घट रही ममता बनर्जी की संपत्ति, न सैलरी, न पेंशन… जानिए कैसे जीती हैं देश की सबसे गरीब मुख्यमंत्री

Indian Politics: भारतीय राजनीति में जहां एक तरफ बड़े-बड़े नेता अपनी संपत्ति और आलीशान जीवनशैली के लिए मशहूर हैं, वहीं दूसरी तरफ एक ऐसी महिला नेता भी हैं जिन्होंने अपनी सादगी और ईमानदारी से लोगों के दिलों में खास जगह बनाई है। देश की सबसे गरीब मुख्यमंत्रियों की सूची में ममता बनर्जी का नाम फिर से शीर्ष पर आ गया है।( Indian Politics) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के पद पर 13 साल से काबिज ममता बनर्जी के पास कुल संपत्ति मात्र 15 लाख रुपये है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 3 सालों में ममता बनर्जी की संपत्ति में कमी आई है। 2021 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने 16.72 लाख रुपये की संपत्ति का खुलासा किया था। इस लेख में हम जानेंगे कि ममता बनर्जी कैसे अपनी सादगी भरी जीवनशैली और ईमानदार राजनीति के साथ सबसे गरीब मुख्यमंत्रियों में शुमार होती हैं।

न सैलरी लेती हैं और न ही पेंशन

ममता बनर्जी अभी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं। इससे पहले ममता केंद्रीय मंत्री और सांसद रह चुकी हैं। पेंशन नियमों के अनुसार, ममता को हर महीने केंद्र सरकार से 50 हजार रुपए तक पेंशन मिल सकती है, लेकिन ममता ने 2011 से यह पेंशन लेना बंद कर दिया है। पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री को 2 लाख 10 हजार रुपए सैलरी मिलने का प्रावधान है, लेकिन ममता यह सैलरी भी नहीं लेती हैं और इस राशि को सरकारी कोष में दान कर देती हैं। एक इंटरव्यू में ममता ने कहा था कि वह सरकारी पैसे की चाय भी नहीं पीतीं और अपने सारे खर्च खुद उठाने की कोशिश करती हैं। यह कदम उनकी ईमानदारी और सादगी की पहचान है, जिससे उन्होंने राजनीति में एक मिसाल कायम की है।

पेंटिंग-किताब की रॉयल्टी से कमाई

ममता बनर्जी को पेंटिंग और किताब लिखना पसंद है। उन्होंने अंग्रेजी और बांग्ला में कई पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें “स्लॉटर ऑफ डेमोक्रेसी” और “माई अनफॉर्गेटेबल मेमोरीज” प्रमुख हैं। इन किताबों की रॉयल्टी ममता की कमाई का मुख्य जरिया है। ममता की सभी पुस्तकों की रॉयल्टी तृणमूल कांग्रेस के मुख्य प्रकाशन “जागो बांग्ला” के जरिए मिलती है। इसके अलावा, ममता अपनी पेंटिंग बेचकर भी कमाई करती हैं। हालांकि, किताबों की रॉयल्टी और पेंटिंग की बिक्री को लेकर अक्सर सियासी चर्चाएं होती रहती हैं। ममता इस कमाई का बड़ा हिस्सा दान करती हैं और अपने छोटे-छोटे खर्चों को भी इन्हीं पैसों से पूरा करती हैं।

कालीघाट आवास पर ही रहती हैं ममता

जब ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनीं, तो उनके नए आवास में शिफ्ट होने की चर्चा बंगाल के राजनीतिक गलियारों में शुरू हो गई। इसके लिए बंगाल सरकार ने अलीबाग स्थित 11 बेल्वेडियर रोड पर एक भव्य बंगला तैयार किया, लेकिन ममता ने इस आलीशान बंगले में जाने से इनकार कर दिया। ममता अब भी कालीघाट स्थित 30-बी हरीश चटर्जी स्ट्रीट के अपने पुराने आवास में ही रहती हैं, जो शहर के गंदे नाले के किनारे स्थित है। ममता के पास एक साधारण सेंट्रो कार है जिसे वे कोलकाता में उपयोग करती हैं। कोलकाता से बाहर जाने पर वे महिंद्रा की स्कॉर्पियो या बोलेरो का उपयोग करती हैं। ममता अक्सर छोटे-छोटे स्थानों पर पैदल चलना पसंद करती हैं और रोज सुबह कालीघाट स्थित अपने ट्रेडमिल पर 15-20 मिनट चलती हैं। यह उनकी सरलता और जनसंपर्क की शैली को दर्शाता है।

खाने में मछली और मुरमुरे पसंद

ममता बनर्जी का आहार भी उनकी सादगी को दर्शाता है। वे हर रोज सुबह नाश्ते में मुरमुरे और चाय लेना पसंद करती हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उन्हें शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार का खाना पसंद है, लेकिन माछेर झोर (मछली झोल) और चावल उनका पसंदीदा भोजन है। ममता को आइसक्रीम, ढोकला और चाइनीज खाना भी पसंद है। दार्जिलिंग दौरे पर वे हमेशा मोमोज खाना पसंद करती हैं। मोमोज खाते हुए ममता की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं। यह उनकी जमीनी स्तर पर जुड़ाव और लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है।

सादा जीवन और सरल पहनावा

ममता बनर्जी के पहनावे में हवाई चप्पल और सूती साड़ी उनकी पहचान बन गई है। 2009 से ममता धनियाखली की प्रसिद्ध सूती साड़ी पहनना पसंद करती हैं, जिसकी कीमत 300-350 रुपए होती है। इस साड़ी के पीछे एक महत्वपूर्ण कहानी है। कोलकाता के धनियाखली के बुनकर आर्थिक संकट से गुजर रहे थे और उनके पास रोजगार नहीं था। ममता ने उनकी साड़ी की ब्रांडिंग की पहल शुरू की, जिससे सैकड़ों बुनकरों को रोजगार मिल गया। ममता का यह कदम न केवल उनकी सादगी को दर्शाता है, बल्कि उनके सामाजिक और आर्थिक सुधारों की प्रतिबद्धता को भी उजागर करता है।

यह भी पढ़ें: 

भारत में बांग्लादेशी अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या! जानिए कैसे ये नकली पहचान से पाते हैं सरकारी लाभ!

Bodh Saurabh

प्रिंट मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत करते हुए दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका और खास खबर.कॉम जैसे प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म्स पर काम किया। गुलाबी नगरी जयपुर का निवासी, जहां की सांस्कृतिक और राजनीतिक धड़कन को बारीकी से समझा। धर्म, राजनीति, शिक्षा, कला और एंटरटेनमेंट से जुड़ी कहानियों में न सिर्फ गहरी रुचि बल्कि समाज को जागरूक और प्रेरित करने का अनुभव। सकारात्मक बदलाव लाने वाली रिपोर्टिंग के जरिए समाज की नई दिशा तय करने की कोशिश। कला और पत्रकारिता का अनोखा संगम, जो हर कहानी को खास बनाता है।

Related Posts

एनएचएआई का तोहफा! जयपुर से गुरुग्राम तक का सफर अब होगा 35 रुपए महंगा, बढ़ा टोल टैक्स।

Share this……

सरकार का तोहफा! 8वें वेतन आयोग से कर्मचारियों की उम्मीदें पूरी, अब बढ़ेगी सैलरी और भत्ते”

Share this……

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *