अब सिर्फ पुरुष नहीं, महिलाएं भी कर रही हैं पूजा-पाठ! शादी और अंतिम संस्कार कराने वाली महिला पुरोहित

Udaipur News: हिंदू धर्म में पंडितों की भूमिका जन्म से लेकर मृत्यु तक बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। चाहे शादी हो, गृह प्रवेश हो, या फिर अंतिम संस्कार….हर संस्कार में पुरुष पंडितों की ही प्रधानता रही है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कोई महिला भी ये सभी धार्मिक क्रियाएं संपन्न करवा सकती है?

राजस्थान के उदयपुर में 64 वर्षीय सरला गुप्ता इस परंपरा को तोड़ते हुए न केवल विवाह और गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्यों का संचालन कर रही हैं, बल्कि अंतिम संस्कार जैसे जटिल कर्मकांडों को भी (Udaipur News) विधि-विधान से संपन्न करवा रही हैं। 2016 में शुरू किए गए इस सफर में उन्होंने न केवल खुद को साबित किया, बल्कि अन्य महिलाओं को भी वैदिक मंत्रों की शिक्षा देकर इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।


आर्य समाज की शिक्षा बनी मार्गदर्शक

सरला गुप्ता का बचपन एक ऐसे परिवार में बीता, जहां आर्य समाज की गहरी मान्यताएं थीं। घर में नियमित रूप से हवन होते थे, जिससे बचपन से ही उन्होंने वैदिक मंत्रों का ज्ञान प्राप्त कर लिया था। लेकिन उस समय शायद उन्होंने यह नहीं सोचा होगा कि एक दिन वे खुद पुरोहित बन जाएंगी!

जब उन्होंने पुरोहित बनने का विचार अपने पति राजकुमार गुप्ता से साझा किया, तो उन्हें न सिर्फ सहमति मिली, बल्कि पूरा सहयोग भी मिला। उन्होंने विधिवत प्रशिक्षण लेकर विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञ और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों की जिम्मेदारी संभाल ली।


50 से ज्यादा विवाह, अब समाज की पहली पसंद

सरला गुप्ता की विद्वता और मंत्रों के शुद्ध उच्चारण ने लोगों का विश्वास जीत लिया। अब तक वे 50 से ज्यादा विवाह संपन्न करवा चुकी हैं और उदयपुर ही नहीं, बल्कि अन्य शहरों से भी उन्हें आमंत्रण मिलते हैं। उनकी पंडिताई की शैली और शुद्ध वैदिक रीति-रिवाजों का पालन उन्हें औरों से अलग बनाता है।

 राजस्थान की महिला पंडित जो शादी से


कोरोना काल में समाज के लिए मिसाल बनीं

साल 2020 में जब महामारी के कारण दुनिया ठहर गई थी, तब सरला गुप्ता ने समाज के लिए कुछ ऐसा किया, जिसे देख सब चौंक गए। उनके एक रिश्तेदार की मृत्यु हो गई थी, लेकिन डर के कारण कोई भी अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में भाग लेने को तैयार नहीं था। ऐसे कठिन समय में उन्होंने अपने पति के सहयोग से पूरे विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार की प्रक्रिया संपन्न करवाई। Hindu Priest Womanयहीं से उनके जीवन में एक नया मोड़ आया…अब वे अंतिम संस्कार भी करवाने लगीं, और लोगों को समझाने लगीं कि यह केवल पुरुषों का काम नहीं है।


अंतिम संस्कार की दक्षिणा से करती हैं परोपकार

सरला गुप्ता ने अपने इस कार्य को व्यवसाय नहीं बनाया। उनके पति बताते हैं कि वे अंतिम संस्कार से मिलने वाली दान-दक्षिणा को पूरी तरह परोपकार में लगा देते हैं। वे इस धन से पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करते हैं और जरूरतमंदों की सहायता करते हैं।


 | Rajasthan Udaipur woman  Pandit Sarla Gupta Performs ...

धर्म के क्षेत्र में नया इतिहास लिख रही हैं

जहां अब भी समाज के कई हिस्सों में महिलाओं को धार्मिक कार्यों से दूर रखा जाता है, वहीं सरला गुप्ता ने न केवल खुद को स्थापित किया, बल्कि एक नई पीढ़ी को भी प्रेरित किया। उनके प्रयासों से अब कई अन्य महिलाएं भी गृह प्रवेश, विवाह और यज्ञ करवाने लगी हैं।

यह कहानी सिर्फ एक महिला की नहीं, बल्कि समाज में बदलाव की एक नई लहर है—जहां परंपराओं का सम्मान करते हुए भी नई राह बनाई जा रही है। सरला गुप्ता इस बात का उदाहरण हैं कि अगर सच्ची श्रद्धा और ज्ञान हो, तो धर्म और परंपराओं की सीमाएं भी आपके आगे झुक जाती हैं

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Bodh Saurabh

Bodh Saurabh, a journalist from Jaipur, began his career in print media, working with Dainik Bhaskar, Rajasthan Patrika, and Khaas Khabar.com. With a deep understanding of culture and politics, he focuses on stories related to religion, education, art, and entertainment, aiming to inspire positive change through impactful reporting.

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