Fortis Hospital Jaipur Kidney Transplant Scam: चिकित्सा जगत को मानवता की सेवा का सबसे पवित्र पेशा माना जाता है, लेकिन जब इस पेशे में फर्जीवाड़े का आरोप लगता है, तो भरोसा हिल जाता है।(Fortis Hospital Jaipur Kidney Transplant Scam) जयपुर के फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टर ज्योति बंसल पर लगे फर्जी एनओसी के आधार पर किडनी ट्रांसप्लांट के गंभीर आरोप ने चिकित्सा जगत को झकझोर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में डॉक्टर की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा— “हम गिरफ्तारी का आदेश नहीं दे रहे, लेकिन आंखें बंद भी नहीं कर सकते।” जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ का यह निर्णय इस मामले की गंभीरता और न्याय की पारदर्शिता को उजागर करता है।
किडनी निकालने के आरोप ने खड़ा किया गंभीर सवाल
फोर्टिस अस्पताल, जयपुर में कुछ मरीजों की किडनी निकालने का आरोप ने चिकित्सा जगत में तहलका मचा दिया है। यह सवाल उठता है कि क्या कोई मरीज घर लौटकर यह सुनिश्चित कर सकता है कि उसकी किडनी सुरक्षित है या नहीं। अदालत ने इसे बेहद गंभीर मामला मानते हुए जांच की आवश्यकता पर जोर दिया।
सहमति के बावजूद फर्जीवाड़े का आरोप
याचिकाकर्ता के वकील का कहना था कि किडनी ट्रांसप्लांट सहमति और एनओसी के आधार पर किया गया था। सरकारी अधिकारियों द्वारा एनओसी जारी की जाती है, और अस्पताल प्रबंधन को पहले ही जमानत मिल चुकी है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए मामले की अनदेखी करने से इनकार कर दिया कि यह लोगों के जीवन और अस्पतालों पर उनके भरोसे का मामला है।
जांच प्रभावित होने का खतरा: सरकार का पक्ष
राज्य सरकार ने अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने मामले में सक्रिय भूमिका निभाई है, और जमानत मिलने से जांच प्रभावित होगी। अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने अदालत को सूचित किया कि इस मामले में एसआईटी को गहन जांच करनी होगी।
एसीबी की कार्रवाई और खुलासे
31 मार्च 2024 को एसीबी ने एसएमएस अस्पताल में सहायक प्रशासनिक अधिकारी और ईएचसीसी अस्पताल के को-ऑर्डिनेटर को रिश्वत लेते पकड़ा। इस कार्रवाई में 70 हजार रुपये और तीन फर्जी एनओसी बरामद हुए। इसके बाद की जांच में फोर्टिस अस्पताल के को-ऑर्डिनेटर, डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ और दलालों की संलिप्तता सामने आई।
गिरफ्तारियां और हाईकोर्ट से जमानत
मई 2024 में फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टर जितेंद्र गोस्वामी, संदीप गुप्ता और नर्सिंग स्टाफ भानु लववंशी को एसआईटी ने गिरफ्तार किया। हालांकि, दो महीने पहले हाईकोर्ट ने इन्हें जमानत दे दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने जताई गंभीर चिंता
डॉ. ज्योति बंसल की अग्रिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह गिरफ्तारी का आदेश नहीं दे रहे हैं, लेकिन इस गंभीर मामले को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह उन लोगों के जीवन का मामला है, जो अस्पतालों पर भरोसा करते हैं।
संदेह के घेरे में चिकित्सा जगत की साख
इस मामले ने अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना न केवल कानून व्यवस्था बल्कि चिकित्सा क्षेत्र में नैतिकता की कमी को भी उजागर करती है। जांच के निष्कर्ष से ही भविष्य की चिकित्सा प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की उम्मीद बंधती है।
ये भी पढ़े :