
आयोग ने दिया संविधान और कानून का हवाला
निर्वाचन आयोग ने कहा है कि वह मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 21 के तहत यह कार्रवाई कर रहा है। अनुच्छेद 324 के तहत आयोग को मतदाता सूची तैयार करने और उसका संचालन करने का पूरा अधिकार है।
अब क्यों जरूरी हुआ SIR? जानिए आयोग की वजहें
आयोग का कहना है कि बीते 20 वर्षों में तेजी से हुए शहरीकरण, लोगों के स्थानांतरण और पंजीकरण में बदलावों ने मतदाता सूचियों को अनिश्चित बना दिया है। कई मतदाता एक ही समय में दो स्थानों पर दर्ज पाए जाते हैं, जिससे फर्जी वोटिंग की आशंका बढ़ जाती है। आयोग ने साफ किया है कि बिहार में वर्ष 2003 में की गई मतदाता सूची वैध मानी जाएगी। यानी जिनका नाम 1 जनवरी 2003 की सूची में था, उन्हें वर्तमान पुनरीक्षण से कोई नुकसान नहीं होगा।