“राजस्थान का सबसे बड़ा भर्ती कांड?” किरौड़ी लाल बोले…गहलोत के पूर्व PSO की कहानी बस शुरुआत है!

Rajasthan SI Paper Leak:जयपुर। राजस्थान के लंबे समय से चल रहे SI (सब-इंस्पेक्टर) भर्ती 2021 पेपर-लीक मामले में नया मोड़ आया है — स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पीएसओ रहे हेड कॉन्स्टेबल राजकुमार यादव और उनके पुत्र भरत यादव को गिरफ्तार किया। इस गिरफ्तारी ने मामले की (Rajasthan SI Paper Leak)राजनीतिक और संस्थागत संवेदनशीलता को फिर से उजागर कर दिया है।

 सिर्फ एक अपराधी नहीं, व्यवस्था की कमजोरी?

पेपर-लीक केवल व्यक्तिगत छल-कपट नहीं बल्कि भर्ती प्रक्रिया में मौजूद संरचनात्मक कमजोरियों और उस पर राजनीतिक-स्थानीय संरक्षण के संभावित प्रभाव को भी सामने ला रहा है। राजकुमार यादव जैसे पेशेवर पुलिसकर्मियों का नाम सामने आना दर्शाता है कि यह केवल ‘नकल’ का मामला नहीं — बल्कि अधोसंरचना में घुसा नेटवर्क हो सकता है।

क्या हुआ — तफ्तीश का ताजा दौर

SOG की टीम के अनुसार राजकुमार ने अपने पुत्र भरत और एक परिचित रविन्द्र सैनी को परीक्षा से पहले लीक प्रश्न-पत्र व उत्तर उपलब्ध कराए। भरत ने लिखित परीक्षा में सफलता पाई लेकिन फिजिकल में फेल हो गया। रिपोर्टों के मुताबिक इसी नेटवर्क की मदद से सत्येंद्र सिंह यादव और रविन्द्र सैनी जैसी कुछ नामांकित उम्मीदवार मेरिट सूची में जगह बना पाए।

गिरफ्तारियों की संख्या और जांच की प्रगति

अब तक इस मामले में SOG ने कुल 120 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से लगभग 54 प्रशिक्षु सब-इंस्पेक्टर (SI) शामिल हैं। जांच टीम संदिग्धों, प्रश्न-पत्र के स्रोत और वितरण चैनलों की तह तक पहुँचने की कोशिश कर रही है। जांच में फॉरेंसिक, डिजिटल और गवाह साक्ष्य की अहमियत बढती जा रही है।

राजनीतिक लड़ाई — आरोप-प्रत्यारोप तेज

इस गिरफ्तारी ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने इस पर तीखा वार करते हुए कहा कि कांग्रेस शासनकाल में पेपर-लीक माफिया सक्रिय था और प्रशासनिक संरक्षण मिलता रहा। विपक्षी बयान के बाद सियासी आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं और मामला विधानसभा-लोकसभा तक गरमाने की संभावना जताई जा रही है।

प्रभाव — भर्ती नीति और सार्वजनिक भरोसा

विश्लेषकों का कहना है कि ऐसे घोटाले सिर्फ कुछ उम्मीदवारों की नियुक्ति तक सीमित नहीं रहते — वे सार्वजनिक भरोसे को चोट पहुँचाते हैं और सरकारी भर्तियों की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लगाते हैं। युवा उम्मीदवारों और उनके परिवारों में असंतोष फैलता है, जबकि प्रशासन पर जवाबदेही का दबाव बढ़ता है।

अगला कदम — जांच, सुधार और पारदर्शिता

SOG ने दावा किया है कि जांच आगे और बड़े नामों तक पहुँच सकती है। अब जरूरत है कि जांच निष्पक्ष, त्वरित और तकनीकी साक्ष्य-आधारित हो। विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि परीक्षा प्रबंधन में टेक्नोलॉजी, पेपर-हैंडलिंग की कड़ी प्रक्रिया और स्वतंत्र निगरानी लागू की जाए ताकि भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृति रोकी जा सके। राजकुमार व भरत यादव की गिरफ्तारी इस घोटाले की जटिलता और इसके व्यापक प्रभाव की याद दिलाती है। सरकार, जांच एजेंसी और चुनावी/नियुक्ति संस्थाओं के सामने अब चुनौती यह है कि वे त्वरित कार्रवाई के साथ-साथ प्रणालीगत सुधार भी सुनिश्चित करें ताकि हज़ारों युवा उम्मीदवारों का भरोसा बहाल किया जा सके।

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Bodh Saurabh Desk

Bodh Saurabh is an experienced Indian journalist and digital media professional, with over 14 years in the news industry. He currently works as the Assistant News Editor at Bodh Saurabh Digital, a platform known for providing breaking news and videos across a range of topics, including national, regional, and sports coverage.

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