
Cannes Film Festival 2025:राजस्थान की भूमि से उभरकर, लोककला और संस्कृति की अनूठी कहानी लेकर आई फिल्म ‘ओमलो’ ने कान फिल्म फेस्टिवल 2025 में अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई। इस फिल्म ने अपनी सशक्त और भावनात्मक कहानी से न सिर्फ दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया, बल्कि भारतीय सिनेमा को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिलाई। (Cannes Film Festival 2025) फिल्म में एक 7 साल के बच्चे और एक ऊँट के रिश्ते को केंद्र में रखा गया है, जो पारिवारिक हिंसा, पितृसत्ता और मानसिक शोषण जैसे गंभीर मुद्दों को संवेदनशीलता से पेश करता है।
ऊंट और बच्चे का रिश्ता..
‘ओमलो’ की कहानी एक मासूम बच्चे और उसके साथ ऊंट की जीवन यात्रा के इर्द-गिर्द घूमती है। यह फिल्म न सिर्फ पारिवारिक हिंसा और मानसिक शोषण जैसे गहरे मुद्दों पर रोशनी डालती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कभी-कभी इंसान से अधिक संवेदनशीलता जानवरों में होती है। फिल्म की रियलिस्टिक सिनेमेटिक शैली दर्शकों को पूरी तरह से प्रभावित करती है और एक गहरी सोच के लिए प्रेरित करती है। ऊँट और बच्चे का रिश्ता, जो उनकी आत्मीयता और संघर्ष की कहानी को दिखाता है, ने फिल्म को और भी प्रभावशाली बना दिया है।
निर्माता और निर्देशक की मेहनत
सोनू रणदीप चौधरी (लेखक, निर्देशक और निर्माता)
शेखावाटी (कोलिंडा का बास) के रहने वाले सोनू रणदीप चौधरी ने अपनी पहली फिल्म ‘ओमलो’ से ही कान फिल्म फेस्टिवल में कदम रखा। थिएटर में 15 साल का अनुभव रखने वाले सोनू ने बिना किसी फिल्म स्कूल की डिग्री के अपने कौशल को निखारा। उनका मानना है कि सिनेमा एक कला है, जो सच्चाई और संवेदनशीलता को दर्शाती है। उनकी मेहनत और सच्चाई ने उन्हें इस फिल्म के लिए आवश्यक रचनात्मक दृष्टिकोण दिया, जिससे वह वैश्विक सिनेमा में अपनी जगह बनाने में सफल रहे।
रोहित जयरामदास माखिजा (निर्माता और कास्टिंग डायरेक्टर)
रोहित जयरामदास माखिजा, कोटा जिले के निवासी, ने ‘ओमलो’ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। व्यापारी से फिल्म निर्माता बने रोहित का विश्वास है कि सिनेमा एक प्रभावशाली माध्यम है, जो समाज में बदलाव ला सकता है। उन्होंने फिल्म निर्माण और कास्टिंग में अपनी भूमिका से फिल्म को एक नया आयाम दिया।
यतिन राठौर (कला निर्देशक और सह-निर्माता)
यतिन राठौर, बारां जिले के निवासी, ने मुंबई में अपने कला निर्देशन के अनुभव से ‘ओमलो’ के दृश्यों में गहराई और सजीवता प्रदान की। उनका काम फिल्म को एक वास्तविकता के रूप में पेश करता है, जो दर्शकों को पूरी तरह से जुड़ने का अवसर देता है।
अजय राठौड़ (निर्माता)
अजय राठौड़, चुरू जिले के व्यवसायी, ने ‘ओमलो’ के निर्माण में एक नया दृष्टिकोण दिया। उन्होंने अपने व्यापारिक कौशल का उपयोग करते हुए फिल्म को सिनेमा की दुनिया में एक नया रंग दिया।
कान फिल्म फेस्टिवल में ‘ओमलो’ की उपस्थिति
इस फिल्म का चयन कान फिल्म फेस्टिवल में होना राजस्थान के फिल्म उद्योग के लिए गर्व का क्षण है। यह फिल्म साबित करती है कि सच्ची कहानी और ईमानदार प्रस्तुति से वैश्विक मंच पर पहचान बनाई जा सकती है। ‘ओमलो’ ने सिनेमा की शक्ति को दिखाया है और फिल्म प्रेमियों को एक नई दिशा प्रदान की है।
‘ओमलो’ का प्रीमियर
13 मई 2025 को कान फिल्म फेस्टिवल में ‘ओमलो’ का प्रीमियर होगा, जो न केवल राजस्थान, बल्कि भारतीय सिनेमा के लिए भी ऐतिहासिक क्षण होगा। इस फिल्म के प्रीमियर के साथ, भारतीय सिनेमा की सांस्कृतिक विविधता को वैश्विक मंच पर मान्यता मिलेगी, और यह दर्शाता है कि भारतीय फिल्मों में हर पहलू में दम है।
यह भी पढ़ें:
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान को घेरा, अब क्या होगा? ज्योतिषीय भविष्यवाणी से खुलेंगे राज!