
Rajasthan News: जयपुर, विशेष संवाददाता। राजस्थान की राजधानी के बीचोंबीच स्थित गोविन्द देव जी मंदिर में सुबह से ही हजारों श्रद्धालु जुटते हैं। मंदिर की चौखट पर कदम रखते ही वातावरण में घुली घंटियों की धुन और भजन की स्वर लहरियाँ मन को शांति से भर देती हैं। लेकिन पिछले एक साल में यह तस्वीर बदलने लगी है।
रविवार की सुबह जब हमारी टीम मंदिर पहुँची, तब भीड़ कम नहीं थी। लेकिन यहां भक्तों की आंखों में सुकून से ज्यादा शिकायत का भाव नजर आया। मुख्य द्वार के पास पंक्तिबद्ध खड़े कुछ बुजुर्गों ने कहा कि (Rajasthan News)पहले वे घंटों बैठकर भगवान के दर्शन करते थे। अब सुरक्षाकर्मी उन्हें हर कुछ मिनट में आगे बढ़ने का निर्देश देते हैं।
“भाई साहब, हम रोज आते हैं। अब लगता है जैसे कोई जल्दी-जल्दी भगाया जा रहा है,” 80 वर्षीय भंवरी देवी ने डबडबाई आंखों से कहा।
मंदिर प्रशासन ने दर्शन व्यवस्था को अधिक सुचारू बनाने का दावा किया है। लेकिन इसके चलते श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर में ठहरने और भजन-कीर्तन करने तक में कठिनाई हो रही है। मंदिर के भीतरी हिस्से में प्रवेश से पहले हर किसी को रोककर पूछताछ और पहचान सुनिश्चित की जा रही है।
कई श्रद्धालु मानते हैं कि सुरक्षा की जरूरत समझ में आती है, मगर भक्ति के माहौल में यह सख्ती उनकी भावना को ठेस पहुँचा रही है।
“हमें लगता है जैसे हम कोई अपराधी हैं। बैठ भी नहीं सकते, आंख बंद कर ध्यान भी नहीं लगा सकते,” 55 वर्षीय घनश्याम दास ने कहा।
मंदिर में बदली परंपराएं
मंदिर प्रांगण के पुराने श्रद्धालुओं के मुताबिक पहले आरती के बाद लोग अपने-अपने समय तक ठाकुर जी के दर्शन कर लेते थे। कई परिवार घंटों यहां रुकते और कथा-कीर्तन करते। लेकिन अब सख्त पहरा और समय की सीमा ने यह परंपरा लगभग खत्म कर दी। भक्त बताते हैं कि “आगे बढ़िए, जल्दी कीजिए” जैसे निर्देश अब सामान्य हो गए हैं।
प्रशासन का पक्ष
इस पूरे मामले में मंदिर प्रशासन ने कहा कि व्यवस्था भक्तों की सुविधा और सुरक्षा के लिए ही की गई है। भीड़ नियंत्रण और कोविड के बाद आई सावधानियों को जारी रखना जरूरी है। लेकिन यह साफ है कि श्रद्धालु इस बदलाव को अपने मन से स्वीकार नहीं कर पा रहे।
श्रद्धालुओं की अपील
भक्तों ने प्रशासन और सरकार से अपील की है कि सुरक्षा व्यवस्था को मानवीय संवेदना से जोड़ा जाए। “हम ठाकुर जी से मिलने आते हैं, यह कोई सरकारी दफ्तर नहीं है,” एक बुजुर्ग महिला ने रोते हुए कहा।
जब हमने उनसे विदा ली, तब वे धीरे-धीरे पंक्ति में आगे बढ़ रहीं थीं — हाथ में माला, होंठों पर बुदबुदाते मंत्र और दिल में एक ही सवाल — “क्या भगवान भी हमें अब कम समय देंगे?”
जयपुर से ग्राउंड रिपोर्ट: गोविन्द देव जी मंदिर में व्यवस्था ने बदली भक्ति की रीत
रिपोर्ट: विशेष संवाददाता, जयपुर