Rajasthan By-Election 2024: राजस्थान का चौरासी उपचुनाव, जो आदिवासी बहुल इलाकों में से एक है, राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में आ गया है। इस चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी अपने-अपने गढ़ बचाने की चुनौती का सामना कर रहे हैं। (Rajasthan By-Election 2024)यहां भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के बढ़ते प्रभाव ने इन दोनों प्रमुख दलों की राजनीति को हाशिये पर धकेल दिया है।
राज्य में बीजेपी की भजनलाल सरकार बनने के बाद बांसवाड़ा जिले के बागीदौरा विधानसभा क्षेत्र में पहला उपचुनाव हुआ। इस चुनाव की विशेषता यह थी कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक महेन्द्रजीत सिंह मालवीय के बीजेपी में शामिल होने के कारण यह उपचुनाव आवश्यक हो गया। इस उपचुनाव में BAP ने पहली बार बांसवाड़ा में धमाकेदार जीत हासिल की। इस सफलता के पीछे युवा सांसद राजकुमार रोत का नेतृत्व था, जो पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता रहे थे। उन्होंने आदिवासी पहचान और स्वाभिमान के नारे के साथ BAP को जबरदस्त समर्थन दिलवाया।
BAP का सबसे बड़ा मुद्दा ‘भील प्रदेश’ का निर्माण है, जबकि बीजेपी हिंदुत्व और आदिवासी कल्याण के मुद्दे को प्रमुखता दे रही है। दूसरी ओर, कांग्रेस अपने पारंपरिक आदिवासी वोट बैंक की वापसी के लिए संघर्ष कर रही है। इस चुनाव के परिणाम न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।
एकता का सशक्त संदेश
राजस्थान के चौरासी उपचुनाव के संदर्भ में बीजेपी नेता ने जोर देकर कहा कि अगर कोई अपने परिवार की एकता की बात करता है और दूसरे लोग उस नारे का गलत अर्थ निकालते हैं, तो इसका कोई स्पष्टीकरण नहीं हो सकता। उन्होंने बताया कि हिंदुस्तान के सभी लोगों को एकजुट रहना चाहिए ताकि देश की ताकत बढ़े। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा पूरे 140 करोड़ लोगों के लिए है।
शांति और सुरक्षा के लिए एकजुटता
बीजेपी नेता ने कहा कि सभी लोग देश की शांति और सुरक्षा के लिए एकजुट होकर काम करें। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि उनकी बातों का कोई गलत अर्थ निकालता है, तो वे स्वतंत्र हैं। पार्टी में गुटबाजी के सवाल पर उन्होंने कहा कि राजनीति में काम करने वाले लोगों का अपना मिजाज और जिम्मेदारियां होती हैं। किसी व्यक्ति की अनुपस्थिति या उपस्थिति सियासत का कारण नहीं होती।
सत्ता के दुरुपयोग पर कांग्रेस को जवाब
कांग्रेस द्वारा भाजपा पर सत्ता के दुरुपयोग के आरोपों का जवाब देते हुए बीजेपी नेता ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का रवैया हमेशा ‘मीठा-मीठा गप-गप और खारा-खारा थू-थू’ जैसा होता है। कांग्रेस जब खुद सत्ता में रहती है तो सब ठीक होता है, और जब दूसरा कुछ करता है तो गलत होता है।
चौरासी विधानसभा: एक त्रिकोणीय मुकाबला
चौरासी विधानसभा सीट बीएपी के विधायक राजकुमार रोत के सांसद बनने के बाद खाली हुई है। इस बार बीजेपी ने सुशील कटारा के बजाय सीमलवाड़ा के प्रधान कारीलाल ननोमा को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने ताराचंद भगौरा की जगह युवा सरपंच महेश रोत को उम्मीदवार बनाया है। बीएपी ने युवा अनिल कटारा को प्रत्याशी बनाकर मुकाबले को रोमांचक और त्रिकोणीय बना दिया है। बीएपी में प्रत्याशी का चयन वोटिंग के जरिए हुआ है।
जातिगत समीकरण और मतदाता
चौरासी विधानसभा आदिवासी बहुल सीट है, जहां आदिवासी वोटरों की संख्या सबसे अधिक करीब 75 फीसदी है। यहां चुनाव का सारा दारोमदार आदिवासी मतदाताओं पर है। बाकी 25 फीसदी मतदाता मुस्लिम, ब्राह्मण, राजपूत और ओबीसी जातियों से हैं।
पिछले चुनावों के नतीजे
2018 के चुनाव में बीएपी के राजकुमार रोत ने पहली बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2023 में, उन्होंने बीएपी से भारी बहुमत से जीत दर्ज की। लोकसभा चुनाव में डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीट से सांसद चुने जाने के कारण यहां उपचुनाव हो रहा है। चौरासी विधानसभा क्षेत्र में करीब 235,000 मतदाता हैं। पिछले चुनाव में रोत को 111,150 वोट मिले, बीजेपी के सुशील कटारा को 41,950 और कांग्रेस के ताराचंद भगौरा को 28,210 वोट मिले।
युवाओं पर दांव
चौरासी विधानसभा क्षेत्र में युवाओं की भारी संख्या को देखते हुए, तीनों दलों ने युवाओं पर दांव खेला है। कांग्रेस ने अब तक 5 बार, बीजेपी ने 3 बार और बीएपी ने 2 बार चुनाव जीते हैं। तीनों दलों के युवा प्रत्याशी इस बार के चुनाव को और भी रोमांचक बना रहे हैं।
ये भी पढ़े :