
Chaitra Navratri:भारत भूमि पर त्योहार केवल उत्सव नहीं होते, बल्कि ये हमारी संस्कृति की आत्मा हैं। इन्हीं में से एक है चैत्र नवरात्रि, जो शक्ति की देवी मां दुर्गा के नौ दिवसीय पूजन का पर्व है। यह वसंत ऋतु की शुरुआत के साथ न केवल प्रकृति में नई ऊर्जा भरता है, बल्कि भक्तों के जीवन में भी सकारात्मकता और आध्यात्मिकता का संचार करता है। (Chaitra Navratri)इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से 7 अप्रैल तक मनाई जाएगी, जिसमें राम नवमी का विशेष संयोग भी रहेगा। यह केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि नवजीवन, नवप्रेरणा और नवसंकल्प का संदेश देता है।
शक्ति के नौ स्वरूप
पहला दिन (30 मार्च) – घटस्थापना और शैलपुत्री पूजा नवरात्रि का आरंभ कलश स्थापना (घटस्थापना) से होता है, जो ऊर्जा और शुभता का प्रतीक है। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है, जो हिमालय पुत्री और शक्ति का पहला स्वरूप हैं।
दूसरा दिन (31 मार्च) – ब्रह्मचारिणी पूजा और सौभाग्य तीज इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है, जो तपस्या और संयम की प्रतीक हैं। यह दिन सौभाग्य और सफलता के लिए विशेष माना जाता है।
3. तीसरा दिन (1 अप्रैल) – कुष्मांडा पूजा और विनायक चतुर्थी मां कुष्मांडा, जो सृष्टि की आदिशक्ति मानी जाती हैं, की पूजा की जाती है। इसी दिन विनायक चतुर्थी भी पड़ती है, जिससे भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।
चौथा दिन (2 अप्रैल) – स्कंदमाता पूजा और लक्ष्मी पंचमी मां स्कंदमाता, जो भगवान कार्तिकेय की माता हैं, भक्तों को विजय और बुद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इस दिन लक्ष्मी पंचमी भी आती है, जो धन और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है।
पांचवा दिन (3 अप्रैल) – कात्यायनी पूजा और यमुना छठ मां कात्यायनी, जो साहस और शक्ति की देवी हैं, की आराधना की जाती है। इस दिन यमुना छठ का भी विशेष महत्व है।
छठा दिन (4 अप्रैल) – कालरात्रि पूजा और महा सप्तमी इस दिन मां कालरात्रि, जो तमोगुण का नाश करने वाली देवी हैं, की पूजा होती है। महा सप्तमी को विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।
सातवां दिन (5 अप्रैल) – महागौरी पूजा और दुर्गा अष्टमी मां महागौरी, जो करुणा और शांति की देवी हैं, की पूजा की जाती है। इस दिन अन्नपूर्णा अष्टमी भी मनाई जाती है, जो अन्न और समृद्धि का प्रतीक है।
आठवां दिन (6 अप्रैल) – राम नवमी इस दिन भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया जाता है, जो इस पर्व को और भी दिव्य बना देता है।
नौवां दिन (7 अप्रैल) – नवरात्रि पारण और कन्या पूजन नवमी के दिन विशेष कन्या पूजन और उपवास पारण किया जाता है, जिसमें छोटी कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर भोजन कराया जाता है।
चैत्र नवरात्रि का महत्व… क्यों है यह पर्व इतना खास?
1. नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक चैत्र नवरात्रि हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। यह केवल देवी की उपासना का समय नहीं, बल्कि नए संकल्पों को धारण करने का भी अवसर होता है।
2. शक्ति, साधना और आत्मशुद्धि का समय नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिससे जीवन में सकारात्मकता आती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
3. राम नवमी से जुड़ा पावन पर्व चैत्र नवरात्रि का एक और विशेष पहलू यह है कि इसी दौरान भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव (राम नवमी) आता है, जिससे यह पर्व और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
चैत्र नवरात्रि पूजा विधि और अनुष्ठान
1. घटस्थापना और अखंड ज्योतिप्रथम दिन कलश स्थापना की जाती है और घर में अखंड ज्योति जलाई जाती है, जो सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक होती है।
2. उपवास और भोग नवरात्रि के दौरान भक्त फलाहार और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं और हर दिन माता रानी को अलग-अलग भोग अर्पित किया जाता है।
3. संधि पूजा और हवन अष्टमी और नवमी के संधि काल में विशेष पूजा और हवन किए जाते हैं, जिससे देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
4. कन्या पूजन नवमी के दिन छोटी कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है और उन्हें भोजन कराकर आशीर्वाद लिया जाता है।
5. नवरात्रि पारण नवमी के दिन भक्त उपवास तोड़ते हैं, जिसे पारण कहा जाता है, और देवी की विशेष आरती करके प्रसाद ग्रहण करते हैं।
चैत्र नवरात्रि बनाम शारदीय नवरात्रि: कौन-सी अधिक महत्वपूर्ण?
जबकि शारदीय नवरात्रि (सितंबर-अक्टूबर) अधिक प्रसिद्ध है, चैत्र नवरात्रि का भी उतना ही धार्मिक महत्व है। दोनों में पूजा-पाठ और अनुष्ठान समान होते हैं, लेकिन चैत्र नवरात्रि विशेष रूप से हिंदू नववर्ष और भगवान राम के जन्म से जुड़ी होती है, जिससे यह आध्यात्मिक रूप से अधिक प्रभावशाली मानी जाती है।
शक्ति, भक्ति और साधना का महापर्व
चैत्र नवरात्रि 2025 आत्मशुद्धि, ऊर्जा और देवी शक्ति की उपासना का एक महान अवसर है। यह केवल एक पर्व नहीं, बल्कि मन, आत्मा और शरीर को संतुलित करने का मार्ग है। इस दौरान भक्तगण सच्चे मन से साधना कर मां दुर्गा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शक्ति का संचार कर सकते हैं। तो इस चैत्र नवरात्रि, देवी के नौ रूपों की साधना करें, अपने भीतर की शक्ति को पहचानें और नए संकल्पों के साथ जीवन को सकारात्मक दिशा दें!
यह भी पढ़ें: राजस्थान दिवस का नया अध्याय! अब 30 मार्च नहीं, वर्ष प्रतिपदा पर मनेगा राज्य स्थापना उत्सव