Prayagraj Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम होता है, इसे केवल एक धार्मिक आयोजन कहना कम होगा। यह वह पवित्र भूमि है, जहां हर बारह साल में आस्था और संस्कृति का महासंगम होता है। इस अद्वितीय आयोजन में लाखों श्रद्धालु अपने पापों से मुक्ति पाने और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करने के लिए डुबकी लगाते हैं।
इस बार जयपुर का खास योगदान इस महाकुंभ को और भव्य बना रहा है। जयपुर के प्रसिद्ध मठ-मंदिरों की ओर से न केवल श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे, बल्कि यहां भव्य भंडारों की व्यवस्था भी की गई है। (Prayagraj Mahakumbh 2025)गोविंद देवजी मंदिर के आशीर्वाद से संचालित होने वाला गोविंदधाम इस आयोजन का प्रमुख आकर्षण रहेगा। यहां न केवल जयपुर की धार्मिक परंपराओं का दर्शन होगा, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क सेवा भी दी जाएगी।
गोविंदधाम…निशुल्क भंडारा सेवा
गंगा के दक्षिण तट पर गोविंद देवजी मंदिर के आशीर्वाद से “गोविंदधाम” नाम से निशुल्क भंडारा लगाया जाएगा। यह आयोजन आर्ष संस्कृति दिग्दर्शक ट्रस्ट द्वारा संचालित किया जाएगा। गोविंद देवजी मंदिर से शुक्रवार को आटा, दाल, चावल, घी, चीनी-चाय सहित अन्य खाद्य सामग्री की गाड़ी को पूजा-अर्चना के बाद रवाना किया गया।
अन्नपूर्णा रथ की पूजा
गोविंद देवजी मंदिर के महंत अंजन कुमार गोस्वामी और सेवाधिकारी मानस गोस्वामी ने अन्नपूर्णा रथ की विधिवत पूजा की। इस अवसर पर महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने कहा कि प्रयागराज कुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जो विभिन्न मत-मतांतरों और संप्रदायों को एक साथ लाकर सांस्कृतिक एकता को मजबूत करता है।
गोविंदधाम में सुविधाएं
प्रयागराज के अक्षय वट सेक्टर-21 के मुक्ति मार्ग पर स्थित गोविंदधाम में निशुल्क भोजन और रहने की व्यवस्था की गई है।
- सुबह का नाश्ता: पोहा, हलवा, खिचड़ी।
- भोजन: सुबह और शाम को भंडारा प्रसादी।
- संतों की अलग व्यवस्था: संतों के लिए विशेष भंडार का आयोजन।
गोविंदधाम में एक बार में करीब एक हजार लोगों के भोजन की व्यवस्था की गई है।
जयपुर के आराध्य देव गोविंद देवजी के दर्शन
गोविंदधाम में आने वाले श्रद्धालु जयपुर के आराध्य देव गोविंद देवजी के दर्शन कर सकेंगे। यहां सातों आरती जयपुर की परंपरा के अनुसार होंगी।
धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का संदेश
महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने श्रद्धालुओं को महाकुंभ में संगम स्नान का महत्व बताया और सभी से इसमें भाग लेने की अपील की। इस आयोजन में जयपुर के विभिन्न मठ-मंदिरों और संतों का सक्रिय सहयोग रहेगा।
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