
Record May Rainfall: जहां मई-जून की दोपहरें आमतौर पर चिलचिलाती धूप, तपती ज़मीन और लू के थपेड़ों से जानी जाती हैं, वहीं इस बार आसमान ने कुछ और ही खेल दिखा दिया। गर्मी की आग में झुलसने की तैयारी कर रहे लोग इस बार ठंडी हवाओं और झमाझम बारिश से चौंक गए। दिल्ली से लेकर कर्नाटक और केरल तक, (Record May Rainfall) बादलों ने ऐसा कहर बरपाया कि पुराने रिकॉर्ड भी धराशायी हो गए।
दिल्ली में टूटा 125 साल का रिकॉर्ड
दिल्ली में मई महीने में इतनी बारिश हुई, जितनी पिछली सदी में कभी नहीं देखी गई। 188.9 मिमी बारिश के साथ राजधानी ने 125 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया। यह औसत से 202% अधिक है। इससे पहले 2008 में 165 मिमी बारिश हुई थी। आमतौर पर लू से बेहाल रहने वाली दिल्ली में इस बार लोग रजाइयां निकालने की बात करते दिखे।
कर्नाटक में बाढ़ जैसे हालात
कर्नाटक में भी बादलों ने इतिहास रच दिया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जानकारी दी कि राज्य के 28 जिलों में सामान्य से कहीं ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। एक तरफ जहां किसानों के चेहरे खिल उठे, वहीं शहरी इलाकों में जलभराव, ट्रैफिक जाम और बिजली कटौती से लोग परेशान हो गए। कई जगहों पर स्कूल-कॉलेज तक बंद करने पड़े।
दक्षिण कन्नड़ में भूस्खलन से 3 की मौत
30 मई को कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में भारी बारिश के बाद भूस्खलन हुआ, जिसमें 3 लोगों की जान चली गई। केवल कर्नाटक ही नहीं, पड़ोसी राज्य केरल में भी हालात बिगड़ते नजर आ रहे हैं। वहां 8 जिलों में रेड अलर्ट जारी किया गया है और NDRF की टीमें तैनात की गई हैं।
31 मई तक भारी बारिश की चेतावनी
पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में भी मौसम विभाग ने 31 मई तक भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी दी है। असम, मिजोरम, त्रिपुरा और मेघालय जैसे राज्यों में लगातार बारिश से नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है। प्रशासन अलर्ट मोड पर है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की जा रही है।
लोगों के मन में उठे सवाल
ऐसे मौसम में, जब पंखे और एसी भी राहत न दे पाते थे, इस बार बेमौसम बारिश और ठंडी हवाएं किसी पहाड़ी इलाके का एहसास करवा रही हैं। लोग पूछने लगे हैं — आखिर यह बदलाव क्यों हो रहा है? क्या यह केवल एक अस्थायी झोंका है, या फिर जलवायु परिवर्तन की एक गंभीर चेतावनी?
मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, ग्लोबल वॉर्मिंग, एल नीनो और बदलते वायुमंडलीय दबाव इस बदलाव के पीछे अहम कारण हैं। ऐसे असामान्य पैटर्न भविष्य में और बढ़ सकते हैं, जिससे मौसम की भविष्यवाणी और भी मुश्किल हो जाएगी।
राहत या चेतावनी?
इस बार की बारिश ने जहां तपती गर्मी से कुछ राहत दी, वहीं तबाही और मौत की कहानियां भी पीछे छोड़ गईं। मौसम का यह बदला मिजाज केवल एक घटना नहीं, बल्कि एक संकेत है — कि प्रकृति अब हमें बार-बार चेतावनी दे रही है। जरूरी है कि हम समय रहते समझें, और अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं।
क्या अगली गर्मी भी ऐसी होगी? या फिर कुछ और चौंकाने वाला इंतज़ार कर रहा है? सवाल कई हैं, लेकिन जवाब हमें आने वाले मौसम से ही मिलेगा।
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