Budget 2025: करदाताओं की राहत … भारत को वैश्विक आर्थिक नेतृत्व में स्थापित करने की रणनीति

Budget 2025: भारत के लिए 2025 का केंद्रीय बजट देश की उम्मीदों और चुनौतियों के बीच एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आने वाला है। यह न केवल सरकारी नीतियों और प्राथमिकताओं का प्रतीक बनेगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा देने का आधार भी तैयार करेगा। वैश्विक अनिश्चितताओं और घरेलू आर्थिक दबावों के बीच, (Budget 2025)यह बजट उन योजनाओं का खाका प्रस्तुत करेगा, जो अगले दशक में भारत को एक मजबूत और स्थिर अर्थव्यवस्था में तब्दील कर सकती हैं।

आगामी बजट की महत्वता इस तथ्य में छिपी है कि यह ऐसे समय में आ रहा है, जब देश आर्थिक वृद्धि के नए आयामों को छूने के लिए तैयार है, लेकिन इसे पूरा करने के लिए मजबूत नीतिगत कदमों की आवश्यकता है। पिछली तिमाही में धीमी विकास दर ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि खपत को बढ़ावा देना और निवेश को प्रोत्साहित करना समय की मांग है।

कल्पना कीजिए, एक ऐसा बजट जो न केवल वित्तीय आंकड़ों का पुलिंदा हो, बल्कि हर भारतीय के सपनों को साकार करने का वादा भी करे। क्या यह बजट किसानों की फसल को नई ऊंचाई देगा? क्या यह युवा उद्यमियों के लिए नए रास्ते खोलेगा? क्या इसमें हर व्यक्ति के जीवन स्तर को बेहतर बनाने का समाधान छिपा होगा?

2025 का केंद्रीय बजट, एक नई ऊर्जा और दृष्टिकोण के साथ, इन सवालों का उत्तर देने का प्रयास करेगा। यह बजट केवल आर्थिक सुधारों का दस्तावेज नहीं होगा, बल्कि भारत को विश्व मंच पर एक आत्मनिर्भर और सशक्त राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का रोडमैप भी होगा। आइए, इस ऐतिहासिक क्षण की उलटी गिनती के साथ उम्मीदों और संभावनाओं की इस यात्रा का हिस्सा बनें।

भारत की धीमी आर्थिक वृद्धि: चुनौतियां और संभावनाएं

दूसरी तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि अप्रत्याशित रूप से धीमी होकर 5.4% पर आ गई। इसका मुख्य कारण कमजोर पूंजी निर्माण, भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं, और बाधित आपूर्ति श्रृंखलाओं के बीच निर्यात प्रदर्शन में गिरावट है। इसके साथ ही, खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों ने खुदरा मुद्रास्फीति को अस्थिर बनाए रखा। अक्टूबर 2024 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) 6.21% पर पहुंच गया, जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की 6% की ऊपरी सीमा से ऊपर है। फरवरी 2023 से नीतिगत दरों को 6.5% पर बनाए रखने के बावजूद महंगाई एक सतत चुनौती बनी हुई है।

बजट 2025: पांच बड़ी उम्मीदें

 व्यक्तियों के लिए टैक्स से राहत

उद्योग जगत और व्यक्तिगत करदाताओं ने आयकर स्लैब में बदलाव की मांग की है। 20 लाख रुपये तक की आय पर राहत प्रदान करने से न केवल करदाताओं के पास अधिक डिस्पोजेबल आय होगी, बल्कि यह खपत में वृद्धि का माध्यम भी बनेगी।

 फ्यूल पर एक्साइज ड्यूटी को कम करना

वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद, फ्यूल की कीमतों पर उच्च उत्पाद शुल्क का भार बना हुआ है। पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कमी से महंगाई पर अंकुश लगेगा और निम्न आय वाले परिवारों के जीवन स्तर में सुधार होगा।

 रोजगार-प्रधान क्षेत्रों को बढ़ावा देना

रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए बजट में वस्त्र, जूते, पर्यटन, फर्नीचर और एमएसएमई जैसे रोजगार-प्रधान क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। इन उपायों से भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

ग्रामीण उपभोग और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना

ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए खपत बढ़ाना और खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता देना अत्यावश्यक है। इन पहलों से ग्रामीण भारत में स्थिरता और विकास को बढ़ावा मिलेगा।

 चीन द्वारा डंपिंग से निपटना

भारतीय उद्योगों को वैश्विक बाजारों में चीन द्वारा अतिरिक्त स्टॉक डंपिंग से चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इस पर अंकुश लगाने के लिए कड़े आयात नियम और भारतीय उद्योगों के लिए संरक्षण उपाय आवश्यक हैं।

बजट 2025 इन अपेक्षाओं को पूरा करके देश को आर्थिक सुधार और समृद्धि के नए दौर की ओर ले जाने में सहायक हो सकता है।

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Bodh Saurabh

प्रिंट मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत करते हुए दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका और खास खबर.कॉम जैसे प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म्स पर काम किया। गुलाबी नगरी जयपुर का निवासी, जहां की सांस्कृतिक और राजनीतिक धड़कन को बारीकी से समझा। धर्म, राजनीति, शिक्षा, कला और एंटरटेनमेंट से जुड़ी कहानियों में न सिर्फ गहरी रुचि बल्कि समाज को जागरूक और प्रेरित करने का अनुभव। सकारात्मक बदलाव लाने वाली रिपोर्टिंग के जरिए समाज की नई दिशा तय करने की कोशिश। कला और पत्रकारिता का अनोखा संगम, जो हर कहानी को खास बनाता है।

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