श्रद्धालुओं की जान चली गई। यह दर्दनाक घटना उस समय घटी जब ये श्रद्धालु मौनी अमावस्या के पवित्र स्नान के लिए संगम तट पर पहुंचे थे। (Mahakumbh Stampede )इस दुर्घटना में अजमेर की निहाली देवी (60), जयपुर के नाथूलाल टोडावत (75) और धौलपुर के बलदेव सिंह (58) की दुखद मौत हो गई। यह हादसा महाकुंभ के उल्लास और आस्था के माहौल में एक काले धब्बे की तरह सामने आया है, जिसने न केवल परिवारों को गहरे दुख में डुबो दिया, बल्कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
निहाली देवी का शव लखनऊ में मिला
महाकुंभ के दौरान हुई भगदड़ में एक और दिल दहला देने वाला दृश्य सामने आया जब रामनारायण अपनी पत्नी निहाली देवी को ढूंढते रह गए, लेकिन वह कहीं नहीं मिलीं। रामनारायण ने हर जगह अपनी पत्नी को ढूंढा, पर उनका कोई पता नहीं चला। अंत में, 29 जनवरी को उन्हें कंट्रोल रूम से सूचना मिली कि निहाली देवी का शव लखनऊ के एक अस्पताल में है। रामनारायण तुरंत लखनऊ पहुंचे और वहां से अपनी पत्नी का शव एंबुलेंस में लेकर गुरुवार दोपहर 1 बजे अपने गांव लौटे।
धौलपुर के बलदेव सिंह की मौत… परिवार का दुख
भगदड़ में धौलपुर के बलदेव सिंह की भी मौत हो गई। वे स्नान करके लौट रहे थे और महाकुंभ में अपने 5 साथियों के साथ गए थे। अब उनका परिवार उनके शव को लेकर शुक्रवार सुबह तक धौलपुर पहुंचेगा। यह घटना न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि महाकुंभ में आए अन्य श्रद्धालुओं के लिए भी एक गहरे सदमे का कारण बनी है।
जयपुर की महिला सुप्यार देवी भी गायब
महाकुंभ में राजस्थान से गए कुछ श्रद्धालु अभी भी लापता हैं। जयपुर के भांकरोटा से 60 साल की महिला सुप्यार देवी 2 दिन से लापता हैं। वे अपने पति दुर्गालाल मीणा के साथ कुंभ स्नान के लिए गई थीं और भगदड़ के बाद से उनका कोई पता नहीं चल रहा। पति ने प्रयागराज के समुद्र कूप थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई है। सुप्यार देवी के बेटे ने जयपुर से अपनी मां की तलाश के लिए प्रयागराज जाने का निर्णय लिया है।
पाली की प्यारी देवी की लापता स्थिति और पुनर्मिलन
पाली की प्यारी देवी (70) भी महाकुंभ में 29 जनवरी को हुई भगदड़ के दौरान अपने ग्रुप से बिछड़ गईं। हालांकि, वह बाद में राजपूती ड्रेस में एक समूह से मिलीं और अपनी आपबीती साझा की। उन्होंने कहा कि वे अपने साथियों से बिछड़ गई थीं और उनके पास मोबाइल नंबर नहीं थे। इसके बाद, उनके समूह ने उन्हें अपनी मदद से बस में बिठाया और गुरुवार सुबह रवाना किया। अंत में, प्यारी देवी अपने घर पाली पहुंच गईं और उनके परिजनों से संपर्क कर उनके साथ जुड़ने में सफल रही।