
Rajasthan News : राजस्थान में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। सरकारी ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि हजारों ऐसे लोग सालों से पेंशन ले रहे थे, जो इसके असल हकदार ही नहीं थे। कहीं मृतकों के नाम पर पैसा जा रहा था तो कहीं 40 साल के युवा खुद को 60 साल का (Rajasthan News )दिखाकर हर महीने सरकारी मदद उठा रहे थे।
ऑडिट में सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े
- 1,75,076 मामलों में मृत्यु के बाद भी पेंशन जारी रही।
- 99,677 युवाओं ने उम्र बढ़ाकर पेंशन ली।
- 78,947 लोगों ने अन्य राज्यों से पेंशन पाई।
- 42,810 ने गलत जानकारी दी।
- 22,159 के परिवार में कोई सरकारी नौकरी में था।
- 1,061 खुद सरकारी कर्मचारी थे।
- 415 लोगों को पहले से सरकारी पेंशन मिल रही थी।
- 17,720 डुप्लिकेट मामले पाए गए।
- 13,326 आयकरदाता पेंशन ले रहे थे।
- 1,410 विधवाओं ने पुनर्विवाह के बाद भी पेंशन ली।
योजना का असली मकसद क्या है?
राजस्थान सरकार ने राज्य के बुजुर्गों, दिव्यांगजनों और विधवाओं की सहायता के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना बनाई थी। पात्रता में पुरुषों की उम्र 58 और महिलाओं की उम्र 55 से अधिक होनी चाहिए या 40% से अधिक विकलांगता होनी चाहिए। बजट 2025-26 में पेंशन 1,150 रुपये से बढ़ाकर 1,250 रुपये की गई।
आरोप-प्रत्यारोप का दौर
मामला उजागर होते ही सियासी बवाल मच गया। सामाजिक न्याय मंत्री अविनाश गहलोत ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने ऐसे मामलों को गंभीरता से नहीं लिया। अपात्र लोगों से वसूली की जाएगी और FIR भी होगी।
वहीं पूर्व मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि “हमारे कार्यकाल में भी फर्जीवाड़ा सामने आया था, लेकिन हमने सख्त कार्रवाई की थी। नया सिस्टम लागू कर इसे रोका गया। सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।”
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कटाक्ष करते हुए कहा, “कहीं मंत्री ही फर्जी न हों। फोटो खिंचवाने के बजाय कार्रवाई करें। राज्यपाल हर जिले में बैठक कर रहे हैं और मंत्री उद्घाटन में व्यस्त हैं।”
असली हकदारों का सवाल
इस घोटाले ने उन बुजुर्गों और जरूरतमंदों के हक पर चोट पहुंचाई, जिनके लिए यह योजना बनी थी। अब सरकार ने दोबारा भौतिक सत्यापन और जन आधार से जांच तेज कर दी है ताकि भविष्य में किसी भी अपात्र व्यक्ति को लाभ न मिल सके।राजस्थान में पेंशन योजना पर उठा यह विवाद आने वाले समय में और सियासी तूल पकड़ सकता है। अपडेट्स के लिए जुड़े रहें www.bodhsaurabh.com