
Raksha Bandhan 2025:रक्षाबंधन, जिसे पूरे भारत में भाई-बहन के पवित्र बंधन के रूप में मनाया जाता है, सिर्फ एक पारिवारिक पर्व नहीं है, यह उन भावनाओं का उत्सव है जो आत्मीयता, त्याग और विश्वास से जुड़ी हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस पर्व की जड़ें सिर्फ मानव समाज तक सीमित नहीं हैं? एक कम ज्ञात किंतु अत्यंत प्रेरणादायक कथा है यमराज और उनकी बहन यमुना की, (Raksha Bandhan 2025)जो रक्षाबंधन के सबसे प्राचीन प्रतीकों में से एक मानी जाती है।
जब यमराज ने बहन के स्नेह में वचन दिया
पौराणिक मान्यता के अनुसार, यमुना अपने भाई यमराज को कई वर्षों तक अपने घर बुलाती रहीं, लेकिन यमराज—जो मृत्यु के देवता हैं—अपनी व्यस्तताओं के कारण आ नहीं पाए। अंततः एक दिन यमराज यमुना के पास पहुंचे।
यमुना ने अपने भाई के स्वागत में विशेष भोजन तैयार किया, तिलक किया और उन्हें राखी बाँधी। भावविभोर यमराज ने पूछा, “क्या वरदान चाहिए?” यमुना ने सिर्फ यही मांगा: “भैया, आप हर साल मेरे घर आइए।”
इस अनुरोध से प्रभावित होकर यमराज ने यमुना को अमरता का वरदान दिया और वचन दिया कि जो भी बहन अपने भाई को राखी बांधती है, वह भाई उसकी रक्षा के लिए वचनबद्ध रहेगा।
रिश्तों से बड़ी कोई शक्ति नहीं
यह कथा हमें बताती है कि रक्षाबंधन केवल एक पारिवारिक त्योहार नहीं, बल्कि अमर रिश्तों, वचनबद्धता और आध्यात्मिक सुरक्षा का प्रतीक है। यमराज और यमुना की इस कथा से यह सिद्ध होता है कि भाई-बहन का बंधन देवताओं के संसार में भी उतना ही पवित्र और अटूट है।
इस रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2025), जब आप राखी बांधें या बंधवाएं, तो इस कथा को याद रखें—यह सिर्फ धागा नहीं, बल्कि आत्मा का वचन है।
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