
अदालत ने क्या कहा?
मुख्य याचिकाकर्ता मोहम्मद जावेद, जो खुद कन्हैयालाल मर्डर केस का एक आरोपी है, ने सुप्रीम कोर्ट में फिल्म पर तत्काल रोक लगाने की मांग की थी। अदालत ने उसकी दलीलों को खारिज करते हुए कहा…“फिल्म को रिलीज होने दीजिए। अगर कोई आपत्ति हो, तो इसे ट्रायल कोर्ट में उठाया जाए।” सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि इस स्तर पर न तो फिल्म की स्क्रीनिंग रोकी जाएगी और न ही इस याचिका पर सुनवाई की जाएगी।
क्यों उठ रहे विरोध के स्वर?
‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर विवाद इसलिए बढ़ा है क्योंकि इसमें कथित रूप से नूपुर शर्मा के बयान, ज्ञानवापी विवाद और धार्मिक समुदाय को निशाना बनाने वाले दृश्य शामिल बताए जा रहे हैं। जमीयत उलेमा-ए-हिंद समेत कुछ संगठनों का आरोप है कि यह फिल्म सांप्रदायिक सौहार्द को चोट पहुंचा सकती है। दिल्ली, महाराष्ट्र और गुजरात हाईकोर्ट में पहले से इस मुद्दे पर याचिकाएं लंबित हैं।
निर्माताओं का पक्ष
फिल्म निर्माताओं का कहना है कि यह रचना केवल सत्य घटनाओं पर आधारित डॉक्यू-ड्रामा है, जिसका उद्देश्य किसी समुदाय को बदनाम करना नहीं बल्कि समाज में जागरूकता फैलाना है। फिल्म की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा…“फिल्म शुक्रवार को रिलीज होनी है। अब इस स्तर पर रोक लगाना न केवल अनुचित बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी आघात होगा।”
अभिव्यक्ति बनाम आस्था – बहस और तेज
यह मामला एक बार फिर रचनात्मक अभिव्यक्ति और धार्मिक भावनाओं के बीच टकराव को उजागर कर रहा है। जहां कुछ समूह इस फिल्म को सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाला मानते हैं, वहीं निर्माता इसे सच्चाई की कहानी कहकर अपनी संवैधानिक स्वतंत्रता का हिस्सा बता रहे हैं।