Bhai Dooj: आज भाई दूज पर इन 5 गलतियों से बचें!जानें पर्व की पौराणिक कथा और तिलक का सही समय

Bhai Dooj Special:भाई दूज, भाई-बहन के अटूट प्रेम और बंधन का प्रतीक, हिंदू धर्म में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाने वाला पर्व है। (Bhai Dooj Special)यह पर्व दीपावली के ठीक दो दिन बाद आता है, जब बहनें अपने भाइयों को तिलक कर उनकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सुरक्षा की कामना करती हैं, और भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं। भाई दूज का यह पर्व केवल एक परंपरा ही नहीं बल्कि भाई-बहन के रिश्ते की गहराई और महत्व को भी दर्शाता है।

इस पवित्र दिन की महत्ता को जानने के लिए आइए, भाई दूज की पौराणिक कथाओं में डूबते हैं और जानते हैं कि इस दिन तिलक करने का शुभ मुहूर्त क्या है। साथ ही, इस खास अवसर पर उन गलतियों के बारे में भी जानेंगे, जिनसे बचकर हम इस पर्व की पवित्रता को बनाए रख सकते हैं।

भाई दूज की पौराणिक कथा: यमराज और यमुनाजी का अद्भुत मिलन

भाई दूज का यह पर्व यमराज और उनकी बहन यमुनाजी की कथा से प्रेरित है। पौराणिक कथा के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने उनके घर पहुंचे। यमुनाजी ने बड़े आदर-सत्कार से अपने भाई का स्वागत किया, उन्हें तिलक लगाकर आरती उतारी और स्वादिष्ट भोजन कराया। यमराज इस प्यार भरे स्वागत से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने यमुनाजी को यह वरदान दिया कि जो भाई इस दिन यमुना नदी में स्नान कर अपनी बहन के हाथों तिलक करवाएगा, उसे मृत्यु के बाद यमलोक के कष्टों से मुक्ति मिलेगी। इसी कारण, इस दिन भाई अपनी बहनों से तिलक ग्रहण करते हैं, ताकि उनकी जीवन रक्षा का आशीर्वाद बना रहे।

तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त: प्रेम का आशीर्वाद देने का विशेष समय

3 नवंबर 2024 को भाई दूज का तिलक करने का शुभ समय दोपहर 1:10 बजे से लेकर 3:22 बजे तक है। इस समय के दौरान, बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र, समृद्धि और सफलता की कामना कर सकती हैं। यह समय रिश्तों को और भी मधुर और सशक्त बनाने के लिए विशेष माना गया है।

भाई दूज पर इन 5 बातों का रखें खास ध्यान
  1. उपवास से तिलक का महत्व बढ़ाएं
    बहनें तिलक करने से पहले उपवास रखें और अपने भाइयों के लिए तिलक के बाद ही भोजन ग्रहण करें। इससे पर्व की पवित्रता और शुभता बढ़ जाती है और रिश्ते में प्रेम का भाव गहराई से जुड़ जाता है।
  2. सचाई और स्नेह की रखें कद्र
    इस दिन भाई-बहन के रिश्ते को सच्चाई से सींचें। भाई को चाहिए कि वह अपनी बहन से झूठ न बोले और दोनों ही किसी भी तरह के झगड़े या विवाद से दूर रहें, ताकि इस पवित्र दिन का महत्व और बढ़े।
  3. सही दिशा में बैठकर करें तिलक
    तिलक करते समय दिशा का खास महत्व है। भाई को उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर और बहन को उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में बैठना चाहिए। इससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और तिलक का प्रभाव बढ़ता है।
  4. पवित्रता बनाए रखें, मांसाहार और नशीले पदार्थों से परहेज करें
    भाई दूज का पर्व पूरी पवित्रता से मनाना चाहिए। मांसाहार और नशीले पदार्थों से दूर रहना इस दिन को और अधिक मंगलमय बनाता है। यह दिन पूरी तरह शुद्धता और शुभता का प्रतीक है।
  5. काले वस्त्रों से करें परहेज
    भाई दूज पर काले वस्त्रों को पहनने से बचें। काला रंग नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है और इस पवित्र पर्व पर शुभ रंगों के वस्त्र पहनना विशेष लाभकारी होता है, जिससे रिश्तों में सकारात्मकता और उत्साह का संचार होता है।

इस प्रकार, भाई दूज का पर्व न केवल भाई-बहन के रिश्ते में प्रेम और स्नेह को बढ़ाता है, बल्कि इन सावधानियों का पालन कर हम इस पर्व की पवित्रता को और अधिक विशेष बना सकते हैं।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। Bodh Saurabh इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Bodh Saurabh

Bodh Saurabh, a journalist from Jaipur, began his career in print media, working with Dainik Bhaskar, Rajasthan Patrika, and Khaas Khabar.com. With a deep understanding of culture and politics, he focuses on stories related to religion, education, art, and entertainment, aiming to inspire positive change through impactful reporting.

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