IAS officer shortage in Rajasthan: राजस्थान, जो अब 41 जिलों का विशाल प्रदेश बन चुका है, विकास और प्रशासनिक दक्षता की नई परिभाषाएं गढ़ने की ओर अग्रसर है। लेकिन इस प्रगति की रफ्तार को सुचारू बनाए रखने वाले प्रशासनिक अधिकारियों की संख्या में हो रही कमी एक गंभीर चुनौती बनती जा रही है।
जहां एक ओर प्रदेश की प्रशासनिक जरूरतें बढ़ रही हैं, वहीं दूसरी ओर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारियों की संख्या घटती जा रही है। केंद्र सरकार से हर साल महज 6-7 नए अधिकारी मिल रहे हैं, (IAS officer shortage in Rajasthan)जबकि रिटायर होने वालों की संख्या इससे दोगुनी है। पहले से ही 77 अधिकारियों की कमी झेल रहा राजस्थान आने वाले 4 सालों में 62 और अधिकारियों की सेवानिवृत्ति का सामना करेगा। ऐसे में सवाल यह उठता है कि प्रशासनिक ढांचे को मजबूती कैसे दी जाएगी?
राजस्थान में IAS अधिकारियों की गंभीर कमी
राजस्थान, जहां नियमानुसार 373 आईएएस होने चाहिए, वहां वर्तमान में केवल 238 अधिकारी ही प्रदेश का काम संभाल रहे हैं। इनमें से भी 17 अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। हालात यह हैं कि 50 से अधिक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी 3-3 विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। राजस्थान के बड़े भूभाग और बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए यह संख्या बेहद कम है।
छोटे राज्यों से भी पीछे राजस्थान
राजस्थान जैसे बड़े राज्य की तुलना में हरियाणा और पंजाब जैसे छोटे राज्यों में प्रति 1 करोड़ जनसंख्या पर अधिक आईएएस अधिकारी हैं। हरियाणा में प्रति 1 करोड़ आबादी पर 50 आईएएस हैं, जबकि राजस्थान में यह संख्या केवल 32 है। इससे राज्य के प्रशासनिक ढांचे पर सीधा असर पड़ रहा है।
कैडर रिव्यू की अनियमितता बनी बाधा
राजस्थान में समय पर कैडर रिव्यू न होना एक बड़ी समस्या रही है। 2024 में हुए कैडर रिव्यू से पहले, यह प्रक्रिया 8 साल तक लंबित रही। 2016 में राजस्थान को 313 आईएएस के पद मिले थे, लेकिन 2024 में सिर्फ 19 नए पद स्वीकृत किए गए। जबकि राज्य सरकार ने 52 अतिरिक्त आईएएस पदों की मांग की थी।
रिटायरमेंट और बढ़ती जिम्मेदारियां
आने वाले 4 वर्षों में 62 आईएएस अधिकारी रिटायर हो जाएंगे, जिनमें से 49 प्रमोटी और 13 सीधे भर्ती हुए अधिकारी हैं। इससे आईएएस अधिकारियों की संख्या और घट जाएगी। वहीं, नए जिले और संभाग बनने के बावजूद केंद्र से पर्याप्त अधिकारियों की स्वीकृति नहीं मिल पाई है।
अन्य राज्यों में प्रतिनियुक्ति पर 17 अधिकारी
राजस्थान के 17 आईएएस अधिकारी वर्तमान में केंद्र और अन्य राज्यों में प्रतिनियुक्ति पर हैं। ऐसे में प्रदेश में कामकाज का दबाव और बढ़ गया है। इससे संभागीय आयुक्तों और जिला कलेक्टरों को अतिरिक्त जिम्मेदारियां उठानी पड़ रही हैं।
विकास और प्रशासन पर असर
आईएएस अधिकारियों की कमी से विकास कार्य और प्रशासनिक सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार नारायण बारहठ का कहना है कि अधिकारी प्रशासनिक ढांचे का आधार स्तंभ होते हैं। उनकी अनुपस्थिति से प्रदेश की योजनाएं और विकास कार्यों पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
आईपीएस अधिकारियों की भी कमी
राजस्थान में आईपीएस अधिकारियों की भी कमी है। स्वीकृत 222 पदों के मुकाबले 203 आईपीएस ही कार्यरत हैं। पुलिस बल में अधिकारियों की कमी से कानून व्यवस्था और अपराध नियंत्रण पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
राजस्थान में आईएएस अधिकारियों की कमी एक गंभीर समस्या है, जो राज्य के प्रशासनिक ढांचे और विकास कार्यों को बाधित कर रही है। समय पर कैडर रिव्यू, केंद्र और राज्य के बीच बेहतर समन्वय, और पर्याप्त संख्या में अधिकारियों की स्वीकृति से ही इस समस्या का समाधान संभव है।
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