
CJI Sanjiv Khanna: इतिहास अपने निशानों को मिटने नहीं देता — न ताज बदलते हैं, न दावेदार थकते हैं। लालकिला, जो आज़ादी का प्रतीक है, कभी मुग़ल सल्तनत की शान हुआ करता था। लेकिन क्या कोई आज के दौर में उस पर अधिकार की मांग कर सकता है?
ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचा, जब मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर द्वितीय के परपोते की विधवा सुल्ताना बेगम ने खुद को उनका कानूनी वारिस बताते हुए दिल्ली के लालकिले पर कब्ज़ा देने की मांग कर डाली। पहले दिल्ली हाईकोर्ट से याचिका खारिज हुई, ( CJI Sanjiv Khanna)और अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान CJI संजीव खन्ना की मुस्कान के साथ याचिका भी खारिज हो गई। CJI ने हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहा— “सिर्फ लालकिला क्यों? ताजमहल और फतेहपुर सीकरी भी मांग लो!“
क्या है इस याचिका की पूरी कहानी? कैसे पहुंचा ये मामला देश की सर्वोच्च अदालत तक? जानिए, लालकिले पर दावे की इस अजीबोगरीब कहानी के पीछे की पूरी हकीकत…
सिर्फ लाल किला क्यों मांग रहे हैं….
सुप्रीम कोर्ट में एक अनोखी याचिका पर सुनवाई के दौरान हल्का-फुल्का माहौल देखने को मिला, जब मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने चुटकी लेते हुए कहा— “सिर्फ लाल किला क्यों मांग रहे हैं, फतेहपुर सीकरी और ताजमहल भी क्यों नहीं मांगते?“
यह टिप्पणी उस याचिका के संदर्भ में थी, जिसमें बहादुर शाह ज़फर (द्वितीय) के परपोते की विधवा सुल्ताना बेगम ने दिल्ली के लालकिले पर कब्जा देने की मांग की थी।
CJI संजीव खन्ना ने क्या कहा? जानिए सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ
सुनवाई के दौरान CJI खन्ना ने याचिका को ‘गलत’ करार देते हुए कहा कि “क्या आप सच में इस पर बहस करना चाहते हैं?” इसके बाद उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, “सिर्फ लाल किला क्यों, फतेहपुर सीकरी, ताजमहल आदि भी मांग लीजिए।” इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया और सुनवाई से इनकार कर दिया।
कौन हैं सुल्ताना बेगम और क्या है उनका दावा?
सुल्ताना बेगम, जो खुद को मुग़ल सम्राट बहादुर शाह ज़फर द्वितीय के परपोते की विधवा बताती हैं, कोलकाता के पास हावड़ा में रहती हैं। उनका दावा है कि वे ज़फर के कानूनी वारिस हैं और लालकिला उनके पूर्वजों की संपत्ति है।
2021 में उन्होंने पहली बार इस संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने भारत सरकार से न केवल लालकिले पर कब्जा मांगा, बल्कि आर्थिक मदद की भी उम्मीद जताई थी।
दिल्ली हाईकोर्ट में भी हो चुकी है सुनवाई
सुल्ताना बेगम की याचिका पहले दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई थी, जहाँ उन्होंने कहा कि 1857 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने उनके पूर्वजों से लालकिला छीन लिया था। उन्होंने यह भी कहा कि बहादुर शाह ज़फर को अरेस्ट कर रंगून जेल भेजा गया था और उसके बाद लालकिला ब्रिटिश सरकार के अधीन रहा। भारत की आजादी के बाद यह स्मारक भारत सरकार के नियंत्रण में आ गया।
150 साल बाद दावा? अदालत ने उठाए सवाल
हाईकोर्ट की सुनवाई के दौरान जस्टिस रेखा पल्ली ने सवाल उठाया कि “150 साल से भी ज्यादा देर से ये दावा क्यों किया गया?”
इस पर सुल्ताना बेगम के वकील विवेक मोर ने कहा कि जब उनका परिवार विदेश से लौटा, तो पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सुल्ताना बेगम के पति मिर्जा बेदर बख्त की पेंशन शुरू की थी, जो पति की मृत्यु के बाद बेगम को मिलती रही। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि 6000 रुपये की पेंशन में जीवन चलाना संभव नहीं, और सुल्ताना बेगम की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है।
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