Rising Rajasthan Summit: राजस्थान की राजधानी जयपुर, जिसे गुलाबी शहर के नाम से जाना जाता है, अब सामाजिक बदलाव का अनूठा उदाहरण पेश करने जा रहा है। ( Rising Rajasthan Summit)यहां भिखारियों के दिन बदलने की तैयारी हो चुकी है। भीख मांगने के बजाय, अब जयपुर के भिखारी रोजगार और बिजनेस की राह पर चलेंगे। राज्य सरकार ने इस पहल को नई दिशा देने के लिए भिखारियों को रहने, खाने और कौशल प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं प्रदान करने का निर्णय लिया है। इस महत्वाकांक्षी योजना को अमल में लाने की जिम्मेदारी एक एनजीओ को सौंपी गई है, और इसे “राइजिंग राजस्थान” की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
भिखारियों का पुनर्वास होगा सुनिश्चित
राजस्थान की राजधानी जयपुर में भिखारियों के दिन बदलने की कवायद शुरू हो गई है। उन्हें सड़क से उठाकर रहने और खाने का प्रबंध किया जाएगा। बीमार भिखारियों का इलाज भी सुनिश्चित किया जाएगा। इसके अलावा, उन्हें भविष्य में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा। कलेक्टर जितेंद्र सिंह सोनी ने बताया कि इस कार्य के लिए कलेक्ट्रेट, स्वास्थ्य विभाग, बाल संरक्षण इकाई और राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम के अधिकारियों की एक टीम गठित की गई है।
कैसे होगा भिखारियों का पुनर्वास?
राइजिंग राजस्थान समिट से पहले जयपुर को भिखारी मुक्त बनाने के लिए यातायात अधिकारी एनजीओ की मदद से भिखारियों की जानकारी जुटाएंगे। नगर निगम के अधिकारी इन भिखारियों को पुनर्वास गृह में शिफ्ट करेंगे, जहां उनके लिए साफ-सफाई, अन्नपूर्णा रसोई से भोजन और स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंध किया जाएगा।
भीख से बिजनेस तक का सफर
भिखारियों को पुनर्वास गृह में शिफ्ट करने के साथ ही उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार कौशल प्रशिक्षण देगी। राजस्थान कौशल आजीविका विकास आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत उन्हें विभिन्न विद्याएं सिखाई जाएंगी। इसके बाद उन्हें ऋण या अनुदान योजनाओं से जोड़ा जाएगा, ताकि वे सीखे हुए कौशल का उपयोग कर खुद का व्यवसाय शुरू कर सकें।
एनजीओ और सरकार का साझा प्रयास
इस योजना के तहत भिखारियों को एक नई जिंदगी देने की पहल हो रही है, जो उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करने का एक बड़ा कदम साबित होगी।
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