अमेरिका का आर्थिक हमला, गोयल का गरजता बयान…भारत का जवाब सुनकर ट्रंप भी रह जाएंगे सन्न

Piyush Goyal: नई दिल्ली।  अमेरिका द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने के ऐलान के बाद केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने ठोस रुख अपनाया …..“भारत किसी के आगे नहीं झुकेगा।” इस बयान ने न सिर्फ राजनीतिक विवाद को हवा दी, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि दिल्ली अब व्यापार झटकों से निपटने के लिए (Piyush Goyal) वैकल्पिक रणनीतियों और निवेश समझौतों पर तेजी से काम कर रहा है।

 वैकल्पिक बाजार और विदेशी निवेश से रक्षा

अमेरिका के टैरिफ निर्णय को सिर्फ द्विपक्षीय झटका मानने की बजाय भारत इसे अपने बहुध्रुवीय व्यापार और निवेश नीति को तेज करने का कारण बना रहा है। गोयल ने स्पष्ट किया कि नीतिगत कदमों, EFTA जैसे मुक्त व्यापार और बड़ी निवेश योजनाओं के जरिए भारत ऐसे बाहरी झटकों का असर कम करेगा और निर्यात-आधारित विकास पैटर्न को बनाए रखेगा।

 “झुकेगा नहीं”….आत्मविश्वास या राजनीतिक संदेश?

बिजनेस टुडे के कार्यक्रम में पीयूष गोयल ने कहा, “आज देश मजबूत और आत्मविश्वास से भरा है — वार्षिक विकास दर करीब 6.5% है और निर्यात में वृद्धि की उम्मीद है।” उनके तेवर ने राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता और राजनीतिक दृढ़ता दोनों का संदेश दिया — खासकर तब जब अमेरिका के ऐलान से स्थानीय व्यापारिक और राजनीतिक हलकों में चिंता थी। गोयल के ड्राइवेबल संदेश में घरेलू बाजार का भरोसा बहाल करना और वैश्विक साझेदारों को भरोसा दिलाना दोनों शामिल थे।

EFTA संधि: टैरिफ शॉक का वैकल्पिक झटका-प्रतिरोध

गोयल ने EFTA (European Free Trade Association — आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे, स्विट्ज़रलैंड) के साथ हाल की बातचीत को उद्धृत करते हुए कहा कि चार देशों ने भारत में लगभग $100 बिलियन निवेश करने पर सहमति दी है। सरकार का दावा है कि यह निवेश 10 लाख प्रत्यक्ष और लगभग 50 लाख कुल नौकरियां पैदा करेगा और 1 अक्टूबर से यह समझौता लागू होने पर उसके लाभ दिखने लगेंगे।

विश्लेषकों का कहना है कि EFTA समझौता समयनिष्ठ वैकल्पिक बाज़ार और निवेश धक्का है — विशेषकर तब जब पारंपरिक बाजारों में टैरिफ-आधारित बाधाओं का खतरा उभरता है। इससे भारत को न केवल पूँजी और रोजगार मिलेगा, बल्कि निर्यात-मार्गों का विविधीकरण भी संभव होगा।

निर्यात, विकास दर और घरेलू प्रभाव — क्या जोखिम है व क्या अवसर?

  • जोखिम: अमेरिकी टैरिफ से अमेरिका-निर्भर कुछ निर्यात श्रेणियों (विशेषकर मूल्यवान वस्तुओं) को दबाव झेलना पड़ सकता है और अल्पकालिक रूप से विकास दर पर असर दिख सकता है।
  • अवसर: EFTA निवेश, वैकल्पिक बाजारों में पहुंच और सरकार के निर्यात-प्रोत्साहन कदमों से मध्य और दीर्घावधि में घर्षण कम हो सकता है।
  • नीतिगत कदम: गोयल ने कहा कि व्यापार बाधाओं से निपटने के उपाय किए जा रहे हैं — इसमें टैरिफ-समायोजन, निर्यात-प्रोत्साहन और द्विपक्षीय वार्ताएं शामिल हैं।

 राहुल गांधी पर तीखा हमला

भाजपा नेतृत्व के साथ-साथ गोयल ने विपक्ष पर भी तीखा प्रहार किया। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अर्थव्यवस्था को “मृत” बताने वाली टिप्पणियों की निंदा की और कहा कि देश उन्हें इस आरोप के लिए माफ नहीं करेगा। गोयल ने जोर देकर कहा कि विश्व भारत को तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में देखता है, और वैश्विक विकास में भारत का योगदान लगातार बढ़ रहा है।

रणनीति अभी निर्णायक होगी?

आर्थिक विशेषज्ञों का मत है कि अल्पकालिक झटकों का असर संभव है, पर नीति-निर्माण और वैकल्पिक समझौतों से प्रभाव नार्मलाइज़ हो सकता है — बशर्ते कार्यान्वयन में तेज़ी और ट्रांसपेरेंसी बनी रहे। एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री ने कहा, “EFTA निवेश का वादा अच्छा है, पर यह देखने की जरूरत होगी कि निवेश कहाँ और किस सेक्टर में आता है — सीधे नियोक्ता क्षेत्र और निर्यात-उन्मुख उद्योगों पर असर पड़ेगा या नहीं।”

 टैरिफ विवाद के बीच भारत की राह

अमेरिका के टैरिफ-फैसले ने निश्चित रूप से अंतरराष्ट्रीय व्यापार-नक्शे में हलचल पैदा की है। पर नई दिल्ली ने प्रतिक्रिया के रूप में पारदर्शिता, वैकल्पिक साझेदारी और घरेलू आत्मनिर्भरता पर ज़ोर देकर अपनी रणनीति दिखाई है। EFTA समझौते और निर्यात-प्रोत्साहन कदमों से यह स्पष्ट है कि भारत व्यापार-झटकों को अवसर में बदलने की कोशिश कर रहा है। अब सबसे बड़ा प्रश्न यह रहेगा कि यह रणनीति कितनी तेज और प्रभावी तरीके से लागू होती है — और क्या इससे करदाता, उद्योग और रोज़गार को वादा गया लाभ वास्तविकता में दिखेगा।

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Bodh Saurabh Desk

Bodh Saurabh is an experienced Indian journalist and digital media professional, with over 14 years in the news industry. He currently works as the Assistant News Editor at Bodh Saurabh Digital, a platform known for providing breaking news and videos across a range of topics, including national, regional, and sports coverage.

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