
Income Tax Bill 2025: नई दिल्ली। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार, 11 अगस्त 2025 को संसद में नया इनकम-टैक्स बिल पेश करेंगी। यह कदम उस बिल को वापस लेने के बाद उठाया जा रहा है जिसे पहले लोकसभा में रखा गया था। रिजिजू ने स्पष्ट किया कि (Income Tax Bill 2025) नया बिल पुराना बिल छोड़कर नहीं, बल्कि संसदीय चयन समिति द्वारा सुझाए गए 285 संशोधनों को समाहित करके पेश किया जा रहा है।
पारदर्शिता और प्रक्रिया की प्राथमिकता
इस विभाजन का राजनीतिक अर्थ तो है ही, पर रिपोर्ट का नया एंगल यह है कि सरकार ने संसदीय प्रक्रिया और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी है। संसदीय चयन समिति के विस्तृत सुझावों को समेकित रूप में प्रस्तुत करने के लिए सरकार ने पहले पेश किए गए ड्राफ्ट को वापस लिया और अब सभी स्वीकार किये गए संशोधनों के साथ एक नया, संशोधित बिल लेकर आ रही है — ताकि सदन में चर्चा और पारित करना अपेक्षाकृत सुगम हो।
क्यों लिया बिल वापस — रिजिजू का तर्क
किरेन रिजिजू ने कहा कि पुराना बिल केवल संशोधनों की संख्या में बहुत बड़ा हो गया था, जिससे अलग-अलग संशोधन करके पारित कराना लंबा और जटिल हो सकता था। उन्होंने बताया, “यह एक सामान्य संसदीय प्रक्रिया है — जब चयन समिति विस्तृत रिपोर्ट देती है और सरकार उनके कई सुझाव स्वीकार कर लेती है, तो पहले वाले बिल को वापस लेकर संशोधनों सहित एक नया बिल पेश किया जाता है। इससे संसद के समय का बेहतर उपयोग होगा और विधायी प्रक्रिया तेज होगी।”
संसदीय चयन समिति की भूमिका — 285 सुझाव और क्या बदल सकता है?
लोकसभा की संसदीय चयन समिति, जिसका नेतृत्व भाजपा सांसद बैजयंत पांडा कर रहे हैं, ने इनकम-टैक्स बिल पर कुल 285 सुझाव दिए थे। ऐसे व्यापक सुझावों को अलग-अलग अध्यादेश या संशोधन के रूप में पारित कराने की बजाय एक समेकित बिल लाने से नीति स्थिरता और विधायी स्पष्टता बनी रहती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अब संसद में चर्चा के दौरान कर-व्यवस्था, शुल्क संरचना, कराधान की विसंगतियों का समेकित परीक्षण होगा।
राजनीतिक और नागरिक प्रभाव — टैक्सपेयर क्या जानें?
- करदाता के लिए असर: संशोधनों के समेकन का मतलब है कि कर नियमों में संभावित बदलाव को पूरी तस्वीर के रूप में समझने का बेहतर मौका मिलेगा।
- वित्तीय बाजार प्रभाव: कर नीति की स्पष्टता से कारोबारी और निवेशक निर्णयों में स्थिरता आ सकती है।
- राजनीतिक प्रस्तावना: विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों अब नए बिल के प्रावधानों पर तीव्र बहस कर सकते हैं — जो सार्वजनिक चर्चा को और गर्म कर सकता है।
आगे की कार्रवाई — क्या उम्मीद करें?
राज्यपाल/लोकसभा में बिल पेश होने के बाद पारित करने की प्रक्रिया अगल-बगल की चर्चा और संभव संशोधनों से गुज़रेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि समेकित बिल सदन में पारित होता है तो उस पर लागू होने वाली नीतिगत धाराएँ अधिक दीर्घकालिक और संगठित होंगी। वहीं आलोचक कहते हैं कि व्यापक संशोधनों के कारण अंतिम बिल की जटिलताएँ करदाताओं के लिए समझने में कठिन हो सकती हैं, इसलिए विस्तृत स्पष्टीकरण और पब्लिक कम्युनिकेशन की आवश्यकता होगी।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के बयान ने एक बात साफ कर दी है — यह कदम विधायी प्रक्रिया को व्यवस्थित करने और संसदीय सुझावों को समेकित करने का इंतजामी निर्णय है। सोमवार (11 अगस्त 2025) को पेश नया इनकम-टैक्स बिल इस बात की कसौटी होगा कि सरकार ने पारदर्शिता, प्रक्रिया और करदाताओं के हित को किस तरह प्राथमिकता दी है। जनता और उद्योग दोनों की निगाहें अब संसद की कार्यवाही पर टिकी होंगी।
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