
Rajasthan Foundation Day: राजस्थान सरकार के एक बड़े ऐतिहासिक फैसले के तहत अब राजस्थान दिवस हर साल हिंदू नववर्ष (वर्ष प्रतिपदा) के दिन मनाया जाएगा। इस निर्णय के बाद प्रदेश में इसे लेकर राजनीतिक और सांस्कृतिक हलकों में उत्साह और चर्चाओं का माहौल बन गया है। (Rajasthan Foundation Day) नववर्ष समारोह समिति, जयपुर ने इस फैसले का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का आभार प्रकट किया है।
लंबे समय से थी मांग, अब मिली मान्यता
नववर्ष समारोह समिति के प्रवक्ता महेंद्र सिंहल ने बताया कि राजस्थान का गठन मुहूर्त के अनुसार वर्ष प्रतिपदा को हुआ था, जो संयोगवश 30 मार्च को पड़ा। इसी आधार पर लंबे समय से यह मांग उठ रही थी कि राजस्थान दिवस को अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 30 मार्च को नहीं, बल्कि हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष प्रतिपदा को मनाया जाना चाहिए। अब सरकार ने इसे मान्यता देकर राज्य की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परंपराओं को सम्मान दिया है।
अब समाज का उत्सव बनेगा राजस्थान दिवस
महेंद्र सिंहल ने इस निर्णय को समाज के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि अब तक 30 मार्च को मनाया जाने वाला राजस्थान दिवस सरकारी कार्यक्रम बनकर रह गया था, लेकिन अब यह पूरे प्रदेश की जनता का उत्सव बनेगा। उन्होंने आह्वान किया कि सभी राजस्थानवासी इस नए ऐतिहासिक बदलाव को अपनाएं और इसे पूरे उत्साह और गर्व के साथ मनाएं।
भारतीय कालगणना का महत्व…विदेशी प्रणाली का अंधानुकरण
समिति ने बताया कि भारतीय कालगणना और संवत्सर खगोलीय सिद्धांतों पर आधारित हैं, किसी विचार या पंथ पर नहीं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि जैसे होली और दीपावली तिथि के अनुसार मनाई जाती हैं, वैसे ही राजस्थान दिवस को भी तिथि के आधार पर मनाना चाहिए। विदेशी कैलेंडर के आधार पर दिन तय करना हमारी बौद्धिक गुलामी को दर्शाता है, जिससे अब प्रदेश को मुक्त करने का समय आ गया है।
सरदार पटेल का ऐतिहासिक संबोधन
राजस्थान के गठन को लेकर एक ऐतिहासिक प्रसंग भी सामने आया है। संयुक्त राजस्थान का उद्घाटन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, संवत 2006 (30 मार्च 1949) को प्रातः 10:40 बजे तत्कालीन उप प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा किया गया था। इस मौके पर सरदार पटेल ने कहा था:
“राजपूताना में आज नए वर्ष का प्रारंभ है। यहां आज के दिवस वर्ष बदलता है। शक बदलता है। यह नया वर्ष है। तो आज के दिन हमें नए महा-राजस्थान के महत्व को पूर्ण रीति से समझ लेना चाहिए। आज अपना हृदय साफ कर ईश्वर से हमें प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें राजस्थान के लिए योग्य राजस्थानी बनाए। राजस्थान को उठाने के लिए, राजपूतानी प्रजा की सेवा के लिए, ईश्वर हमको शक्ति और बुद्धि दे।”
सरदार पटेल के इस वक्तव्य को ध्यान में रखते हुए सरकार का यह फैसला राजस्थान की ऐतिहासिक जड़ों से जुड़ने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है।
गौरवशाली परंपरा को पुनः स्थापित करने की पहल
समिति के प्रवक्ता ने कहा कि इस निर्णय से राजस्थान की गौरवशाली परंपरा को पुनः स्थापित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जाने के बावजूद उनकी व्यवस्थाएं हम पर हावी रहीं, जिससे वास्तविक राजस्थान दिवस को भुला दिया गया था। अब वर्ष प्रतिपदा को राजस्थान दिवस घोषित करने से यह ऐतिहासिक भूल सुधार ली गई है।
राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत…
सरकार के इस फैसले से राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत को एक नई पहचान मिलेगी। समिति ने प्रदेशवासियों से वर्ष प्रतिपदा को राजस्थान दिवस के रूप में उत्साहपूर्वक मनाने की अपील की और कहा कि यह निर्णय राजस्थान के गौरवशाली अतीत से जुड़ने का एक स्वर्णिम अवसर है। अब देखना होगा कि यह फैसला प्रदेश की जनता और राजनीतिक दलों में क्या प्रभाव डालता है, लेकिन इतना तो तय है कि राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत और अस्मिता को यह निर्णय एक नई ऊंचाई तक पहुंचाने वाला साबित होगा।
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