गहलोत ने भजनलाल सरकार के जिलों को रद्द करने के फैसले पर सवाल उठाए, जानिए क्या कहा!

Rajasthan Politics: पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान में 9 नए जिलों को खत्म करने के भजनलाल सरकार के फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। गहलोत ने आरोप लगाया कि यह निर्णय प्रशासनिक सुधारों और विकास की दिशा में एक बड़ा कदम नहीं था। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश, जो क्षेत्रफल में राजस्थान से छोटा है, वहां 53 जिले बनाए गए हैं,(Rajasthan Politics) जबकि राजस्थान में समय के साथ नए जिलों की जरूरत थी। गहलोत का मानना है कि नए जिलों का गठन प्रशासनिक दृष्टिकोण से सही था, और यह निर्णय प्रदेश के विकास में बाधक साबित हो सकता है।

जिलों में प्रशासनिक सुधार से आम जनता को लाभ

अशोक गहलोत ने अपने बयान में कहा कि यदि जिलों में प्रशासन मजबूत हो तो इसका सीधा लाभ आम जनता को मिलता है। ऐसा होने पर बजट घोषणाओं को लागू करना आसान हो जाता है, जबकि प्रशासनिक निगरानी और आपराधिक घटनाओं पर नियंत्रण भी बेहतर तरीके से किया जा सकता है। गहलोत ने यह भी बताया कि यह व्यवस्था पीड़ितों की शिकायतों को जिला मुख्यालय तक पहुँचाने में मदद करती है, जिससे उनकी समस्याओं का समाधान जल्दी होता है।

क्यों एक साल बाद लिया गया फैसला?

गहलोत ने यह सवाल उठाया कि अगर भजनलाल सरकार को ये नए जिले गलत लग रहे थे, तो क्यों एक साल तक इसे जारी रखा गया? उनका कहना था कि यदि यह गलत था, तो सरकार आते ही इसे खत्म कर दिया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और एक साल बाद इस पर निर्णय लिया गया।

भजनलाल सरकार का फैसला: बिना सोचे-समझे कदम

गहलोत ने आरोप लगाया कि भजनलाल सरकार ने बिना सोचे-समझे इन महत्वपूर्ण जिलों को रद्द कर दिया। उनका कहना था कि इन जिलों का गठन प्रशासनिक सुधारों और आम आदमी को राहत पहुँचाने के उद्देश्य से किया गया था, लेकिन भाजपा सरकार ने यह निर्णय जल्दबाजी में लिया। गहलोत ने मीडिया में आए कुछ पुराने ब्यूरोक्रेट्स के बयानों का भी विरोध किया, जिन्होंने इन जिलों को व्यावहारिक नहीं बताया और इसके पीछे छुपे राजनीतिक कारणों की ओर इशारा किया।

राज्य में जिलों और संभागों की संख्या में बदलाव

गहलोत ने यह भी बताया कि भजनलाल सरकार ने गहलोत शासन के दौरान बनाए गए 17 जिलों में से 9 को खत्म कर दिया और तीन संभागों का दर्जा वापस ले लिया। अब राजस्थान में कुल 41 जिले और 7 संभाग होंगे, जो प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे में एक बड़ा बदलाव है।

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Bodh Saurabh

प्रिंट मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत करते हुए दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका और खास खबर.कॉम जैसे प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म्स पर काम किया। गुलाबी नगरी जयपुर का निवासी, जहां की सांस्कृतिक और राजनीतिक धड़कन को बारीकी से समझा। धर्म, राजनीति, शिक्षा, कला और एंटरटेनमेंट से जुड़ी कहानियों में न सिर्फ गहरी रुचि बल्कि समाज को जागरूक और प्रेरित करने का अनुभव। सकारात्मक बदलाव लाने वाली रिपोर्टिंग के जरिए समाज की नई दिशा तय करने की कोशिश। कला और पत्रकारिता का अनोखा संगम, जो हर कहानी को खास बनाता है।

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