Mata Kali:भारतीय पौराणिक कथाओं में देवी काली का रौद्र रूप अनेकों कहानियों और घटनाओं में प्रचलित है। देवी काली को उनके उग्र और भयंकर रूप के लिए जाना जाता है, जिसने अनेक दैत्य, दानव, और असुरों का संहार किया।(Mata Kali) इन असुरों के आतंक से ऋषि-मुनि और देवता भी कांपते थे। ऐसी ही एक कथा में आता है एक अत्यंत शक्तिशाली राक्षस रक्तबीज का, जिसका वध स्वयं माता काली ने किया था। इस कथा के माध्यम से हम जानेंगे कौन था रक्तबीज और माता काली ने क्यों किया उसका वध? आइए इस रोमांचक और प्रेरणादायक कथा को विस्तार से जानते हैं।
कौन था रक्तबीज
धार्मिक कथाओं के अनुसार, रक्तबीज एक दानव था, जो महर्षि कश्यप और दिति के गर्भ से पैदा हुआ था। मान्यता है कि रक्तबीज ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। उसने शिव को प्रसन्न करके वरदान प्राप्त किया कि यदि उसके शरीर से खून की एक बूंद भी जमीन पर गिरेगी, तो उसका नया रूप पैदा हो जाएगा। इस वरदान के कारण रक्तबीज को हराना असंभव हो गया था।
रक्तबीज का अत्याचार
रक्तबीज के अत्याचार इतने बढ़ गए कि देवलोक के सभी देवता माता दुर्गा के पास सहायता मांगने के लिए गए। माता दुर्गा ने देवताओं की पीड़ा को दूर करने के लिए रक्तबीज के साथ युद्ध शुरू किया। लेकिन हर चोट से गिरा रक्त नए रक्तबीजों को जन्म देता था, जिससे युद्ध और भी कठिन हो गया।
दुर्गा ने लिया काली का रूप
धार्मिक मान्यता है कि माता दुर्गा ने रक्तबीज को समाप्त करने के लिए अपनी शक्ति से मां काली का आह्वान किया और रौद्र रूप धारण किया। इसके बाद दोनों में भीषण युद्ध हुआ। रक्तबीज को वरदान प्राप्त था, इसलिए वह हर बार नए रूप में उत्पन्न होता रहा। माता काली ने अपने भयानक रूप में रक्तबीज के रक्त को जमीन पर गिरने नहीं दिया, बल्कि अपनी जीभ से पी लिया। जिसके बाद रक्तबीज को पूरी तरह नष्ट कर दिया।
असुरों के संहार के लिए मां दुर्गा के कई रूप
मां काली का प्रकट होना बुराई और अन्याय को समाप्त करने का प्रतीक माना जाता है। माता ने अधर्म और अत्याचार को खत्म करने के लिए कई अवतार लिए हैं, जिनकी आज अलग-अलग रूप में पूजा होती है। उन्होंने यह दिखाया कि अधर्म और अत्याचार के विरुद्ध जब अन्य उपाय विफल हो जाते हैं, तब शक्ति का आह्वान किया जाता है।
सबसे शक्तिशाली दैत्य था रक्तबीज
माता ने महिषासुर, धूम्रविलोचन और शुंभ-निशुंभ जैसे राक्षसों का अंत करने के लिए अलग-अलग रूप धारण किए। लेकिन इन सभी दानवों में रक्तबीज सबसे भयंकर मायावी और बलशाली था। उसका अंत करना देवताओं के वश की बात नहीं थी। इसलिए देवता मां दुर्गा के पास गए और उनसे विनती की। जिसके बाद माता ने काली रूप में रक्तबीज का वध करके धर्म और न्याय की स्थापना की। उसी दिन माता काली की पूजा की जाती है। रक्तबीज और माता काली के युद्ध की कहानी मार्कंडेय पुराण में विस्तार से बताई गई है।
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