Navratri 2025: राजनीति, प्रकृति और आर्थिक उथल-पुथल! क्या 2025 की नवरात्रि कोई बड़ा संदेश लेकर आई है?

Navratri 2025: इस वर्ष बसंतिक नवरात्र केवल 8 दिन के होंगे, लेकिन उससे भी अधिक रोचक बात यह है कि इस दौरान ग्रहों का एक दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो 21वीं सदी में पहली बार देखने को मिलेगा। ज्योतिषाचार्य अक्षय शास्त्री के अनुसार, 29 मार्च की रात 9:44 बजे शनि मीन राशि में प्रवेश करेगा, जिससे मीन, मेष और कुंभ राशि पर साढ़े साती का प्रभाव पड़ेगा। नवरात्र के दौरान सूर्य, बुध, शुक्र, शनि, राहु और चंद्रमा एक साथ मीन राशि में होंगे। (Navratri 2025)इतने सारे ग्रहों का एक ही राशि में आना एक दुर्लभ ज्योतिषीय घटना है, जो बड़े राजनीतिक, आर्थिक और प्राकृतिक बदलावों का संकेत दे रही है। ऐसी ग्रह स्थिति के कारण कई देशों में राजनीतिक अस्थिरता देखने को मिल सकती है, अर्थव्यवस्था में बड़े उतार-चढ़ाव आ सकते हैं, और पर्यावरण में अप्रत्याशित परिवर्तन संभव हैं।

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कौन कर सकता है उपवास और किसे बचना चाहिए?

नवरात्रि के दौरान उपवास रखना शक्ति साधना का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है, लेकिन यह सभी के लिए नहीं होता। छोटे बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों के लिए कठिन उपवास वर्जित हैं, क्योंकि इससे उनकी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। जो लोग व्रत रखते हैं, वे एक समय फलाहार या हल्का सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते हैं। यह केवल एक धार्मिक परंपरा ही नहीं, बल्कि शरीर और मन की शुद्धि का माध्यम भी है, जिससे आत्मिक शांति प्राप्त होती है।

अष्टमी और नवमी… कन्या पूजन का महत्व

अष्टमी और नवमी तिथि का नवरात्रि में विशेष महत्व होता है। इन दिनों नव कन्याओं का पूजन किया जाता है, जिन्हें देवी के नौ स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है। कन्याओं को भोजन कराकर और उपहार देकर मां दुर्गा की कृपा प्राप्त की जाती है। यदि किसी कारणवश अष्टमी तिथि पर पूजन न किया जा सके, तो नवमी के दिन भी इसे संपन्न किया जा सकता है। इस परंपरा को भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान प्राप्त है, क्योंकि यह नारी शक्ति के सम्मान और उनकी महत्ता को दर्शाता है।

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इस बार नवरात्र केवल 8 दिन के क्यों?

इस बार नवरात्र केवल 8 दिन के ही होंगे, क्योंकि तृतीया तिथि का क्षय हो रहा है। 31 मार्च को द्वितीया और तृतीया तिथि एक साथ पड़ रही हैं, और चूंकि तृतीया सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगी, इसलिए इस दिन मां ब्रह्मचारिणी और मां चंद्रघंटा की संयुक्त पूजा होगी। इसी कारण इस बार नवरात्र 9 दिन के बजाय 8 दिन के होंगे। धार्मिक दृष्टि से देखें तो नवरात्रि का नौ दिन का होना अधिक शुभ माना जाता है, क्योंकि इसमें मां दुर्गा के सभी नौ स्वरूपों की पूजा होती है। यदि नवरात्रि के दिन कम हो जाएं, तो इसे शुभ संकेत नहीं माना जाता। यह संयोग वैश्विक स्तर पर कई परिवर्तनों का कारण बन सकता है, जिसमें राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक संकट और प्राकृतिक आपदाओं की संभावनाएं बनी रहती हैं।

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गणगौर पूजा का विशेष महत्व

गणगौर पूजा का भी इस समय विशेष महत्व होता है। होली के दिन से शुरू होने वाला यह पूजन तृतीया तिथि को समाप्त होता है। नवविवाहित और सौभाग्यवती महिलाएं इस दिन गणगौर पूजन करती हैं, जो वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।

आठ दिन के नवरात्र का धार्मिक और वैश्विक प्रभाव

इस बार के नवरात्र विशेष हैं….ग्रहों की दुर्लभ स्थिति, तृतीया तिथि का क्षय और 8 दिन की नवरात्रि। ऐसे में देवी उपासना का यह अवसर ज्योतिषीय और धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण रहेगा। नवरात्रि शक्ति की आराधना का पर्व है, जो न केवल आध्यात्मिक उन्नति देता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार भी करता है। मां दुर्गा की कृपा सभी पर बनी रहे!

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Bodh Saurabh

Bodh Saurabh, a journalist from Jaipur, began his career in print media, working with Dainik Bhaskar, Rajasthan Patrika, and Khaas Khabar.com. With a deep understanding of culture and politics, he focuses on stories related to religion, education, art, and entertainment, aiming to inspire positive change through impactful reporting.

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