95 साल में आया यह दुर्लभ योग, रक्षाबंधन 2025 के शुभ समय का फायदा चूक गए तो पछताएंगे

 Raksha bandhan 2025: रक्षाबंधन सिर्फ परंपरा नहीं रह गया — 2025 का यह पर्व एक दुर्लभ ज्योतिषीय संयोग के साथ उभरकर आया है जो 1930 के रक्षाबंधन से मिलते-जुलते संकेत देता है। यह सामीप्यता हमें ये सोचने पर मजबूर करती है कि पारंपरिक रीति-रिवाज आधुनिक जीवन में कैसे नए अर्थ और सुरक्षा-भाव पैदा करते हैं।( Raksha bandhan 2025) आइए जानें इस साल की सही तारीख, शुभ मुहूर्त, भद्रा समय और राखी की गूढ परंपराएँ, साथ ही व्यवहारिक सुझाव भी।

रक्षाबंधन की सही तारीख — कब मनाएं?

रक्षाबंधन (श्रावण पूर्णिमा) इस वर्ष 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। चूंकि इस बार पूर्णिमा की तिथि और नक्षत्र व्यवस्था असामान्य रूप से 1930 के रक्षाबंधन जैसी बनी है, ज्योतिषाचार्य इसे दुर्लभ संयोग मान रहे हैं।

भद्रा का समय — कब रहेगी बाधा?

  • भद्रा प्रारम्भ: 8 अगस्त को दोपहर 2:12 बजे से
  • भद्रा समाप्त: 9 अगस्त को तड़के 1:52 बजे तक

अर्थात् 9 अगस्त को भद्रा प्रभाव से मुक्त माना जाएगा और दिनभर कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध रहेंगे।

रक्षाबंधन — प्रमुख शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:22 से 5:04 बजे तक
  • राखी बांधने का श्रेष्ठ समय: 9 अगस्त सुबह 5:35 से दोपहर 1:24 तक
  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:17 से 12:53 बजे तक
  • सौभाग्य योग: सुबह 4:08 से अगले दिन 2:15 बजे तक
  • सर्वार्थ सिद्धि योग: 9 अगस्त को दोपहर 2:23 बजे तक

चौघड़िया के खास समय (राखी के लिए)

  • लाभ काल: प्रातः 10:15 से दोपहर 12:00
  • अमृत काल: दोपहर 1:30 से 3:00
  • चर काल: सायं 4:30 से 6:00

राखी में तीन गांठें बांधने का आध्यात्मिक महत्व

राखी में पारंपरिक रूप से जो तीन गांठें बंधी जाती हैं, उन्हें त्रिदेव — ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) — का प्रतीक माना जाता है।

  • पहली गांठ (ब्रह्मा): सृष्टि और नए आरंभ के लिए आशीर्वाद
  • दूसरी गांठ (विष्णु): पालन-पोषण, समृद्धि और रक्षा की कामना
  • तीसरी गांठ (महेश): नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा और अन्तिम मोक्ष के संकेत

इसके अलावा तीनों गांठें भाई-बहन के बीच प्रेम, विश्वास और सुरक्षा की डोर भी दर्शाती हैं।

श्रावण पूर्णिमा का दुर्लभ ज्योतिषीय संयोग — 1930 से जुड़ाव

ज्योतिषाचार्य पंडित अक्षय शास्त्री के अनुसार इस वर्ष के नक्षत्र-वार-पूर्णिमा के क्रम में कई संकेत 1930 के रक्षाबंधन की याद दिलाते हैं — दोनों सालों में श्रवण नक्षत्र, सौभाग्य योग और शनिवार का मेल समान रहा। ऐसे समय को वे दुर्लभ संयोग कहते हैं जो पारंपरिक मान्यताओं में अत्यधिक फलदायी माने जाते हैं।

पौराणिक कथाएं और राखी का आध्यात्मिक सन्दर्भ

रक्षाबंधन की कहानियाँ महाभारत व पुराणों से जुड़ी हैं — द्रौपदी द्वारा श्रीकृष्ण को बांधी गई राखी, इंद्राणी का इंद्र पर बाँधा रक्षासूत्र, और माँ लक्ष्मी द्वारा राजा बलि को राखी बंधने की कथा — ये सभी साबित करती हैं कि राखी का अर्थ सिर्फ सामाजिक बंधन ही नहीं, बल्कि सुरक्षा, धर्म और नैतिक उत्तरदायित्व भी है।

रक्षा सूत्र बांधते समय स्तुति-मंत्र

बहनें राखी बाँधते समय पारंपरिक मंत्र बोलती हैं —

ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।

अनुवाद: उस रक्षासूत्र से, जिससे महान बलशाली राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बाँधती हूँ — परम सुरक्षा हो।

आधुनिक संदर्भ में रक्षाबंधन — परंपरा और प्रैक्टिकल टिप्स

  • किस दिन बांधें: अगर आप पारंपरिक श्रेष्ठता को प्राथमिकता देते हैं तो 9 अगस्त सुबह 5:35 — 1:24 का मुहूर्त अपनाएँ।
  • यदि भद्रा से बचना हो: सुनिश्चित करें कि राखी भद्रा-समाप्ति के बाद ही बांधी जाए।
  • दूर रहकर राखी: विदेश या शहर-पर-देश में भाई-बहन वीडियो कॉल के माध्यम से मुहूर्त के दौरान संकल्प ले सकते हैं।
  • युवा पीढ़ी के लिए: राखी का आध्यात्मिक अर्थ समझाएँ — यह सिर्फ रस्म नहीं, बल्कि सुरक्षा और जिम्मेदारी का वचन है।

क्यों है यह रक्षाबंधन खास?

2025 का रक्षाबंधन ज्योतिषीय और सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण बनकर उभरा है। 1930 की समानता से यह संकेत मिलता है कि कुछ कालचक्रों में परंपराएँ हमें वे अर्थ और मर्म वापस दिखाती हैं, जिन्हें आधुनिक जीवन में भूला दिया गया था। इस वर्ष राखी बांधना केवल परंपरा निभाना नहीं — यह रिश्तों, सुरक्षा और सामूहिक चेतना की पुष्टि का अवसर भी है।

रिपोर्ट: पंडित अक्षय शास्त्री के सहयोग से तैयार

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Bodh Saurabh Desk

Bodh Saurabh is an experienced Indian journalist and digital media professional, with over 14 years in the news industry. He currently works as the Assistant News Editor at Bodh Saurabh Digital, a platform known for providing breaking news and videos across a range of topics, including national, regional, and sports coverage.

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