Govardhan Puja 2024 Muhurat: आज अमृत योग में गोवर्धन पूजा! जानें पूजा का मुहूर्त और चार गुना लाभ पाने का रहस्य!

Govardhan Puja 2024 Muhurat:  सनातन धर्म में गोवर्धन पूजा का अत्यधिक महत्व है और इसे दिवाली के पांच दिवसीय पर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। इस वर्ष गोवर्धन पूजा 2 नवंबर 2024 को मनाई जा रही है। देशभर में इस पर्व की धूमधाम और विशेष रौनक देखने को मिलती है। (Govardhan Puja 2024 Muhurat)  गोवर्धन पूजा के दिन भक्तजन विभिन्न प्रकार से पूजा-अर्चना करते हैं। इस शुभ अवसर पर गाय के गोबर से भगवान श्रीकृष्ण का चित्र बनाकर, शुभ मुहूर्त के दौरान विधिपूर्वक पूजा की जाती है। भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय भोग को अर्पित कर, भक्तजन उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसे पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के प्रति सम्मान के रूप में भी मनाया जाता है। इस पावन दिन पर सभी लोग मिलकर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं।

पूजा का चार गुना लाभ: गोवर्धन पूजा के दिन अमृत योग (आयुष्मान योग) बनने से पूरे दिन पूजा करने से जातक को चार गुना लाभ मिलता है। धार्मिक मान्यता है कि इन कार्यों को करने से साधक को सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए दान भी किया जाता है।

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त: साल 2024 में गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त:

  • प्रातःकाल मुहूर्त: सुबह 06:40 से 09:46 तक
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 02:09 से 02:56 तक
  • संध्याकाल मुहूर्त: दोपहर 03:40 से 06:34 तक
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:05 से 06:30 तक
  • अमृत योग: सुबह 06:34 से रात 08:22 तक
गोवर्धन पूजा का पौराणिक महत्व

पौराणिक कथा के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का घमंड तोड़ा था। जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के क्रोध से ब्रजवासियों के बचाव के लिए अपनी तर्जनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया था। इसके बाद ब्रजवासियों ने भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की और भोग अर्पित किए। तभी से हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाता है।

अन्नकूट उत्सव का संबंध: गोवर्धन पर्वत के नीचे 7 दिन तक सभी वृंदावन के वासी बारिश से बचने के लिए उसकी छाया में रहे। इसके बाद ब्रह्माजी ने इंद्रदेव को बताया कि पृथ्वी पर भगवान विष्णु ने ही श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया है। यह जानकर इंद्रदेव ने भगवान श्रीकृष्ण से माफी मांगी। फिर भगवान श्रीकृष्ण ने 7वें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और हर साल गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तब से लेकर अब तक गोवर्धन पूजा का उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा।

गोवर्धन पूजा विधि:

  • प्रातःकाल गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति बनाएं।
  • मूर्ति को फूलों और रंगों से सजाएं और गोवर्धन पर्वत तथा भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें।
  • भगवान को फल, जल, दीपक, धूप और उपहार अर्पित करें। फिर कढ़ी और अन्नकूट चावल का भोग लगाएं।
  • इस दिन गाय, बैल और भगवान विश्वकर्मा की पूजा करें और पूजा के बाद गोवर्धन पर्वत की सात बार परिक्रमा करें।
  • अंत में जल हाथ में लेकर मंत्र का जाप करें और आरती करके पूजा का समापन करें।

गोवर्धन पूजा के इन नियमों का पालन करके आप भगवान श्रीकृष्ण की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

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Bodh Saurabh

Bodh Saurabh, a journalist from Jaipur, began his career in print media, working with Dainik Bhaskar, Rajasthan Patrika, and Khaas Khabar.com. With a deep understanding of culture and politics, he focuses on stories related to religion, education, art, and entertainment, aiming to inspire positive change through impactful reporting.

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