मकर संक्रांति विशेष.. सोने की पतंग संग गोविंद देव जी मंदिर में उमड़ी भक्तों की भावनाओं की बयार

Makar Sankranti 2025: जयपुर के गोविंद देव जी मंदिर में मकर संक्रांति का त्योहार इस बार कुछ खास अंदाज में मनाया गया। ठाकुरजी ने जहां सोने की पतंग उड़ाकर भक्तों को मोहित किया, वहीं राधा रानी ने प्रेमपूर्वक चरखी संभाली। यह अद्भुत दृश्य मानो भक्तों के दिलों में आस्था की नई उड़ान भरने जैसा था। पारंपरिक गीतों और नृत्य की गूंज से मंदिर परिसर एक (Makar Sankranti 2025) भक्तिमय उत्सव में बदल गया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इन खास पलों के वीडियो इस बात के साक्षी हैं कि जयपुरवासियों के आराध्य गोविंद देव जी ने कैसे इस पर्व को यादगार बना दिया। आइए, इस अनोखे अवसर की झलकियों में डूबते हैं।

मकर संक्रांति: आस्था, परंपरा और उल्लास का संगम

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और उल्लास का प्रतीक है। हर साल पौष मास में मनाया जाने वाला यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश और ऋतु परिवर्तन का उत्सव है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इसे खिचड़ी, पोंगल और लोहड़ी जैसे नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। राजस्थान में इस दिन तिल-गुड़ का दान, ब्रह्म मुहूर्त में पूजा और पतंगबाजी के माध्यम से आस्था और उत्साह का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। माना जाता है कि इस दिन दान-पुण्य करने से पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

गोविंद देव जी मंदिर…जयपुर की आस्था का ध्रुव तारा

जयपुर का गोविंद देव जी मंदिर, राजस्थान के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का प्रमुख केंद्र है। यह भव्य मंदिर भगवान कृष्ण के अवतार, गोविंद देव जी को समर्पित है। यहां की मूर्ति को भगवान कृष्ण की सजीव प्रतिमा माना जाता है। महाराजा सवाई जय सिंह ने अपने महल को इस तरह डिजाइन किया था कि वे चंद्र महल से भगवान गोविंद जी के दर्शन कर सकें। मंदिर का भव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा हर भक्त को मोह लेती है।

450 साल पुरानी गोविंद देव जी की मूर्ति की अनोखी कहानी

गोविंद देव जी की मूर्ति का इतिहास 450 साल पुराना है। यह मूर्ति वृंदावन के गोमा टीला से चैतन्य महाप्रभु के शिष्य श्रील रूप गोस्वामी द्वारा खुदाई में प्राप्त हुई थी। महाराजा सवाई मान सिंह ने इसे वृंदावन से आमेर लाने के लिए प्रयास किया। औरंगजेब के हिंदू मंदिरों पर हमलों के समय, मूर्ति को विभिन्न स्थानों पर सुरक्षित रखा गया, जिसमें भरतपुर और सांगानेर भी शामिल थे। अंततः इसे जयपुर के सूर्य महल में स्थापित किया गया, जिसे बाद में गोविंद देव जी मंदिर के नाम से जाना गया।

चंद्र महल … गोविंद देव मंदिर

महाराजा सवाई जय सिंह ने जब गोविंद जी की मूर्ति को जयपुर में स्थापित किया, तो अपने महल को भगवान की सेवा में समर्पित करते हुए इसे चंद्र महल नाम दिया। इस महल को इस तरह डिजाइन किया गया कि महाराजा सीधे अपने निवास से भगवान के दर्शन कर सकें। सूर्य महल, जहां भगवान की मूर्ति स्थापित थी, समय के साथ “गोविंद देव जी मंदिर” के नाम से जाना जाने लगा। यह मंदिर आज भी श्रद्धालुओं के लिए एक अद्वितीय आध्यात्मिक केंद्र है।

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Bodh Saurabh

Bodh Saurabh, a journalist from Jaipur, began his career in print media, working with Dainik Bhaskar, Rajasthan Patrika, and Khaas Khabar.com. With a deep understanding of culture and politics, he focuses on stories related to religion, education, art, and entertainment, aiming to inspire positive change through impactful reporting.

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