
Khinwsar By Election Result: राजनीति केवल विचारधाराओं और नीतियों का खेल नहीं है, बल्कि यह भावनाओं, प्रतीकों और प्रतीकात्मक कार्रवाइयों का भी मंच है। (Khinwsar By Election Result) राजस्थान के खींवसर उपचुनाव के बाद एक ऐसा ही प्रतीक—मूंछ—राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है। मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर द्वारा चुनाव हारने पर मूंछ मुंडवाने की घोषणा और फिर जीत के बाद जयपुर स्थित मुख्यमंत्री आवास के बाहर लगाए गए मूंछ वाले होर्डिंग्स ने इस प्रतीकात्मक मुद्दे को विवाद का रूप दे दिया है। यह प्रकरण बताता है कि किस तरह प्रतीकात्मक राजनीति आज के दौर में जनमानस और सत्ता के समीकरणों को प्रभावित कर रही है।
मूंछों के होर्डिंग बने चर्चा का विषय
खींवसर उपचुनाव में बीजेपी की जीत के बाद मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के आवास के बाहर लगे मूंछों वाले होर्डिंग्स ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। सिविल लाइन्स स्थित मुख्यमंत्री आवास के पास लगाए गए इन होर्डिंग्स में मूंछों का चित्र और “हैशटैग खींवसर” लिखा हुआ है। ये होर्डिंग सिविल लाइन्स से गुजरने वालों के लिए कौतुहल का विषय बने हुए हैं।
हरीश चौधरी ने दी प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता हरीश चौधरी ने इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया है, जो आमजन के मुद्दों और विचारधाराओं पर आधारित होती है। इसे व्यक्तिगत प्रतिष्ठा से जोड़ना और विवाद खड़ा करना छोटी सोच को दर्शाता है।
चुनाव प्रचार के दौरान दिया गया बयान बना विवाद का कारण
यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब चुनाव प्रचार के दौरान गजेंद्र सिंह खींवसर ने घोषणा की थी कि अगर बीजेपी हारती है, तो वे अपनी मूंछें मुंडवा देंगे। हालांकि, बीजेपी की जीत के बाद इस बयान को लेकर चर्चा और बढ़ गई। परिणाम के तुरंत बाद गजेंद्र सिंह खींवसर एक वीडियो में मूंछों का ताव देते हुए नजर आए।
खींवसर में बीजेपी की बड़ी जीत
खींवसर उपचुनाव में बीजेपी के रेवंतराम डांगा ने जीत हासिल की, जबकि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) की कनिका बेनीवाल को हार का सामना करना पड़ा। राज्य के सातों सीटों के परिणाम में बीजेपी ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस ने दो सीटों पर जीत हासिल की।
प्रतीकात्मक राजनीति की नई मिसाल?
मूंछों से जुड़ा यह विवाद प्रतीकात्मक राजनीति का एक नया अध्याय बन गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के प्रतीकात्मक मुद्दे जनता का ध्यान खींचने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, लेकिन इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के मूल मुद्दे पीछे छूट जाते हैं।
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