Ram Bhadracharya statement: विद्याधर नगर स्टेडियम, जयपुर में चल रही रामकथा के दौरान सोमवार को जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने अपने जोशीले और दृढ़ विचारों के माध्यम से भक्तों को प्रभावित किया। (Ram Bhadracharya statement)उन्होंने देश के संतों को संदेश देते हुए कहा कि राष्ट्र की चिंता का दायित्व संतों का है, न कि सांसारिक परिवारों में लिप्त भक्तों का। रामभद्राचार्य ने आगामी कुंभ के संदर्भ में कहा कि इस बार कुछ ऐसा किया जाएगा जिससे विश्व के नक्शे से पाकिस्तान का नाम तक मिट जाएगा। कथा में उन्होंने ताड़का वध और राम विवाह के प्रसंग को सुनाते हुए रामलला की पुनर्स्थापना की बात से लेकर काशी-मथुरा और रेवासा पीठ की सुरक्षा पर भी जोर दिया। संतों के योगदान और सनातनी मूल्यों की रक्षा पर जोर देते हुए उन्होंने गांधी परिवार पर तंज कसा और कहा, “यह देश गांधी परिवार का नहीं, सनातनियों का है।”
भारत में गौ हत्या बंद कराने का संकल्प
रामभद्राचार्य ने चित्रकूट धाम में 6 दिसंबर को संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना का ऐलान किया और देशवासियों से इसे देखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अब सांस्कृतिक आंदोलन शुरू होगा और भारत में गौ हत्या बंद करवा कर ही रहेंगे। इसके साथ ही उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की दिशा में भी कदम उठाने की बात कही। रामभद्राचार्य ने यह भी कहा कि अब सत्ता परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उनके प्रधानमंत्री के रूप में चौथी बार नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी है।
जयपुर के प्रति प्रेम और भविष्य की प्रतिबद्धता
रामभद्राचार्य ने जयपुर के प्रति अपने प्रेम का इज़हार करते हुए कहा कि वह 2003 में जयपुर आए थे, लेकिन 21 साल बाद अब फिर से यहां आ रहे हैं। उन्होंने वचन दिया कि वह हर साल जयपुर की यात्रा करेंगे, इसे अब ‘छोटी काशी’ के नाम से बुलाएंगे।
श्रीराम का उद्धारण – संतों की रक्षा
रामभद्राचार्य ने भगवान राम के एक प्रसंग का जिक्र किया, जिसमें श्रीराम ने ताड़का का वध किया था। उन्होंने कहा, “भगवान राम ने कहा था कि संतों को मारने वालों का वध करना मेरा धर्म है।” रामभद्राचार्य ने राम को एक आदर्श राजा, त्यागी, स्वामी और दानी के रूप में वर्णित किया। इसके बाद उन्होंने अपने प्रसिद्ध भजन “राजे भी देखे महाराजे भी देखे, मेरे राम जैसा कोई राजा न देखा” को सुनाया, जिससे उपस्थित लोग मंत्रमुग्ध हो गए।
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