
Black turmeric: भारतीय रसोई में हल्दी का खास स्थान है। इसकी महक और रंग के बिना दाल-सब्जी अधूरी लगती है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि हल्दी सिर्फ स्वाद ही नहीं, सेहत का भी खजाना है? हम सब पीली हल्दी का इस्तेमाल तो करते ही हैं, लेकिन क्या आपने कभी काली हल्दी (Black Turmeric) के बारे में सुना है? (Black turmeric)यह साधारण हल्दी से कहीं ज्यादा गुणकारी और औषधीय महत्व रखने वाली दुर्लभ जड़ी-बूटी है। अगर आपने इसे अभी तक नहीं आजमाया, तो अब समय आ गया है कि आप इस चमत्कारी मसाले को अपनी रसोई में जगह दें। आइए जानते हैं, काली हल्दी के स्वास्थ्यवर्धक फायदों के बारे में!
काली हल्दी के फायदे
भारतीय परंपरा और आयुर्वेद में महत्व
हल्दी को “इंडियन सैफ्रन” यानी भारतीय केसर भी कहा जाता है। प्राचीन काल से इसका उल्लेख आयुर्वेद में मिलता है। संस्कृत में इसे “हरिद्रा” कहा जाता है, और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने इसे अपने शरीर पर इस्तेमाल किया था। आयुर्वेदाचार्य चरक और सुश्रुत ने भी हल्दी के औषधीय गुणों का विस्तार से वर्णन किया है। हल्दी दो प्रकार की होती है—पीली और काली।
प्राकृतिक औषधि के रूप में उपयोग
पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में हल्दी का उपयोग पेट दर्द, घाव, जहर के प्रभाव को कम करने और त्वचा संबंधी समस्याओं के उपचार के लिए किया जाता था। काली हल्दी विशेष रूप से एक औषधीय जड़ी-बूटी है, जो अपने गुणों के कारण विभिन्न दवाओं में इस्तेमाल की जाती है। यह भारत के कुछ ही भागों में उगाई जाती है और अपनी दुर्लभता के कारण अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है।
प्राकृतिक रूप से उगने वाली जड़ी-बूटी
काली हल्दी एक बारहमासी पौधा है, जो नम वन क्षेत्रों और चिकनी मिट्टी में अच्छी तरह से पनपता है। यह मुख्य रूप से मध्य भारत और उत्तर-पूर्वी राज्यों में पाया जाता है। इसकी पत्तियों में गहरे बैंगनी रंग के धब्बे होते हैं, जो इसे अन्य हल्दी प्रजातियों से अलग बनाते हैं।
करक्यूमिन की अधिक मात्रा
काली हल्दी में करक्यूमिन (Curcumin) की मात्रा अन्य हल्दी प्रजातियों की तुलना में अधिक होती है। करक्यूमिन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व है, जो शरीर में सूजन को कम करने और कई बीमारियों से बचाव करने में सहायक होता है।
घाव और त्वचा संक्रमण के लिए असरदार
काली हल्दी के पेस्ट को पारंपरिक रूप से घाव, जलन और सांप या कीड़े के काटने पर लगाया जाता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो त्वचा संक्रमण को ठीक करने में मदद करते हैं।
दर्द निवारण में सहायक
चोट, मोच या किसी भी शारीरिक दर्द से राहत पाने के लिए काली हल्दी का पेस्ट बेहद प्रभावी माना जाता है। यह जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में भी सहायक होती है।
माइग्रेन से राहत
जो लोग माइग्रेन से परेशान रहते हैं, उनके लिए काली हल्दी बहुत फायदेमंद होती है। इसे माथे पर लगाने से सिरदर्द और तनाव में राहत मिलती है, जिससे माइग्रेन के दर्द को कम करने में मदद मिलती है।
पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है
काली हल्दी का सेवन पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है। यह गैस, अपच और अन्य पाचन समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। इसके नियमित सेवन से इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है, जिससे शरीर विभिन्न संक्रमणों और बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनता है।
त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद
काली हल्दी त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाने में मदद करती है। इसके नियमित उपयोग से त्वचा की समस्याएं, जैसे कि मुंहासे, दाग-धब्बे आदि कम होते हैं। इसके अलावा, बालों की मजबूती और वृद्धि के लिए भी काली हल्दी का उपयोग किया जाता है।
डायबिटीज और कैंसर से बचाव
काली हल्दी शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करती है, जिससे डायबिटीज के मरीजों को लाभ मिलता है। इसमें मौजूद एंटी-कैंसर गुण कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में सहायक होते हैं, जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचाव किया जा सकता है।
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